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आमूलग्गं
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आमोदना
Mono
त्रि., ब. स., मालाओं एवं आभूषणों से सुसज्जित, मालाओं में लगे हुए आभूषणों से अलङ्कत, मालाओं के आभूषणों से सज्जित - णो पु., प्र. वि., ए. व. - ... रोमसो नाम खत्तियो, आमुत्तमालाभरणो, अप. 1.226; पाठा. आमुक्कमालाभरणो; आमुक्कमालाभरणोति आमक्कमत्ताहारकेयूरकटकमकुटकुण्डलमालो, बु. वं. अट्ट 211; - यञसुत्त त्रि., ब. स. [आमुक्तयज्ञसूत्र], यज्ञ के सूत्र को धारण किया हुआ - त्तो पु., प्र. वि., ए. व. -- दोणो ब्राह्मणोपि... आमत्तय सुत्तो रत्तवट्टिका उपाहना ... पटिपज्जि , अ. नि. अट्ठ. 2.290; - हत्थाभरण त्रि., ब. स., अंगूठियों एवं कंगनों से विभूषित – णो पु., प्र. वि., ए. व. - आमुत्तहत्थाभरणो, सुवत्थो चन्दनभूसितो, जा. अट्ठ. 7.242. आमूलग्गं अ., क्रि. वि., ऊपर से लेकर नीचे तक, जड़ से लेकर शिखर तक, स. प. के अन्त. -
आमूलग्गसमुब्भिन्नमहाभित्तिभरोनता, चू. वं. 88.95. आमेण्डित/आमेडित त्रि., आ + मिड के प्रेर. का भू. क. कृ. [आमेडित], 1. शब्द की पुनरुक्ति या आवृत्ति, ध्वनि की आवृति, किसी बात को दो या तीन बार कहना अथवा दो प्रकार से कहना, 2. द्वित्त्व - तं नपुं॰, प्र. वि., ए. व. - आमेण्डितं तु विधेय्यं द्वित्तिक्खत्तुमुदीरणं, अभि. प. 106; भये कोधे पसंसायं तुरिते कोतूहळच्छरे, हासे सोके पसादे च करे आमेण्डितं बुधो, अभि. प. 107; पारा. अट्ठ- 1.128; 3. अट्ठ में निम्नलिखित अर्थों का भी संकेत, क. अतिशय अथवा अधिकता - अतिसयत्थे च इदं आमेडितं, पारा. अट्ठ. 2.186; अबलबलो वियाति अबलो किर बोन्दो वुच्चति, अतिसयत्थे च इदं आमेडित, तस्मा अतिबोन्दो वियाति वुत्तं होति, पारा. अट्ठ. 2.186; ख. निन्दा एवं असम्मान के प्रकाशन में भाब्दों की आवृत्ति - चसद्दो अवुत्तसमुच्चयत्थो, तेन गरहासम्मानादीनं सङ्गहो दहब्बो पापो पापोति आदिसु हि गरहायं, अभिरूपक अभिरूपकाति आदिसु असम्माने, सद्द. 1.40; ग. आदर अथवा सम्मान के भाव के प्रकाशन में आवृत्ति - ... तत्थ अभिरतियं आदरजननत्थं "अभिरम, नन्द, अभिरम, नन्दा ति आमेडितवसेन वुत्तं, उदा. अट्ठ. 139; घ. स्थिर अथवा विश्वस्त करने के अभिप्राय से आवृत्ति - पुच्छ भिक्खु, पुच्छ भिक्खूति थिरकरणवसेन आमेडितं कतं. स. नि. अट्ठ. 1.41; ङ. सुदृढ़ करने के अभिप्राय से आवृत्ति, भय व्यक्त करने की दृष्टि से आवृत्ति - तत्थ कण्हो कण्होति
भयवसेन दळहीवसेन वा आमेडितं, जा. अट्ठ. 4.163; च. बातचीत में शीघ्रता के कारण आवृत्ति - तत्थ तुरितालपनवसेन भिक्खु भिक्खूति आमेडितं वेदितब्ब, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).32. आमेण्डितवचन/आमे डितवचन नपुं., कर्म. स. [आमेडितवचन] पुनरावृत्ति से युक्त कथन, ध्वनि अथवा शब्द को दुहरा कर कहा गया वचन, दो बार कहा गया वचन, दुहरायी गई बात, स. प. के रूप में - भयकोधादिस उप्पन्नेसु कथितामेण्डितवचनवसेन वा, सद्द. 1.38; 40; - नं प्र. वि., ए. व. - द्विवचनन्ति द्विक्खत्तुं वचनं आमेडितवचनन्ति वृत्तं होति, सारत्थ. टी. 2.160; तुरितवसेन चेतं आमेडितवचनं, थेरगा. अट्ट, 1.119; --- नेन तृ. वि., ए. व. - एकेकलोमतो... एकेकलोमतो... ति उभयत्थापि आमेडितवचनेन सब्बलोमानं परियादिन्नत्ता... होति. पटि. म. अट्ठ. 2.11. आमोद पु., आ + मुद से व्यु., क्रि. ना. [आमोद]. 1. आनन्द, प्रसन्नता, हर्ष, खुशी - आनन्दो पमुदामोदा सन्तोसो नन्दिसम्मदो, अभि. प. 87; 2. सुगन्ध, खुशबू, सौरभ - सो त्वामोदो दूरगामी विस्सन्ता तीस्वितो परं अभि. प. 145; आमोदो हासगन्धेसु, अभि. प. 11083; ... देवविमानकप्पं पुप्फगन्धदामादीहि एकामोदपमोदं पासादं आरोपेत्वा ..., चरिया. अट्ठ. 200; सुगन्धतेलदीपेहि आमोदचन्दनादिहि, चू, वं. 98.9; - दं नपुं, द्वि. वि., ए. व. - सुवण्णवण्णं सम्बुद्ध आहुतीनं पटिग्गह, रथियं पटिपज्जन्तं, आमोदमददि फलं, थेरगा. अट्ठ. 1.258; 277. आमोदति आ + मुद का वर्त, प्र. पु., ए. व. [आमोदते/आमोदयति], प्रसन्न या हर्षित होता है, आनन्द मनाता है - दिब्बसम्पत्तीहि आमोदति पमोदति, अ. नि. अट्ठ. 2.101; - मानो पु., प्र. वि., ए. व. - आमोदमानो पकिरेति, देथ देथाति भासति, स. नि. 1(1).119; आमोदमानोति तुट्ठमानसो हुत्वा, स. नि. अट्ट. 1.146; - दि अद्य., उ. पु., ए. व. - आकिण्णो देवकआहि,
आमोदि कामकामह, अप. 1.305. आमोदन नपुं.. आ + मुद से व्यु., क्रि. ना. [आमोदन, त्रि.], आनन्दित होना, प्रसन्न होना, स. प. के अन्त., आमोदनाकारो
आमोदना, ध. स. अट्ठ. 188; पटि. म. अट्ठ. 2.105. आमोदना स्त्री., आ +vमुद से व्यु., आनन्द अथवा हर्ष, प्रसन्नता का भाव - ना प्र. वि., ए. व. - पीति पामोज्ज आमोदना पमोदना हासो पहासो वित्ति ओदग्यं अत्तमनता
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