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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -[१२]ऋषभ नाम शतपुखविस्तरिया कमलनयन कमलापति कहिया। युगला धर्मनिवारण चरिया सुरनर निकर गंधोदक महिया ॥ रत्न कचोल कुमारिनि भरिया जिनचरणाम्बुज पूजत हरिया। हिम हिमांशु चन्दन घनसरिया भूरि सुगंध गंध पसरयिया ॥ अक्षत अक्षतवास लहरिया रोहिणिकांत किरणसम सरिया ।। देखत रुचिकर अमरनि करिया पंचमुष्टि जिन आगे धरिया ।। सुन्दर पारिजात मोगरिया कमल वकुल पाटल कुमदरिया । चरुवर दीप लेय अपछरिया जिनवर आगे उतारि उधरिया। अगर तगर धूप फलफलिया फणस रसाल मधुर रसभरिया। कुसुमांजलि सांजलि समुजलिया पंडितराय अभ्रवच कलिया।। त्रिभुवनकीर्ति पदपंकज वरिया रनभूषणमूरि महापद कहिया ।। ब्रह्मकृष्ण जिनराज स्तविया जयजयकार करी मनहरिया ॥ कुंभ कलश भरि जयजिनवरिया शास्वत शर्म सदा अनुसरिया ॥ यावंति जिनचैत्यानि विद्यन्ते भुवनत्रये ॥ तावन्ति सततं भक्त्या त्रिःपरीत्य नमाम्यहम् ।। ( दध्यभिषेक ५) दुग्धाब्धिीचिचयसंचितफेनराशिपाण्डुत्वकांतिमवधीरयतामतीव । दघ्नांगता जिनपतेः प्रतिमा सुधारा । सम्पद्यतां सपदि वाञ्छितसिद्धये वः ॥ २४ ॥ मंत्र:-ओं ही............................"इति दधिस्नपनम् । अर्घः-उदकचंदन .................. अर्घ निर्वपामीति स्वाहा ।। For Private and Personal Use Only
SR No.020534
Book TitlePanchamrutabhishek Path
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZaveri Chandmal Jodhkaran Gadiya
PublisherZaveri Chandmal Jodhkaran Gadiya
Publication Year1958
Total Pages42
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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