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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अरियभूमि अरियभावकरानि वा सच्चानि अरियसच्चानि, इतिवु. अ. 75; - करत नपुं,, भाव, आर्यभाव को उत्पन्न करना त्ता प.वि., ए. व. - अरियोति तंतंमग्गवज्झकिलेसेहि आरकत्ता अरियभावकरता अरियफलपटिलाभकरता व अरियो, उदा. अ. 249; महानि. अट्ठ. 51; दी. नि. अट्ठ. 2.352; - सिद्धि स्त्री. तत्पु. स. [आर्यभावसिद्धि] स्रोतापन्न आदि आर्यअवस्थाओं की सिद्धि या पूर्णता तो प. वि. ए. व. अथ वा एतेसं अभिसम्बुद्धत्ता अरियभावसिद्धितोपि अरियसच्चानि, खु. पा. अड. 64 वावह त्रि [आर्यभावावह] आर्य अवस्था अथवा स्रोतापत्तिमार्ग एवं फल आदि की अवस्था को लाने वाला तो प. वि. ए. व. राद्धादिधनं विय अरियधम्ममयपि धनं न होति. न अरियभावावहतो, थेरीगा. " www.kobatirth.org *** 31. 266. अरियभूमि स्त्री. कर्म. स. [आर्यभूमि] स्रोतापत्ति-मार्ग एवं स्रोतापत्ति फल आदि की आठ लोकोत्तर अवस्थाएं मिं द्वि. वि. ए. व. निद्धन्तमलो अनङ्गणो दिब्बं अरियभूमिं उपेहिसि प. प. 236 पठमबोधिहि दसवलस्स पुथुभूतेषु सावकेसु अपरिमाणेसु देवमनुरसेसु अश्यिभूमिं ओक्कन्तेसु जा. अ. 4.166; ध० प० अट्ठ 2.102; - प्पत्ति स्त्री०, तत्पु. स. [आर्यभूमिप्राप्ति ] स्रोतापत्ति आदि लोकोत्तर अवस्थाओं की प्राप्ति या तृ. वि. ए. व. वितस्स उप्पादयमाना अरिभूमिप्पत्तिया अन्तरायं करोतीति, म.नि. अड. ( मू०प.) 1 ( 2 ) . 214. अरियमग्ग पु तत्पु, स. [ आर्यमार्ग ] स्रोतापत्ति-मार्ग, सकृदागामी मार्ग, अनागामी मार्ग एवं अर्हत्व-मार्ग, लोकोत्तरमार्ग ग्गो प्र. वि. ए. व. पञ्चसीलारिय मग्गोपोसथङ्गधितीसु च, अभि. प. 783; वीरियेन नं पणामेत्वा, अरियमग्गो विसुज्झतीति, स. नि. 1(1).9; अरियमग्गोति लोकुत्तरमग्गो स. नि. अड. 1.33: फलनिब्बत्तको हेतु अरियमग्गो च भासितं अभि अब 148 ग्गं द्वि. वि. ए. व. अरियचित्तस्स अनासवचित्तस्स अरियमग्गसमहिनो अरियमग्गं भावयतो पञ्ञा म. नि. 3.119 आणग्गि पु.. तत्पु. स. [ आर्यमार्गज्ञानाग्नि] आर्य मार्ग में प्राप्त ज्ञान की अग्नि ना तू. वि. ए. व. एवं अरियमग्गजाणग्गिनापि महन्तानि च खुदकानि च संयोजनानि उहन्तेन गन्तब्ब भविस्सतीति प. प. अ. 1.159 - त्तय नपुं [आर्यमार्गत्रय]. स्रोतापत्ति-मार्ग, सकृदागामी मार्ग तथा अनागामी का मार्ग, अर्हत्वमार्ग को छोड़ शेष तीन लोकोत्तर-मार्ग ये सप्त. वि., ए. व. कत्थचि धम्मचक्षुम्हि विरजं वीतमलं - 571 अरियरतन - धम्मचक्षु उदपादी ति हि एत्थ अरियमग्गत्तयपञ्ञ दी. नि. अड. 