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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुराधपुर 284 अनुरुध तथा, म. वं. 9.9; तेसं उरुवेल-अनुराधानं निवासा च द्रष्ट.; - पटिविरुद्ध त्रि.. राग एवं विरोध से युक्त - सा तथा उरुवेलअनुराधा ति वुच्चन्ती ति अत्थो, ..., सो पनावु सो, निट्ठा अनुरुद्धप्पटिविरुद्ध स्स उदाहु अनुराधो वासिं कारेसी ति सम्बन्धो, म. वं. टी. 237(ना.); अननु रुद्धअप्पटि-विरुद्धस्सा ति, म. नि. 1.95%3B रामो तिस्सो अनुराधो च महालि दीघावु रोहिनि, दी. वं. अनुरुद्धपटिविरुद्धस्साति रागेन अनुरुद्धस्स कोधेन 10.6; घ. अनुराधपुर का संक्षिप्तीकृत रूप - उपतिस्सगाम पटिविरुद्धस्स, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).322. मापेसि अनुराधस्स उत्तरे, म. वं. 7.44; - गाम पु.. अनुरुद्ध' पु., क. एक बुद्ध का नाम - अनुरुद्धो नाम [अनुराधग्राम]. श्रीलङ्का के प्राचीन नगर अनुराधपुर का ही सम्बुद्धो, सयम्भू अपराजितो, अप. 1.385; ख. कौण्डिन्य बुद्ध दूसरा नाम - अनुराधगामं तन्नामो कदम्बनदियन्तिके, म. के उपस्थापक या सेवक का नाम - अनुरुद्धो नामुपट्ठाको, वं. 7.43; - नगर नपुं., अनुराधपुर का ही एक अन्य कोण्डअस्स महेसिनो, बु. वं. 4.30; कोण्डअस्स बुद्धस्स नाम - ततो नुराधनगरं अभिगम्म यथाविधि, चू. वं. 59.8%; पन रम्मवती नाम नगरं ... भद्दो च सुभद्दो च द्वे अग्गसावका, गन्त्वा नुराधनगरं सयञ्च विधिकोविदो, चू. वं. 74.7. अनुरुद्धो नामु-पट्ठाको, तिस्सा च उपतिस्सा च द्वे अग्गसाविका, अनुराधपुर नपुं.. श्रीलङ्का की प्राचीन राजधानी का नाम, ... वस्ससतसहस्सं आयुप्पमाणं अहोसि, जा. अट्ठ. 1,40; ग. जिसे अनुराध ने स्थापित किया था, अनुराधपुर एवं अनुराराम बुद्ध के प्रमुख शिष्यों में से एक का नाम, जो कि शाक्यवंशीय रूप में भी उल्लिखित - नक्खत्तनामको मच्चो मापेसि था - इत्थं सुदं आयस्मा अनुरुद्धो थेरो इमा गाथायो अनुराधपुर दी. वं. 9.35; निवासट्टानुराधानं अनुराधपुरं अहु अभासित्थाति, अप. 1.33; घ. अनुरुद्धसतक, नामरूपपरिच्छेद, नक्खत्तेनानुराधेन पतिट्ठापितताय च. म. वं. 10.70; थेरो परमत्थविनिच्छय तथा अभिधम्मत्थसङ्गह नामक ग्रन्थों के तस्स ... वेहासं उप्पतित्वा अनुराधपुरस्स पुरथिमदिसाय रचयिता एक सिंहली भिक्षु का नाम - अभिधम्मावतारं ... मिस्सकपब्बते पतिहि, पारा. अट्ठ. 1.51; - रक्खक पु.. बुद्धदत्तथेरो, विनयसंगहं सारिपत्तथैरो, ... परमत्थविनिच्छयं तत्पु. स., अनुराधपुर नगर का रक्षक - अथ, एकदा नामरूपपरिच्छेदं अभिधम्मत्थसङ्गहञ्च अनुरुद्धथेरो महामच्चो नुराधपुररक्खको, चू, वं. 72.65. संवणितत्ता सुखेन च लक्खणियत्ता लक्खणगन्धा ति अनुराधा स्त्री., [अनुराधा], 27 नक्षत्रों की सूची में सातवें उच्चन्ति, सा. वं. 31(ना.); ङ(1). अनेक राजाओं का नाम, नक्षत्र का नाम - विसाखानुराधा जेट्ठा मूलासाळ्हा दुवे तथा उदयभद्द के उत्तराधिकारी पुत्र तथा मुण्डक के पिता का अभि. प. 59; ... विसाखा अनुराधा जेट्ठा मूलं पुब्बासाळ नाम - उदयभद्दपुत्तो तं घातेत्वा अनुरुद्धको, म. वं. 4.2; उत्तरासाळ .... सद्द. 2.359. अजातसत्तु बिम्बिसारं घातेसि, उदयो अजातसत्तुं. तस्स अनुराराम पु.. व्य. सं., श्रीलङ्का के रोहण में स्थित पुत्तो महामुण्डिको नाम उदयं तस्स पुत्तो अनुरुद्धो नाम अनुराधपुर विहार का हीं दूसरा नाम - कारेसि अनुराराम महामुण्डिक दी. नि. अट्ठ. 1.128; ङ.(2). श्रीलङ्का के महागामस्स सन्तिके, म. व. 35.83; कारेसिनुराधाराम ति अरिमद्दनपुर के एक शासक का नाम - सो च महागामस्स सन्तिके ततो उत्तरदिसाभागे अनुराधनामकं सिरिसङ्घबोधिराजा अम्हाकं मरम्मरटे अरिमद्दननगरे अनुरुद्धन विहारं च कारेसि, म. वं. टी. 608(ना.); कारेसि पोसथागारं नाम रञा समकालवसेन रज्जसम्पत्तिं अनुभवि, सा. वं. अनुरारामसव्हये, म. व. 36.37; 30. 23(ना.); ङ.(3). हंसावती नगर (श्रीलङ्का) के राजा, अनेक अनुरुज्झति अनु + रुधि का वर्त, प्र. पु., ए. व., सेतिमिन्द के एक राजकुमार का नाम - .... बलिभुञ्जनत्थाय [अनुरुध्यते], अनुरक्त होता है, सन्तुष्ट या आनन्दित होता जेट्टपुत्तस्स अनुरुद्धस्स नाम राजकुमारस्स दत्वा, .... सा. है, स्वीकृति देता है या अनुमोदन करता है, सहमत होता वं. 49(ना.); - संयुत्त नपुं.. स. नि. के आठवें संयुत का है - सो उप्पन्नं लाभं अनुरुज्झति, अलाभे पटिविरुज्झति नाम, 365-377; - सुत्त नपुं., म. नि. तथा स. नि. के एक ..... अ. नि. 3(1).9; अनुरुज्झतीति अनुरोधो, कामेतीति सुत्त का शीर्षक या नाम; म. नि. 3.185-191; स. नि. अत्थो , ध. स. अट्ठ. 389. 1(1).231-232. अनुरुद्ध' त्रि., अनु + रुधि का भू. क. कृ. [अनुरुद्ध]. अनुरुध अनु + (रुध का धा., रुधादि एवं दिवादिगण की सहमति को प्राप्त, अनुमोदित, समर्पित, राग से युक्त, लगाव धातुओं में परिगणित [अनुरुध, रुधादिगण]. इच्छा करना, रखने वाला, स. उ. प. के रूप में अननुरुद्ध के अन्त. कामना करना, अनुकूल होना, किसी के प्रति निष्ठावान For Private and Personal Use Only
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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