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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अपस्सितब्बयुत्तक 391 अपहरति व. - दलिद्दा कपणा नारी, परागारं अपस्सिता, वि. व. 185; अपह त्रि., अप + Vहा से व्यु. [अपह], नष्ट करने वाला, परागारं अपरिसताति परगेहं निस्सिता, वि. व. अट्ठ. 81; - विनाशक, केवल स. उ. प. के रूप में ही प्रयुक्त, अघापह ता' पु., प्र. वि., ए. व. - अत्रे च उत्तरकुरु, सकं आदि के अन्त. द्रष्ट... बलमवस्सिता, अप. 1.383. अपहत त्रि., अप + Vहन का भू. क. कृ. [अपहत], नष्ट कर अपस्सितब्बयुत्तक नपुं., कर्म स., अमङ्गल कारक दृश्य, दिया गया, हटा दिया गया, मिटाया हुआ, पीड़ित, अशुभ प्रकाशित करने वाला दृश्य - ता ते चण्डालपुत्ते व्यथित - तेन पुत्तकं गच्छस्स. मा सोकापहतो भवाति, .... चण्डालपुत्ताति सुत्वा अपस्सितब्बयुत्तकं वत पस्सिम्हाति थेरगा. 82; - काळक त्रि., ब. स., वह, जिसकी कालिमा .... निवत्तिंसु, जा. अट्ठ. 4.350. या दूषित तत्त्व हटा दिए गये हैं, काले धब्बों से अपस्सेतु पु., अप + Vसी से व्यु., क. ना. [अवश्रयितु]. रहित, क्लेशों से मुक्त- अपहतकाळकोतिपि पाठो, पारा. अट्ठ. किसी के सहारे टिकने वाला, किसी का सहारा लेकर स्थित 1.149. या लेटा हुआ - ... नाभिजानामि अपस्सेनकं अपस्सयिता अपहत्तु पु.. अप+Vहर से व्यु., क. ना. [अपहर्तृ], अपहरण .... कप्पेता, म. नि. 3.168. करने वाला, हटा देने वाला, मिटा देने वाला, नष्ट कर देने अपस्सेन' नपुं., अप + /सी से व्यु. [अपाश्रयण], शा. अ. वाला; - ता प्र. वि., ए. व. - बहूनं वत नो भगवा दीवाल पर टिकने हेतु प्रयुक्त लकड़ी या धातु की पट्टी, ला. दुक्खधम्मानं अपहत्ता बहूनं ... उपहत्ता..., म. नि. 2.120; अ. निर्भरता, भरोसा, अनुपालन - अपस्सेनं नाम अपस्सेने अपहत्ताति अपहारको, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.117; विलो. सत्थं वा ठपेति विसेन वा मक्खेति ... ठपेति, पारा. 91; 88; उपहत्तु. अपस्सेने सत्थं वाति एत्थ अपस्सेनं नाम निच्चपरिभोगो अपहरण नपुं., अप + Vहर से व्यु., क्रि. ना. [अपहरण], दूर ... अपस्सेनकत्थम्भो ... आलम्बनरुक्खो ... अपस्सयनीयद्वेन ले जाना, चुरा कर ले जाना, लूट कर ले जाना-सो या अपस्सेनं नाम, पारा. अट्ट. 2.51; हत्थिनागे च पल्लङ्के, ता साललट्ठियो कुटिला ओजापहरणियो ता छेत्वा बहिद्धा अपस्सेनञ्चनप्पक, अप. 1.302; - नानि ब. व. - चत्तारि नीहरेय्य, ... विसोधेय्य, म. नि. 1.177; ओसधसमो सत्तानं अपस्सेनानि, ... सवायेकं पटिसेवति, ... अधिवासेति ... किले सब्याधि पसमें, उदक समो सत्तान परिवज्जेति, ... विनोदेति, दी. नि. 3.179; अपस्सेनानीति किलेसरजोजल्लापहरणे, मि. प. 188. अपस्सयानि, दी. नि. अट्ठ. 3.173; कथञ्चावुसो, भिक्खु अपहरति अप + हर का वर्त, प्र. पु., ए. व. [अपहरति], चतुरापस्सेनो होति, ..., दी. नि. 3.215; तुल. अपस्सय, 1. दूर ले जाता है, हटा देता है, रोक देता है, निवारण ऊपर; - त्थम्भ पु., कर्म. स. [अपाश्रयणकस्तम्भ], टिकने करता है - कसामिवाति यथा भद्रो अस्सो अत्तनि पतमानं के लिये सहारा देने वाला स्तम्भ या खम्भा - अपस्सेने सत्थं कसं अपहरति, अत्तनि पतितुं न देति, ध. प. अट्ठ. 2.48; - वाति एत्थ अपस्सेनं नाम ... अपस्सेनफलकं वा दिवाहाने न्तो पु., वर्त. कृ., प्र. वि., ए. व. - यो निद्दन्ति अप्पमत्तो निसीदन्तस्स अपस्सेनकत्थम्भो वा तत्थजातकरुक्खो वा समणधम्म करोन्तो अत्तनो उप्पन्नं निदं अपहरन्तो बुज्झतीति चङ्कमे अपस्साय अपस्साय तिट्ठन्तस्स ... अपस्सयनीयद्वेन अपबोधेति, ध. प. अट्ठ. 2.48; यो निन्दं अपबोधतीति यो अपस्सेनं नाम, पारा. अट्ठ. 2.51; - फलक नपुं.. कर्म. स. गरहं अपहरन्तो बुज्झति, स. नि. अट्ठ. 1.35; अपहरन्तोति [अपाश्रयणफलक], विहार की रंगी-पुती दीवालों पर सिर अपनेन्तो ... एवं परिहरन्तोति अत्थो, स. नि. टी. 1.72; - या पीठ टिकाने हेतु प्रयुक्त लकड़ी का तख्ता या धातु से रितुं/हातुं निमि. कृ. - अप्पम्पि तस्स अपहातुमिच्छति, निर्मित पट्टिका - अपस्सेनफलकं नीहरित्वा एकमन्तं अ. नि. 2(2).230; - रित्वा पू. का. कृ. - पुन चपरं निक्खिपितब्बं महाव. 53; अपस्सेने सत्थं वाति एत्थ अपस्सेनं महाराज, तच्छको फेगुं अपहरित्वा सारमादियति, .... मि. नाम ... पीठं वा अपस्सेनफलकं वा दिवाडाने निसीदन्तस्स प. 386; 2. मना कर देता है, आपत्ति खड़ी कर देता है; अपस्सेनकत्थम्भो वा ... आलम्बनफलकं वा सब्बम्पेतं - न्ति वर्त. प्र. पु. ब. व. - ये ते पन्हवीमंसका परिसा अपस्सयनीयद्वेन अपस्सेनं नाम, पारा. अट्ठ. 2.51. पारिसज्जा पासारिका, ते अपहरन्ति, अत्थापगतं भणितान्ति अपस्सेन' पु., व्य. सं., एक चक्रवर्ती राजा का नाम - इतो अत्थतो अपहरन्ति, ... अत्थो ते दुन्नीतो, महानि. 1213 छट्टम्हि कप्पम्हि, अपस्सेनसनामको, अप. 1.225.. अपहरन्तीति पटिबाहन्ति, महानि. अट्ठ.226. For Private and Personal Use Only
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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