1.150 प्पत्ति स्त्री, तत्पु. स. [आर्यमार्गप्राप्ति ], - लोकोत्तर- मार्ग को पा जाना, स्रोतापत्ति आदि आर्यमार्गों पर स्थित हो जाना तो प. वि. ए. व. अरियमग्गष्पत्तितो अपरभागेयेवाति युत्तं होति. म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1 ( 1 ) 120: समग्री त्रि.. आर्यमार्ग या लोकोत्तर मार्ग से युक्त झिनो पु., ष. वि., ए. व. अरियचित्तस्स अनासवचित्तस्स अरियमग्गसमङ्गिनो अरियमग्गं भावयतो... म. नि. 3.121; - ङ्गिस्स उपरिवत् - अरियमग्गसमङ्गिस्स मग्गङ्गानि ठपेत्वा Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ध. स. 1039; सम्पयुत्त त्र, तत्पु० स० [आर्यमार्गसम्प्रयुक्त], लोकोत्तर आर्यमार्ग के साथ जुड़ा हुआ तो फु. प्र. वि. ए. व. अयं लोकियलोकुत्तरवसेन दुविधोतिआदीसु अरियमग्गसम्ययुक्तो समाधि वृत्तो विसुद्धि. 1.88; - त्ता स्त्री. प्र. वि., ए. व. - अरियमग्गसम्पयुत्ता पन विरति समुच्छेदविरती ति वेदितबा ध. स. अ. 149 - सम्भारभाव पु. तत्पु. स. [ आर्यमार्गसम्भारभाव ] लोकोत्तरमार्ग अथवा स्रोतापत्ति आदि मार्गों के लिए आवश्यक आधारभूत सामग्री तो प. वि. ए. व. - सा - अत्रिच्छतामाहिच्छतापापिच्छतादीनं पापधम्मानं पहानाधिगमहेतुतो, सुगतिहेतुतो, अरियमग्गसम्भारभावतो, चातुदिसादिभावहेतुतो च मङ्गलन्ति वेदितब्बा, खु. पा. अड 118: सोत नपुं तत्पु, स. [आर्यमार्गस्रोत] आर्यमार्ग की धारा तं नपुं. प्र. वि., ए. व. सोतापन्नाति अरियमग्गसोतं आपन्ना. अ. नि. अड. 3.315: ग्गाधिगमन नपुं, तत्पु, स॰ [आर्यमार्गाधिगमन] आर्यमार्ग की प्राप्ति, आर्यमार्ग पर स्थिति तो प. वि. ए. व. सब्बाकुसलेहि च सब्बया विमुत्तो अरहा अरियमग्गाधिगमनतो पुणे सुपिनन्तेपि अतिष्णपुब... उदा. अड. 295. अरियमण्डल पु. तत्पु. स. [आर्यमण्डल]. बुद्धों तथा उनके शैक्ष्य एवं अशैक्ष्य शिष्यों का समूह ला प्र. वि. ब.व. तपिता परमन्नेन सब्बे ते अरियमण्डला, अप. 1.3. अरियमनुस्स पु. ब. व. में प्राप्त कर्म. स. [आर्यमनुष्य]. आर्यदेश के निवासी मनुष्य स्सानं ष. वि. ब. व. अरियं आयतनन्ति यत्तकं अरियमनुस्सानं ओसरणद्वानं नाम अस्थि, उदा. अड. 341 अश्यिकमनुस्सानन्ति अरिवदेसवासिमनुस्सान दी. नि. महाटी. 2.123. अरियरतन नपुं तत्पु, स. [आर्यरत्न] 8 प्रकार के आर्यजनरूपी रत्नन प्र. वि. ए. व. अरियरतनम्पि दुविधं सेखासेखवसेन, खु. पा. अट्ठ. 141. For Private and Personal Use Only - - - -
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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