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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 402 अपिलापन अपिहित बहाव का अभाव, छलांग-रहित, ला. अ. अविस्मरण, नहीं नहीं देता है, स्मृति में ला देता है - सति कुसले धम्मे भूल जाना, पुनः पुनः बोलना - अपिलापे करोति अपिलापेति. अपिलापेति-इमे चत्तारो सतिपट्टाना, ..., ध. स. अट्ठ. म. नि. टी. (मू.प.) 1(1).155. 166; सति उप्पज्जमाना अपिलापन नपुं.. पिळु के प्रेर. से व्यु. पिलापन का निषे. कुसलाकुसलसावज्जानवज्जहीनपणीतकण्हसुक्कसप्पअथवा अपि + Vलप से व्यु. [अप्लावन]. शा. अ. बाढ़ या टिभागधम्मे अपिलापेति, मि. प. 35. जल-प्रलय में निमग्न नहीं हो जाना या डूब न जाना, बार- अपिवन्तियो स्त्री., vपा के वर्त. कृ. का प्र. वि., ब. व., बार दुहराना ला. अ. अविस्मरण, नहीं भूल जाना, अप्रभोष (पिबन्तियो) का निषे. [अपिबन्त्यः], नहीं पी रहीं, जल का - अपिलापनं असम्मोसो निमुञ्जित्वा विय आरम्मणस्स पान न ही कर रहीं - यथा ता तिणं अखादन्तियो पानीयं ओगाहणे वा, नेत्ति. अट्ठ. 220; सा पजाननटेन पञ्जा, अपिवन्तियो सयन्ति, तथा सयन्तीति अत्थो, जा. अट्ठ. 5.18. यथादिट्ठ अपिलापनढेन सति, नेत्ति. 15; आरम्भढेन वीरियं अपिसुण त्रि., पिसुण का निषे., तत्पु. स. [अपिशुन], शा. अपिलापनढेन सति अविक्खेपढेन समाधि, पजाननटेन पञ्जा, अ. चुगली न करने वाला, ला. अ. चुगलखोरी से रहित, नेत्ति. 45; - किच्च नपुं, तत्पु. स., अविस्मरण का कृत्य, सज्जन, निष्ठावान् व्यक्ति - नानुम्मत्तो नापिसुणो, नानये नहीं भूल जाने का कार्य, स्मृति को जागृत रखने की क्रिया नाकुतूहलो, जा. अट्ठ. 2.347; नापिसुणोति एत्थापि यो - सतिया च अपिलापनकिच्चं साधेन्तिया लद्धपकारो हुत्वा पिसुणो होति, तदे, अपिसुणं वाचं निस्साय पिसुणा वाचा सक्कोति, विभ. अट्ठ. 84; - ता स्त्री., अपिलापन का भाव. पहातब्बाति, म. नि. 2.26. [अप्लावनता], अविस्मरण की अवस्था, नहीं भूल जाना, अपिह त्रि., पिहा का निषे., ब. स. [अस्पृह], स्पृहा या अविप्रमोष, स्मृति की जागरूकता - सति सरणता धारणता इच्छा से रहित, कामनाओं से मुक्त - अपिहा नूनं मयिपि, अपिलापनता असम्मुस्सनता सति सतिन्द्रियं सतिबलं वनथो तेन विज्जति, थेरगा. 338; - नसील त्रि., ब. स. सम्मासति, ध. स. 14; 23; 290; तेनेव सद्धा ओकप्पनाति अस्पृहणशील], स्वभाव से ही लोभ-लालच से मुक्त, स्वभाव वुत्ता, सति अपिलापनताति, समाधि अवहितीति, पञआ। से ही कामनाओं से रहित - अपिहालूति अपिहनसीलो, परियोगाहनाति, ध. स. अट्ठ. 188; - भाव पु., तत्पु. स... पत्थनातण्हाय रहितोति वुत्तं होति, सु. नि. अट्ट. 2.241. उपरिवत् - अनुपविसनसङ्घातेन ओगाहनढेन अपिलापनभावो अपिहा स्त्री., पिहा का निषे. स॰ [अस्पृहा], कामना या तृष्णा अपिलापनता, ध. स. अट्ठ. 191; - रस त्रि., ब. स., विस्मृत का अभाव - अपिहा नूनं मयिपि, वनथो ते न विज्जति, न कर देने का कार्य करने वाला, वह, जिसका कार्य स्मृति थेरगा. 338; - गिध त्रि., ब. स. [अस्पृहगृध], ईर्ष्या, द्वेष को विलुप्त न होने देना है - इमे चत्तारो सतिपट्ठानाति एवं लोभ-लालच से रहित, राग और द्वेष से मुक्त चित्त वाला वित्थारो, अपिलापनरसा, किच्चवसेनेव हिस्स एतं लक्खणं - विचरन्तं तमद्दक्खिं पिण्डत्थं अपिहागिधं, अप. 2.126; - थेरेन वुत्तं. म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).90; - लक्ख ण त्रि.. लु त्रि.. [अस्पृहालु], अत्यधिक तृष्णा या आसक्ति को न ब. स. [अप्लावनलक्षण], वह, जिसका लक्षण स्मृति को रखने वाला - अपिहालूति अपिहनसीलो, पत्थनातण्हाय मिटाना या धुंधला करना न हो- अपिलापनलक्खणा सति, रहितोतिवुत्तं होति, सु. नि. अट्ठ. 2.241; पतिलीनो अकुहको, तस्सा सतिपट्टानं पदट्ठान, नेत्ति. 25; सा पनेसा अपिहालु अमच्छरी, सु. नि. 858; दब्बो चिररत्तसमाहितो, उपट्ठानलक्खणा, अपिलापनलक्खणा वा, म. नि. अट्ठ. अकुहको निपको, अपिहालु, स. नि. 1(1).217; - लुक त्रि., (मू.प.) 1(1).89; अपरो नयो - अपिलापनलक्खणा सति, अपिहालु से व्यु., उपरिवत् - तेन अलङ्करणेन ध. स. अट्ठ. 167. अनपेक्खणसीलो, अपिहालुको, नित्तण्हो, विभूसनहाना विरतो अपिलापिस पु., व्य. सं., एक चक्रवर्ती राजा का नाम - सच्चवादी एको चरेति, सु. नि. अट्ठ. 1.89. छळासीतिम्हितो कप्पे, अपिलासिसनामको, अप. 1.209. अपिहित' त्रि., पिहित का निषे. [अपिहित], खुला हुआ, नहीं अपिलापेति प + Vलप के प्रेर. के वर्त, प्र. पु., ए. व. का वर्जित, नहीं बन्द किया हुआ - अनोवटोति अपिहितो निषे. [अप्रलापयति/अभिलापयति], शा. अ. छिपाकर अवारितो अप्पटिक्खित्तो, पाचि. अट्ठ. 58; - द्वारता स्त्री., नहीं रखवाता है, टालमटोल नहीं कराता है, बार बार भाव., द्वारों का खुला हुआ होना, द्वारों का बन्द न रहना - दुहराता है; ला. अ. विलुप्त नहीं होने देता है, भुलाने अनावटद्वारतायाति अपिहितद्वारताय, दी. नि. अट्ठ. 3.126. For Private and Personal Use Only
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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