________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
आनीय
103
वि., ए. व. - ... सीहळदीपतो आनीतत्ता ततो लद्धो, सा. वं. 125. आनीय आ +vनी का पू. का. क. [आनीय]. पास ला कर,
समीप ला कर - जिनगीवढि ..., थेरस्स सारिपुत्तस्स, सिस्सो आनीय चेतिये, म. वं. 1.38... आनीयत आ +/नी के कर्म. वा. का अनु., म. पु., ब. व., लाने हेतु प्रेरित किया जाए - तावतिका आनीयतन्ति, दी. नि. 2.180. आनीयति आ + नी का कर्म. वा., वर्तः, प्र. पु., ए. व. [आनीयते], ले आया जाता है, समीप में पहुंचा दिया जाता है - मानो वर्त. कृ., पु., प्र. वि., ए. व. - पाणो गलप्पवेठकेन आनीयमानो दुक्खं दोमनस्सं पटिसंवेदेति, म. नि. 2.37; - नेसु पु., सप्त. वि., ब. व. - थेरेन हि ... अजेसु आनीयमानेसु. उदा. अट्ठ. 253. आनुकूल्य/अनुकूल्य नपुं., अनुकूल का भाव. [आनुकूल्य]. अनुकूलता, उपयुक्तता, कृपा, मित्रता - आनुकूल्ये तु सद्ध च, अभि. प. 1147; - ल्यं प्र. वि., ए. व. - किच्चाविरोधनरसा, अनुकूल्यन्ति गरहति, ना. रू. प. 97. आनुटुभ त्रि., [अनुष्टुभ], अनुष्टुप् नामक छन्द के वर्ग के अन्तर्गत आने वाला - भेन नपुं, तृ. वि., ए. व. - आनुवभेन अस्सा, छन्दो बद्धन गणियमाना त. चूळनि. अट्ठ. 131; गणना उत्तरस्सायं, छन्दसानभेन तु, उत्त. वि. 969. आनुत्तरिय/अनुत्तरिय नपुं., अनुत्तर का भाव. [बौ. सं. अनुत्तर्य], 1. प्रधानता, सर्वश्रेष्ठता, प्रमुखता, सर्वश्रेष्ट कल्याण, सर्वोच्च प्राप्य - यं प्र. वि., ए. क. - अपरं पन, भन्ते, एतदानुत्तरियं यथा भगवा धम्म देसेति कुसलेस धम्मेसु, दी. नि. 3.75; आनुत्तरियन्ति अनुत्तरभावो, दी. नि.. अट्ठ. 3.59; 2. त्रि., भव्य, सर्वोत्तम, बेजोड़, अनुपम - या स्त्री., प्र. वि., ए. व. - या वा पनेतासं सञानं परिसुद्धा परमा अग्गा अनुत्तरिया अक्खायति, म. नि. 3.18; अनुत्तरिया अक्खायतीति असदिसा कथीयति, म. नि. अट्ठ. (उप.प.) 3.11. आनुपुब्ब नपुं, अनु + पुब्ब से व्यु., भाव. [बौ. सं. आनुपूर्वी,
स्त्री.], नियमसङ्गत क्रम, नियमितता -ब्बं प्र. वि., ए. व. - किमानुपुब्बं पुरिसो, किं वतं किं समाचार, थेरगा.
आनुभाव गणना में पूर्वापरक्रम - ततियन्ति गणनानुपुब्बता ततियं, ध. स. अट्ट. 220; पदा. - स्त्री.. पदों का पूर्वापरक्रम - इच्चाति ... अक्खरसमवायो ब्यञ्जनसिलिट्ठता पदानुपुब्बतापेतं, महानि. 101. आनुपुब्बिक त्रि., अनुपुब्ब से व्यु. [आनुपूर्विक], नियमित, क्रमबद्ध - गोणसद्दो... वत्तिच्छानपब्बिका सद्दप्पटिपत्तीति वचनतो गोसद्दोति विसु... पक्खित्तो, सद्द. 1.105-06; - कथानुभाव पु., एक के बाद दूसरे के क्रम में अथवा क्रमशः आगे बढ़ने वाले क्रम में दिए गए धर्मोपदेश का प्रभाव अथवा बल - वेन तृ. वि., ए. व. - आनुपुब्बिकथानुभावेन विक्खम्भितनीवरणतं सन्धाय वृत्तं, दी. नि. अट्ठ. 1.248. आनुपुब्बी स्त्री., [आनुपूर्वी]. नियमित क्रम, उचित सिलसिला - अनुक्कमो परियायो अनुपब्बयपुमे कमो, अभि. प. 429; - ब्बी प्र. वि., ए. व. - तत्रायमानुपुब्बी, नवविधसुत्तन्तपरियेट्ठीति, नेत्ति. 2; - बियं सप्त. वि., ए. व. - आनुपब्बियं-अनुजेट्ट, मो. व्या. 3.2. आनुभाव/अनुभाव पु., [आनुभाव], गौरव, महिमा, बल, महत्ता, चमक दमक, शान, भव्यता, शक्ति, सामर्थ्य, प्रभाव - वो प्र. वि., ए. व. - पभावो ति, पकारतो भवती ति पभावो, सो यमानुभावो येव, सद्द. 1.69; अनुभावो एव आनुभावो, पभावो महन्तो आनुभावो येसं ते महानुभावा, सारत्थ. टी. 1.42; गहपतिस्स नत्थि सा इद्धि वा आनुभावो वा, अ. नि. 1(1).273; नत्थि सा इद्धि ... सो वा आनुभावो नत्थि, अ. नि. अट्ठ. 2.213; - वं द्वि. वि., ए. व. - एतु वदतु ब्याहरतु पस्सामिस्सानुभावन्ति, अ. नि. 1(2).36; - वेन तृ. वि., ए. व. - कासिकोसलानं मल्लिके, आनुभावेन कासिकचन्दनं पच्चनुभोम, म. नि. 2.320; - वा प्र. वि., ब. व. -- सत्तानं सोस्थिभावापादनादयो आनुभावा विभावेतब्बा, चरिया. अट्ठ. 215; स. प. के रूप में, किलेसगहनपच्चवेक्षणानुभावेनापि, चित्तं नमि, स. नि. अठ्ठ. 1.174; स. उ. प. के रूप में, - खण पु., तत्पु. स., प्रभाव, शक्ति अथवा महिमा का क्षण - णे सप्त. वि., ए. व. - आनुभावखणे तस्स, पच्चयानमभावतो, अभि. अव. 717; आनुभावखणुप्पादे, जातिया पन लब्भति, अभि. अव. 715; - दीपक त्रि., प्रभाव अथवा महिमा को प्रकाशित करने वाला - कं नपुं., द्वि. वि., ए. व. - अरियमग्गस्स आनुभावदीपकं वुत्तप्पकारं उदानं
727.
आनुपुब्बता स्त्री., अनुपुब्ब से व्यु.. भाव., केवल स. उ. प. में ही प्राप्त, पूर्वापरक्रम; गणना. - स्त्री., गणनाक्रम,
For Private and Personal Use Only