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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आवाससप्पाय 237 आवाह आवाससप्पाय पु.. [बौ. सं. आवास-साम्प्रेय], हितकर अथवा उपयुक्त आवास, विनय-नियमों के अनुरूप आवास, स. प. के अन्त., - आवाससप्पाय उतुसप्पाय । भोजनसप्पाय ... आदीनि आसेवन्तो अन्तरन्तरा समापत्तिं समापज्जित्वा, ध. प. अट्ठ. 1.180; - ता स्त्री., भाव., आवास की हितकरता, आवास की उपयुक्तता - य तृ. वि., ए. व. - आवाससप्पायताय हि तम्बपण्णिदीपम्हि चूळनागलेणे... पञ्चसता भिक्खू अरहत्तं पापुणिस, विसुद्धि. 1.124. आवाससामिक पु., तत्पु. स., आवास का स्वामी, निवासस्थान का मालिक - का प्र. वि., ब. व. - सचे आवाससामिका नत्थि ..... स. नि. अट्ठ. 3.144. आवासानिसंसकथा स्त्री., तत्पु. स., आवास के (दान से प्राप्त) पुण्य अथवा लाभ का कथन - थं द्वि. वि., ए. व. - आवासे आनिसंसो, अयम्पि आनिसंसोति बहदेवरत्तिं अतिरेकतरं दियड्डयामं आवासानिसंसकथं कथेसि, म, नि. अट्ठ. (म.प.) 2.19-20; स. नि. अट्ठ. 3.92. आवासापेति आ + Vवस का प्रेर., वर्तः, प्र. पु., ए. व., वसा देता है, आवसति के अन्त., द्रष्ट.. आवासिक त्रि., आवास से व्यु. [आवासिक], शा. अ., आकर बस जाने वाला, अपने निर्धारित आवास (विहार) में रहने वाला, ला. अ., अपने विहार में नियमित रूप से निवास कर रहा भिक्षु, विहार का नियमित निवासी भिक्षुको पु..प्र. वि., ए. व. - आयस्मा सुधम्मो मच्छिकासण्डे चित्तस्स गहपतिनो आवासिको होति, चूळव. 35; आवासिको होतु महाविहारे, जा. अट्ठ. 4.276; आवासिकोति भारहारो नवे आवासे समुट्ठापति, पुराणे पटिजग्गति, अ. नि. अट्ठ. 2.212; नो आवासिको, अत्थापत्ति आवासिको आपज्जति, परि. 250; “पञ्चहुपालि, अङ्गेहि समन्नागतो आवासिको भिक्खु, परि. 376; - स्स च. वि., ए. व. – “असादियन्ता आवासिकस्स देथाति, स. नि. अट्ठ. 1.191; - का पु.. प्र. वि., ब. व. - आवासिका होन्तीति एत्थ आवासो एतेसं अत्थीति आवासिका, पारा. अट्ठ. 2.180; "कथहि नाम आवासिका भिक्खू उपोसथागारं न सम्मजिस्सन्ती ति, महाव. 147; गामकावासे आवासिका भिक्खू उपडुता होन्ति, चूळव. 299; अस्सजिपुनब्बसुका नाम भिक्खू कीटागिरिस्मिं आवासिका होन्ति, म. नि. 2.148; द्वे जना कीटागिरिस्मि आवासिका होन्ति, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.133; - के द्वि. वि., ब. व. -- बुडतरेपि आवासिके भिक्खू न अभिवादेन्ति, चूळव. 349; - कानं ष. वि., ब. व. - आवासिकानं भिक्खूनं चातुद्दसो होति, महाव. 172; आवासिकानं भिक्खून वत्तं पञपेस्सामि, चूळव. 352; - निमित्त नपुं.. विहारवासी भिक्षु होने का चिह्न - तं द्वि. वि., ए. व. - आगन्तुका भिक्खू पस्सन्ति आवासिकानं भिक्खूनं आवासिकाकारं, आवासिकलिङ्ग आवासिकनिमित्तं, आवासिकद्देसं... पस्सित्वा वेमतिका होन्ति, महाव. 173; - काकार पु., आवासिक भिक्षु होने का आकार-प्रकार - रं द्वि. वि., ए. व. - आगन्तुका भिक्खू पस्सन्ति आवासिकानं भिक्खून आवासिकाकार, आवासिकलिङ्ग, आवासिकनिमित्तं, आवासिकुद्देसं... पस्सित्वा वेमतिका होन्ति, महाव. 173. आवासिकवग्ग पु., परि. के एक खण्ड-विशेष का शीर्षक, जिसमें आवासिक भिक्षुओं से सम्बद्ध विनय के विषय संगृहीत हैं, परि. 376-378; - ग्गे सप्त. वि., ए. व. - आवासिकवग्गे - यथाभतं निक्खित्तोति यथा आहरित्वा ठपितो, परि. अट्ठ. 227. आवासिकवत्त नपुं, आवासिक भिक्षुओं द्वारा पालनीय नियम - त्ते सप्त. वि., ए. व. - आवासिकवत्ते आसनं पञपेतब्बन्ति एवमादि सब् वुड्डतरे आगते चीवरकम्म वा - नवकम्म वा ठपेत्वापि कातब्ब, चूळव. अट्ठ. 116. आवासिकवत्तकथा स्त्री., चूळव. के वत्तखन्धक की दूसरी कथा का शीर्षक, जिसमें विहार में स्थायीरूप से रहने वाले आवासिक भिक्षुओं के कर्तव्यों का विवरण संग्रहीत है, चूळव. 352-353; चूळव. अट्ठ. 116. आवासिकसङ्घत्थेर पु., विहार में नियमित वास करने वाले आवासिक भिक्षुओं में सबसे वरिष्ठ एवं प्रमुख स्थविर - रो प्र. वि., ए. व. - जिण्णमहाविहारे आवासिकसङ्घत्थेरो हुत्वा ..., जा. अट्ठ. 4.277. आवासु/आपासु नियमित आवासु का अप०, आपदा का सप्त. वि., ब व. - आपासु व्यसनं पत्तो, जा. अट्ट. 3.9; आवासु किच्चेसु च नं जहन्ति, जा. अट्ठ. 5.442; 445; आवासूति आपदासु, जा. अट्ठ. 5.443. आवाह पु./नपुं.. [आवाह], विवाह का वह स्वरूप जिसमें वधू को वर के घर में ले आया जाता है तथा अपने पुत्र को विवाह हेतु सौंप दिया जाता है, कन्या-ग्रहण-पद्धति वाला विवाह-संस्कार - हो प्र. वि., ए. व. - आवाहोति कआगहणं विवाहोतिक आदानं, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.282; आवाहादीसु आवाहोति दारकस्स परकुलतो दारिकाय For Private and Personal Use Only
SR No.020529
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2009
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size10 MB
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