SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 140
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra आपत्तियत् आपत्तिमयसुत्त नपुं. व्य. सं., अ. नि. के एक सुत्त का शीर्षक, अ० नि० 1 (2). 276-278. आपत्तिभाव पु०, तत्पु, स., आपत्ति अथवा अपराध की अवस्था वो प्र. वि., ए. व. - सब्बापत्तीनं साधारणो आपत्तिभावो, पारा. अट्ठ. 2.169; - वं द्वि. वि., ए. व. आपत्तिभावं न जानासीति, महाव. अट्ट 406. आपत्तिभीरु त्रि, आपत्तियों अथवा भिक्षुसङ्घीय अपराधों से डरने वाला - ना पु०, तृ. वि., ए. व. आपत्तिभीरुना निच्च, वत्थब्बं परिमण्डल, विन. वि. 1871 - क त्रि उपरिवत् - केन तृ. वि., ए. व. - तस्मा आपत्तिभीरुकेन मंसं पटिग्गहेतब्ब, पारा अट्ठ. 2.173; म० नि० अ० (म.प.) 2.35. - आपत्तिभेद पु, तत्पु० स० [आपत्तिभेद ], अपराधों का भेदप्रभेद, आपत्तियों का वर्गीकरण - दो प्र० वि०, ए. व. इतरस्स पन सब्बो आपत्तिभेदो पठमसिक्खापदे वुत्तो, पाच. अट्ठ. 87, 176; - दं द्वि. वि., ए. व. – एवं वत्थुवसेन च चित्तवसेन च आपत्तिभेदं दस्सेत्वा..., पारा. अट्ठ. 1.298. आपत्तिमूल नपुं, तत्पु० स० [आपत्तिमूल], आपत्ति अथवा अपराध का मूल उद्गम स्थल लानि प्र० वि०, ब० व. 1 कति आपत्तिमूलानि पञ्ञत्तानि महेसिना, उत्त. वि. 876; 877. www.kobatirth.org - - आपत्तिमोक्ख पु०, तत्पु० स० [ आपत्तिमोक्ष ], आपत्तियों से मुक्ति - क्खो प्र. वि., ए. व. - एवं एकस्स सतियापि आपत्तिमोक्खो होतीति, पारा. अट्ठ. 2.215. आपत्तिलेस पु०, दस प्रकार के लेसों में से एक, लघु आपत्ति में आपतित भिक्षु को पाराजिक जैसी गम्भीर आपत्ति का आरोप लगाने वाले भिक्षु का अपराध सो प्र. वि., ए. व. आपत्तिलेसो नाम लहुकं आपत्तिं आपज्जन्तो दिट्ठो होति तञ्चे पाराजिकेन चोदेति अस्समणोसि, असक्यपुत्तियोसि पे.... आपत्ति वाचाय ... पारा 265; ... लेसो नाम दस लेसा जातिलेसो, नामलेसो, गोत्तलेसो, लिङ्गलेसो, आपत्तिलेसो, पत्तलेसो, चीवरलेसो उपज्झायलेसो, आचरियलेसो, सेनासनलेसो, पारा 264; द्रष्ट, लेस के अन्त.. आपत्तिवस्स नपुं, तत्पु० स., आपत्तियों की वर्षा, सङ्घीय अपराधों की झड़ी या प्रचुरता स्सं द्वि० वि०, ए. व. - ततो... आपत्तिवस्सं किलेसवस्सं अतिविय वस्सति, उदा. अट्ठ. 249. आपत्तिविनिच्छय' पु०, तत्पु० स० [आपत्तिविनिश्चय], विनय में निर्दिष्ट अपराधों का स्पष्ट निश्चय - यो प्र. वि., ए. 113 आपत्तिसञ व. अयं पन आदितो पट्टाय वित्थारेन आपत्तिविनिच्छयो, पारा. अट्ठ. 2.183. आपत्तिविनिच्छय' पु०, व्य. सं., पञ्ञासामी महाथेर द्वारा लिखित विनय- आपत्ति-विषयक एक ग्रन्थ का नाम - यं द्वि. वि., ए. व. रञो अभियाचितो सो येवाहं अक्खरविसोधनिं नाम गन्धं आपत्तिविनिच्छ्यं नाम गन्धञ्च तथा सङ्घञ चोदितो... अकासि, सा. वं. 141 (ना.). आपत्तिविसेस पु०, तत्पु० स०, आपत्तियों का विशिष्ट भाव, विनय में निर्दिष्ट अपराधों की विशिष्ट रूप से पहचान - सो प्र. वि., ए. व. - वत्थुविसेसेन पनेत्थ कम्मविसेसो च आपत्तिविसेसो च होती ति, पारा. अट्ठ. 2.42. आपत्तिवुट्ठान' नपुं, तत्पु० स, आपत्तियों से ऊपर उठ जाना, आपत्तियों से विमुक्ति या छुटकारा - नं प्र० वि०, ए. व. - इमं आपत्तिं आपज्जित्वा वुट्ठातुकामस्स यं तं आपत्तिवुट्ठानं..., पारा. अड. 2.99; आपत्तिवुट्ठानत्थं तुरिततुरितो छन्दजातो न होति, म. नि. अट्ठ० (म.प.) 2.110: - कुसलता स्त्री, आपत्तियों से विमुक्त हो जाने की अवस्था के ज्ञान में कुशलता - ता प्र. वि., ए. व. - आपत्तिकुसलता च आपत्तिवुट्ठानकुसलता च, अ. नि. 1 (1).101; आपत्तिवुट्ठानकुसलताति देसनाय वा कम्मवाचाय वा आपत्तीहि वुट्ठानजाननन्ति, अ. नि. अट्ठ 2.55; - ता स्त्री०, भाव, आपत्तियों से विमुक्ति की अवस्था - ता प्र० वि., ए. व. - सा वो भविस्सति अञ्ञमञ्ञानुलोमता आपत्तिवुट्ठानता विनयपुरे क्खारता, महाव. 211; आपत्तिवुट्ठानता विनयपुरेक्खारताति आपत्तीहि वुट्ठानभावो विनयं पुरतो कत्वा, चरणभावो, महाव. अट्ठ. 336. आपत्तिवुट्ठान' नपुं०, द्व० स० स० प० के अन्त. ही प्रयुक्त, आपत्ति (अपराध) तथा उससे छुटकारा - आपत्तिवुट्ठानपदस्स कोविदोति आपत्तिवुट्ठानकारणकुसलो, महाव. अ. 411. आपत्तिसङ्ग्रह पु॰, तत्पु॰ स., नौ प्रकार के संग्रहों में से एक, 'आपत्ति' शीर्षक के अन्दर शिक्षापदों का संग्रह - हो प्र० वि., ए. व. - नवसङ्गहा - वत्थुसङ्गहो, विपत्तिसङ्गहो, आपत्तिसङ्गहो, निदानसङ्गहो, पुग्गलसङ्गहो, खन्धसङ्गहो, समुट्ठानसङ्ग्रहो, अधिकरणसङ्गहो, समथसङ्गहो ति, परि. 414; यस्मा पन सत्तहापत्तीहि मुत्तं एकसिक्खापदम्प नत्थि, तस्मा सब्बानि आपत्तिया सङ्गहितानीति एवं आपत्तिसङ्ग्रहो वेदितब्बो, परि, अट्ट. 265. आपत्तिसज्ञा स्त्री, तत्पु० स०, आपत्ति के विषय में चेतना अथवा ज्ञान यतृ.वि., ए. व. अनापत्ति पन - For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - ... -
SR No.020529
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2009
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy