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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 656 2.177. अवेरी अव्यग्ग प्र. वि., ए. व. - सवेरचित्तो वा अवेरचित्तो वाति अवेरचित्तो. मुनि, सु. नि. 952; पुब्बे वुत्ता तिविधापि सच्चा अवोक्कम्म दी. नि. 1.223; अरियसावको एवं अवेरचित्तो एवं ... मोनेय्यप्पत्तिया मुनीति सङ्घयं गतो. सु. नि. अट्ठ. 2.260; विसुद्धचित्तो, अ. नि. 1(1).221; अवेरचित्तोति एवं उच्चनीचकुलं अवोक्कम्म पिण्डाय चरति, सु. नि. अट्ठ. अकुसलवेरस्स च ... नत्थिताय अवेरचित्तो, अ. नि. अट्ठ. 1.139; - चारी त्रि., घरों को चुने बिना एक-एक घर में क्रमशः भिक्षाटन करने वाला-री पु., प्र. वि., ए. व. - अवेरी त्रि., वेरी का निषे. [अवैरिन], वैरभाव या द्वेषभाव न सपदानचारीति अवोक्कम्मचारी अनुपुब्बचारी, सु. नि. अठ्ठ. रखने वाला- रिनो पु., प्र. वि., ब. व. - वेरिनेसु अवेरिनो 1.94. ... विहराम अवेरिनो, ध, प. 197; अब्यापज्जा विहरेम ___ अब्बोच्छिन्न त्रि., वि + अव + vछि के भू. क. कृ. का निषे. अवेरिनो ति इति, दी. नि. 2.203; केनचि सद्धि अवेरिनो [अव्यवच्छिन्न]. व्यवधान-रहित, निरन्तर रूप में विद्यमान - विहरेय्याम, दी. नि. अट्ठ. 2.278. न्तो पु., प्र. वि., ए. व. - अज्जापि तु अब्बोच्छिन्नो अवेला स्त्री., वेला का निषे. [अवेला], अनुपयुक्त समय, पुब्बाचरियनिच्छयो, खु. पा. अट्ठ. 2. अनिर्धारित समय, असमय - अज्ज ताव अवेला, जा. अट्ठ. अवोदात त्रि., वोदात का निषे. [अव्यवदात]. अस्वच्छ, 6.179; - य सप्त. वि., ए. व. - चिन्तेत्वा अवेलाय उज्वलता से रहित, मलिन, धूमिल - ता पु.. प्र. वि., ब. अन्तमसो, जा. अट्ठ. 4.213; वेलाय वा अवेलाय वा .... व. - अवीवदाताति अवोदाता, सु. नि. अट्ठ. 2.2163; आगमिस्सामि, जा. अट्ठ. 1.93; - यं उपरिवत् - यस्स हि अवीवदाताति... अवोदाता अपरिसुद्धा संकिलिट्ठा, महानि. अवेलायं उद्धमातकनिमित्तट्ठानं गन्त्वा ... ओलोकन्तरसेव तं 52; तुल. अवीवदात (ऊपर); - धम्म त्रि., ब. स. मतसरीरं ... उपट्टाति, विसुद्धि. 1.179; अवेलायन्ति [अव्यवदातधर्मन]. अपवित्र या मलिन प्रकृति वाला - सञ्झावेलादि अयुत्तवेलायं, विसुद्धि. महाटी. 1.196. असुद्धिधम्मो ... अवोदातधम्मोति, महानि. 222. अवेहासकुटी स्त्री., कर्म स., भूमि पर (आकाश के नीचे) अवोसितत्त/अव्योसितत्त नपुं.. वि + अव + Vसो के भू. निर्मित कुटी या पर्णशाला - टिया सप्त. वि., ए. व. - क. कृ. के भाव, का निषे॰ [अव्यवसितत्व], पूर्णता (पूर्ण अवेहासकुटिया सीसघट्टाय हेटा अपरिभोगं होति. पाचि. 683; विमुक्ति) की अवस्था को प्राप्त न करना, अर्हत्व फल की अवेहासकुटियाति भूमियं कतपण्णसालादिसु अनापत्ति पाचि. अप्राप्ति की अवस्था - त्ता प. वि., ए. व. - अब्योसितत्ता अट्ठ. 43. हि भवाभवेसुथेरगा. 784; अब्योसितत्ता हीति अनधिगतनिहत्ता, अवेहासविहार पु., कर्म. स., भूमि पर निर्मित विहार - रे। थेरगा. अट्ठ. 2.253. सप्त. वि., ए. व. - अवेहासविहारे वा, विन. वि. 1103. अवोहारकुसल त्रि, वोहारकुसल का निषे. [अव्यहारकुशल]. अवोक्कमन्त त्रि., वि+ अव + कम के वर्त. कृ. का निषे. व्यापार आदि व्यावहारिक कार्यों में अकुशल - ला पु.. प्र. [अव्यपक्राम्यत्], विशेष रूप से (सही मार्ग का) अपक्रमण वि., ब. व. - अवोहारकुसला इमे गामिका, ध. स. अट्ठ. या उल्लंघन नहीं कर रहा, सन्मार्ग या उत्तम आचरण की 248. उपेक्षा नहीं कर रहा - न्तो पु., प्र. वि., ए. व. - अव्यग्ग स्त्री., व्यग्ग का निषे. [अव्यग्र], व्यग्रता या घबराहट सच्चवाचाय अवोक्कमन्तो, सम्मादिडिया अवोक्कमन्तो, अरिया से रहित - ग्गो पु., प्र. वि., ए. व. - अब्यग्गो मनो यस्स, अट्ठङ्गिका मग्गा अवोक्कमन्तो, महानि. 320; अवोक्कमन्तो सद्द. 1.122; - ता स्त्री., अव्यग्ग का भाव. [अव्यग्रता], समया सका च, पटि. म. अट्ट. 1.2; - न्तेन पु., तृ. वि., बेचैनी या व्याकुलाहट का अभाव - अब्यग्गता निक्कमनञ्च ए. व. - ... सकसमयं अवोक्कमन्तेन, विसुद्धि. 2.151; .... काले, जा. अट्ठ. 3.6; - निमित्त नपुं.. तत्पु. स. कथावत्थुम्हि पटिक्खित्ते पुग्गलवादादिके च वदन्तो सकसमयं [अव्यग्रनिमित्त], मानसिक बेचैनी के उपशमन हेतु वोक्कमति नाम, तथा अवोक्कमन्तेन विसुद्धि. महाटी.. समाधि में चित्त की एकाग्रता हेतु गृहीत आलम्बन -- त्तं 2.226. नपुं.. प्र. वि., ए. व. - समथनिमित्तं अब्यग्गनिमित्तं. स. नि. अवोक्कम्म अ., वि + अव + कम के पू. का. कृ. का निषे. 3(1).125; -- मनस त्रि., ब. स. [अव्यग्रमनस]. स्थिर या [अव्यपक्रम्य]. अपक्रमण नहीं करके, अपने सिद्धान्त, मार्ग एकाग्र चित्त वाला, चञ्चलता से मुक्त चित्त वाला - सो पु., या उत्तम आचरण से नहीं हटकर - सच्चा अवोक्कम्म प्र. वि., ए. व. - अब्यग्गमनसो नरो, स. नि. 1(1).115; For Private and Personal Use Only
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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