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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अभिनिब्मिदा 486 अभिनिरोपन/अभिनिरोपना करते हुए बाहर आता है - ज्जेय्य विधि., प्र. पु., ए. व.. 3.173; यानि खो पनस्स होन्ति साठेय्यानि ... तेसमस्स भेदन करे, खण्डित करे, तोड़कर बाहर निकल जाए - सारथि अभिनिम्मदनाय वायमति, अ. नि. 3(1).32-33. अण्डकोसं पदालेत्वा सोत्थिना अभिनिभिज्जेय्य, पारा. 4:- अमिनिम्मान नपुं., [अभिनिर्माण], अभिज्ञाबल द्वारा निर्माण ज्जे व्यु ब. व. - अण्डकोसं पदालेत्वा सोत्थिना या रचना, इन्द्रजाल (इद्धिविध) द्वारा निर्माण, - नाय च. अभिनिभिज्जेय्यु. म. नि. 1.149; - तुं निमि. कृ., - वि. ए. व. - मनोमयं कायं अभिनिम्मानाय... अभिनिन्नामेति. अण्डकोसं पदालेत्वा सोत्थिना अभिनिभिज्जित, तदे. - दी. नि. 1.68. ज्ज पू. का. कृ. - अण्डकोसं अभिनिभिज्ज जायन्ति, म. अमिनिम्मित त्रि., अभि + नि + vमा का भू. क. कृ. नि. 1.106; अभिनिभिज्ज जायन्तीति भिन्दित्वा निक्खमनवसेन [अभिनिर्मित], अभिज्ञाबल या ऋद्धिबल के द्वारा निर्मित या जायन्ति, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).348. बनाया हुआ, ऋद्धिबल के द्वारा विरचित - ता पु.. प्र. वि., अभिनिमिदा स्त्री., [बौ. सं. अभिनिर्भेद], शा. अ. सफल ब. व. - अभिनिम्मिता पञ्चरथासता च ते. वि. व. 137 (प्र.) भञ्जन या निर्भेदन, ला. अ. ज्ञान-प्राप्ति की क्रमशः 13: अभिनिम्मिताति तव पुञकम्मेन निम्मिता निबत्ता, वि. विकसित होने वाली अवस्थाएं, मन के क्लेशों का भञ्जन व. अट्ठ. 63. करके प्राप्त ज्ञान की अवस्था - अयमस्स पठमाभिनिभिदा अभिनिम्मिनाति अभि + नि + vमा का वर्तः, प्र. पु., ए. व. होति कुक्कुटच्छापकस्सेव अण्डकोसम्हा, म. नि. 2.22; [बौ. सं. अभिनिर्मिमीते एवं अभिनिर्मिणोति], अभिज्ञाबल पठमाभिनिभिदाति पठमो आणभेदो. म. नि. अट्ठ. (म.प.) द्वारा, निर्माण करता है या उत्पन्न करता है, आकार 2.23; - दाय च. वि., ए. व. - उस्सोळ्हीपन्नरसङ्गसमन्नागतो (आकृति) प्रदान करता है - अझं कायं अभिनिम्मिनाति भिक्ख भब्बो अभिनिबिदाय, म. नि. 1.149; अभिनिभिदायाति रूपिं... अहीनिन्द्रियं दी. नि. 1.68; - न्ति ब. व. - अज आणेन किलेसभेदाय, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).382; - कायं अभिनिम्मिनन्ति रूपिं मनोमयं म. नि. 2.219; - पञत्ति स्त्री., प्र. वि., ए. व., अभिनिर्भेद की प्रज्ञप्ति या नन्तानं वर्त. कृ., ष. वि., ब. व. - मनोमयं कार्य प्रकाशन, - अभिनिबिदापत्ति चित्तस्स, नेत्ति. 51. अभिनिम्मिनन्तानं यदिदं, अ. नि. 1(1).32; - नित्वा पू. का. अभिनिमन्तनता स्त्री., अभिनिमन्तन का भाव. कृ.- ओळारिक अत्तभावं अभिनिम्मिनित्वा भगवन्तं अभिवादेत्वा [अभिनिमन्त्रणत्व, नपुं.], अनुरोध किया जाना, प्रार्थना किया ...., अ. नि. 1(1).314; - नेय्य विधि., प्र. पु., ए. व. - जाना, अनुनय से भरे वचनों को कहा जाना - य तृ. वि., पुरिसरूपं वा अभिनिम्मिनेय्य सब्बङ्गपच्चङ्ग स. नि. 1(2).90. ए. व. - इति हिदं मारस्स च... अभिनिमन्तनताय .... म. अभिनिरोपन/अभिनिरोपना अभि + नि + रुह के प्रेर. नि. 1.415; ब्रह्मनो च अभिनिमन्तनतायाति बकब्रह्मनो च से व्यु., क्रि. ना. [अभिनिरोपण], क. नपुं./स्त्री., आलम्बनों ... कायकेन ब्रह्मटानेन निमन्तनवचनेन, म. नि. अट्ठ. पर चित्त का लगाव या चित्त को रख देना - नो पु., प्र. (मू.प.) 1(2).308. वि., ए. व. - ... ठितकण्टको विय अभिनिरोपनो वितक्को, अभिनिमन्तेति अभि + नि+vमन्त का वर्त., प्र. पु., ए. व. पटि. म. अट्ठ. 1.154; - ना स्त्री., प्र. वि., ए. व. - सुतत्ता [अभिनिमन्त्रयते]. साथ लाई हुई वस्तुओं को स्वीकार करने अभिनिरोपना विपाकमनोधातु विज्ञाणचरिया, पटि. म. 733; हेतु अनुरोध करता है, देय वस्तु के ग्रहण करने हेतु यो खो, भिक्खवे, अरियचित्तस्स ... तक्को वितक्को ... आमन्त्रित करता है - त्तेय्याम विधि., उ. पु., ब. व. - चेतसो अभिनिरोपना वचीसङ्घारो.... म. नि. 3.120; आरम्मणे अभिनिमन्तेय्यामपि नं चीवरपिण्डपातसेनासनगिला- चित्तं अभिनिरोपेति पतिठ्ठापेतीति चेतसो अभिनिरोपना, ध. नप्पच्चयभे सज्जपरिक्खारेहि, दी. नि. 1.53; स. अट्ठ. 187; - लक्खण नपुं.. अभिनिरोपण की विशिष्टता अभिनिमन्तेय्यामपि नन्ति अभिहरित्वापि नं निमन्तेय्याम, दी. या लक्षण - णं प्र. वि., ए. व. - वितक्कस्स नि. अट्ठ. 1.140. अभिनिरोपनलक्खणं दी. नि. अट्ठ. 1.60; पटि. म. अट्ठ. 1. अमिनिम्मदन नपुं., अभि + नि + vमद से व्यु. क्रि. ना., 176; ख. त्रि., ब. स., वह, जिसका लक्षण (किसी पर) घोड़े या हाथी को वश मे लाना या दमन करना, संशोधन, अभिनिरोपित कर दिया जाना या रख दिया जाना हो- णो सुधार, ठीक करना, सही करना - नाय च. वि. ए. व. - पु., प्र. वि., ए. व. - सम्मा अभिनिरोपनलक्खणो सम्मासङ्कप्पो, आरञ्जकं नागं दमयाहि... सीलानं अभिनिम्मदनाय. म. नि. दी. नि. अट्ठ. 1.252. For Private and Personal Use Only
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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