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अरञ्जवास
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अरञाराम
सदा ब. व. में ही प्रयुक्त [अरण्यवनप्रस्थ], क. जंगल एवं पठार में स्थित वन, ख. जंगलों एवं वनों में विद्यमान आश्रय-स्थल - नि प्र. वि., ब. व. - अरवनपत्थानि पन्तानि सेनासनानि, म. नि. 1.22; अञ्जवनपत्थानीति अरआनि च वनपत्थानि, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).119; अरञ्जवनपत्थानीति अरञकङ्गयुत्तताय अरानि, महावनसण्डताय वनपत्थानि, दी. नि. अट्ठ. 2.360; अरज्जवनपत्थानीति अरञ्जलक्खणप्पत्तानि वनपत्थानि, अ. नि. टी. 2.24. अरञवास 1. पु.. [अरण्यवास], क. वनवासी या वानप्रस्थजीवन, तपस्वी जीवन, भिक्षुभाव - सो प्र. वि. ए. व. - तस्स अञवासो न इज्झति, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).144; अरञवासो नाम बुद्धादीहि वण्णितो थोमितो ति, थेरगा. अट्ट, 1.96; - सं द्वि. वि., ए. व. - अम्हाक अनुरक्खणत्थाय अरञवासं अनुजानि जा. अट्ठ. 1.138; - सेन तृ. वि., ए. व. - किं करिस्सामि अरञ्जवासेन, जा. अट्ट, 1.114; - स्स ष. वि., ए. व. - अरुञवासस्स पच्चयसम्पत्तिं दरसेति, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).114; - से सप्त. वि., ए. व. - अरतिन्ति अरजवासे उक्कण्ठितत्तं. ध. प. अट्ठ. 2.413; - म्हि सप्त. वि., ए. व. - तस्मा अज्ञवासम्हि रतिं कयिराथ पण्डितोति, विसुद्धि. 1.72; 2 त्रि., ब. स., तापस जीवन बिताने वाला, वानप्रस्थ, वन में वास करने वाला साधक, वनवासी - सा पु., प्र. वि., ब. व. - अरञवासा अहेसुं... उत्तमत्थगवेसका, मि. प. 130; - वासी त्रि.. [अरण्यवासिन्], वन में निवास करने वाला, तपस्वी जीवन बिताने वाला - सिनो पु., प्र. वि., ब. व. - अरुञवासिनो पन दुब्बलमनुस्सा ... न सक्कोन्ति, म. नि. अट्ट (मू.प.) 1(2).137; - वासिको पु., प्र. वि., ए. व.. उपरिवत् - अरञवासिको एको तापसो झानलाभी, जा. अट्ठ. 1.286; - विहार पु.. [अरण्यविहार], क. वन में निवास - रेन त. वि., ए. व. - अत्तमनो होमि अरविहारेन, अ. नि. 2(2).57; ख. वन में विद्यमान आवास-गृह - स्स ष. वि., ए. व. - एकस्स अरविहारस्स पिट्ठिभागे पादे ..... पलिबुद्धो, जा. अट्ठ. 3.292; - सङ्गामगत त्रि., [अरण्यसंग्रामगत], जङ्गल में हो रहे युद्ध में पहुंचा हुआ - तो पु., प्र. वि., ए. व. - अरञसङ्गामगतो अवसेसधुतायुधो, । विसुद्धि. 1.72; - सज्ञा स्त्री., प्र. वि., ए. व. [अरण्यसंज्ञा]. शा. अ. वन में एकान्तसेवन से सम्बन्धित सोच-विचार, ला. अ. लगावरहित या अनासक्त जीवन की इच्छा,
अनासक्तिभाव के लिए संकल्प - मिगसूकरादिसद्देन अरञ्जसा उप्पज्जति, सु. नि. अट्ठ. 2.68; - अं द्वि. वि., ए. व. - अरञस येव मनसि करिस्सति एकत्तन्ति, अ. नि. 2(2).57; - य तृ. वि., ए. व. - अरअसआय चित्तं पक्खन्दति ... अधिमुच्चति, म. नि. 3.148; - सजी त्रि., [अरण्यसंज्ञिन], लगावरहित जीवन की इच्छा करने वाला, अनासक्तिभाव के लिए सुदृढ़ संकल्प करने वाला - चिनो पु, ष. वि., ए. व. -- विवेककामस्स अरअसचिनो, थेरगा. 110; - सत्थ पु., एक चक्रवर्ती राजा का नाम - त्थो प्र. वि., ए. व. - अरञसत्थो नामेन, चक्कवत्ती महब्बलो, अप. 1.281; - सामिक पु., तत्पु. स. [अरण्यस्वामिन], जंगल का स्वामी - मिका प्र. वि. , ब. व. - अरञसामिका एतेसं अनिस्सरा, पारा. अट्ठ. 1.274; - सुनख पु.. तत्पु. स., जंगली कुत्ता, भेड़िया - खो प्र. वि., ए. व. - एत्थ कोकोति अरञसुनखो, सद्द. 2.325; - सेनासन नपु., तत्पु. स. [अरण्यशयनासन], जंगल में बना निवास स्थान - नं द्वि. वि., ए. व. - तेनस्स परक्कमजवयोग्गभूमि अरञसेनासन दस्सेन्तो भगवा ..., पारा. अट्ठ2.12; - अस्स पु.. [अरण्याश्व], जंगली घोड़ा - स्सा प्र. वि., ब. व. - हत्थी अरञहत्थी अस्सा अरु अस्सा. म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.240. अरञानी स्त्री., [अरण्यानी], विशाल वन, बीहड़ जंगल, बड़ा जंगल, विस्तृत मरुभूमि - नियं सप्त. वि., ए. व. - ब्रहावनेति महारुक्खगच्छगहनताय महावने अरुआनियं ...., थेरगा. अट्ठ. 1.96. अरआयतन नपुं.. तत्पु. स. [अरण्यायतन]. वन में मौजूद (वन्य पशुओं अथवा तपस्वियों का) आश्रय-स्थल, वन्य निवासस्थली - नं प्र. वि., ए. व. - रमणीयं अरआयतनं ...... पे. व. अट्ठ. 36; - नानि द्वि. वि., ब. व. - भयभोगा
पटिविरता अरआयतनानि अज्झोगाहेत्वा, म. नि. 1.209; - तो प. वि., ए. व. - याजेय्याति सचे त्वं अरआयतनतो इसि लोमसकस्सपं आनेत्वा .... जा. अट्ठ. 3.454; - ने सप्त. वि., ए. व. - एकस्मिं अरआयतने फलानि खादन्तो वसति, जा. अट्ठ. 1.174. अरज्ञाराम त्रि., ब. स. [अरण्याराम], वनवासी जीवन में भरपूर आनन्द अनुभव करने वाला - मा पु., प्र. वि., ब. व. - बुद्धा हि नाम अरञज्झासया अरजारामा अन्तोगामे ..... म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.13.
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