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अन्तोनगर 342
अन्तोभाव अन्तोनगर न, अव्ययी. स., नगर का भीतरी क्षेत्र - पविसनवातोति विनयट्ठकथायं कुत्तं विसद्धि. 1.260; परसासोति
अन्तोनगरं सम्बाधं अम्हाकं परिजनो महन्तो ध. प. अट्ठ. 1217. अन्तोपविसनवातो, पारा. अट्ठ.2.13. अन्तोनिज्झान/अन्तोनिज्झायन नपुं., मन की बेचैनी, अन्तोपवेसन नपुं.. [अन्तःप्रवेशन], अन्दर में प्रवेश कराना
आन्तरिक कष्ट, चित्त का सन्ताप - सोकोति सोचनं या रख देना, अन्दर खोद कर गाड़ देना, भीतर घुसा देना चित्तसन्तापो, अन्तोनिज्झानन्ति अत्थो, पे. व. अट्ठ. 15; - अन्तोपवेसने निखातो, नीहरणे निद्धारणंसद्द. 3.885. तत्थ अन्तोनिज्झायनलक्खणो सोको, दी. नि. अट्ठ. अन्तोपुब्बलोहित त्रि., ब. स., अन्दर में पीब एवं रक्त से 1.103.
भरा हुआ - सो हि ... दुत्तिकिच्छो अन्तोदोसो अन्तोनिमुग्गपोसी त्रि., अव्ययी. स., पानी के अन्दर डूबे अन्तोपुब्बलोहितोव होति, स. नि. अट्ठ. 1.45. रहते हुए पुष्टि को प्राप्त करने वाला - ... उदके जातानि अन्तोपूति त्रि., [अन्तःपूति], अन्दर से प्रदुष्ट या सड़ा हुआ, उदके संववानि उदकानुग्गतानि अन्तोनिमुग्गपोसीनि, दी. चित्त के भीतर अकुशल एवं मलिन मनोभावों से परिपूर्ण - नि. 1.66; अन्तोनिमुग्गपोसीनीति उदकतलस्स अन्तो एकच्चो दुस्सीलो होति ... अस्समणो ... ब्रह्मचारिपटिओ निमुग्गानियेव हुत्वा पोसीनि, ववीनीति अत्थो, दी. नि. अट्ठ. अन्तोपूति अवस्सुतो कसम्बुजातो, स. नि. 2(2).183; 1.177.
अन्तोपूतीति वक्कहदयादीसु अपूतिकस्सपि गुणानं पूतिभावेन, अन्तोनिरोध पु., कर्म स., आन्तरिक रूप में निरोध या अन्तोपूति, स. नि. अट्ठ. 3.84; इधेकच्चो पुग्गलो दुस्सीलो विनाश, निरोध का आन्तरिक पक्ष - ततो चित्तसङ्घारोति ततो होति पापधम्मो ... अन्तोपूति अवस्सुता ..., महानि. 168; परं चित्तसङ्कारो अन्तोनिरोधे निरुज्झति, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) अन्तो पूतीति अमान्तरे कु सलधाम्मविरहितत्ता 1(2).260; पञ्चिमानि, आवुसोति इध किं पुच्छति? अन्तोपूतिभावमापन्नो, महानि. अट्ठ. 270; - भाव पु., तत्पु. अन्तोनिरोधस्मिं पञ्च पसादे .... म. नि. अट्ठ. 1(2).244. स. [अन्तःपूतिभाव], आन्तरिक अपवित्रता - को थले उस्सादो, अन्तो-निसीदनयोग्ग त्रि., अन्दर बैठने योग्य - ... पुत्तदारस्स ... को आवट्टग्गाहो, को अन्तोपूतिभावोति, स. नि. 2(2).182;
अन्तो निसीदनयोग्गं गरुळसकुणं कत्वा ....ध. प. अट्ठ. 2.74. अन्तो पूतीति अब्भन्तरे कुसलधाम्मविरहितत्ता अन्तोपब्बतेन अ., अव्ययी. स., क्रि. वि., पर्वत के भीतर से अन्तोपूतिभावमापन्नो, महानि. अट्ठ. 270. होकर - ततो ... पब्बतं पविसित्वा तासेन्तो वग्गन्तो अन्तोफेग्गू त्रि., [अन्तःफल्गु], भीतर में तत्त्वहीन या सारहीन, अन्तोपब्बतेन उग्गन्त्वा महासत्तं पादे दळ्हं गहेत्वा ... अन्दर से बिना गूदे वाला हृदयरूपी काष्ठ - तिणा लतानि विस्सज्जसि, जा. अट्ठ. 7.203.
ओसझोति अन्तोफेग्गुबहिसारतिणानि च लतानि च अन्तोपरिदाह पु., कर्म. स., आन्तरिक जलन, मन के अन्तोसारओसधियो च, जा. अट्ठ. 5.88; तिणादीसु तिणं नाम
अन्दर शोक आदि से उत्पन्न जलन या चुभन - सोकोति अन्तोफेग्गु बहिसारं तालनाळिकेरादि, स. नि. अट्ठ. 2.234. ... सोको सोचना सोचितत्तं अन्तो सोको अन्तोपरिसोको अन्तोभत्तिक त्रि., ब. स., अन्दर में भोजन ग्रहण करने अन्तोदाहो अन्तोपरिदाहो चेतसो ... सोकसल्लं, महानि. वाला - राजा पण्डितं पुच्छि तात, अन्तोभत्तिको भविस्ससि.
उदाहु बहिभत्तिको ति, जा. अट्ठ. 6.173. अन्तोपविट्ठ त्रि., [अन्तःप्रविष्ट]. घर के अन्दर प्रवेश कर अन्तोभविक त्रि., किसी के अन्तर्गत आने वाला, किसी में चुका या प्रवेश किया हुआ - तत्थ एकेन छिद्देन गोधा अन्तो अन्तर्भूत होने वाला - न परिनिबुतो बुद्धो संयुत्तो लोकेन पविट्ठा, ध. प. अट्ठ. 2.240; मिगे अन्तो पविढे द्वारं पिदहिंसु, अन्तोभविको लोकस्मिं लोकसाधारणो, मि. प. 107. जा. अट्ठ. 1.160; - हनुक त्रि., भीतर की ओर धंसे हुए अन्तोभाग पु., [अन्तर्भाग]. भीतरी हिस्सा, आन्तरिक भाग - चिबुक वाला, कुछ कम उभाड़ वाले चिबुक वाला - ते सामीप्ये बन्धने छेकान्तोभागोपरीतीस च, अभि. प. 1166. इमिना ... कथितभावं जनो जानातूति अन्तोपविठ्ठहनुका वा अन्तोभाव पु., [अन्तर्भाव], किसी के अन्तर्गत रहना, किसी वङ्कहनुका वा ... होन्ति, दी. नि. अट्ठ. 1.110.
में अन्तर्भूत होना - अन्तोभावभुसत्थातिसयपूजास्वतिक्कमे, अन्तोपविसनवात पु., कर्म. स., बाहर से भीतर की ओर अभि. प. 1182; हिंसा पकारन्तोभाववियोगावयवेसु च, अभि. खींची गयी श्वांस, प्रश्वास - पस्सासो ति अन्तोपविसनवातो प. 1163; पकारे अभिनिष्फन्ने अन्तोभावे च तप्परे, सद्द. ति विनयट्ठकथायं वुत्तं, सद्द. 2.399; पस्सासोति अन्तो 3.881; अन्तोभावे पक्खित्तं, तदे..
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