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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुमग्ग-पटिपन्न 276 अनुमत आदाय अनुमग्गं गन्त्वा बहुधनं दत्वा .... जा. अट्ठ. धम्मानुमज्जन; - लक्खण नपुं.. तत्पु. स. [अनुमार्जनलक्षण]. 1.434. पुनःपुनः अथवा निरन्तर चिन्तन करते रहने का लक्षण - अनुमग्ग-पटिपन्न त्रि., तत्पु. स. [अनुमार्गप्रतिपन्न], मार्ग विचारस्स अनुमज्जनलक्खणं पीतिया फरणलक्खणं, दी. पर पहुंचा हुआ, मार्ग पर प्राप्त हो चुका या मार्ग पर चलता नि. अट्ठ. 1.60; ... अनुमज्जनलक्खणो विचारो, फरणलक्खणा हुआ - भगवा विगतवलाहकं नभं पटिपन्नतारकराजा विय, पीति, सातलक्खणं सुखं, ... इमे पञ्च धम्मा वत्तन्ति, म. राहलभद्दो च तारकाधिपतिनो अनुमग्गपटिपन्ना नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).243; किंलक्खणो विचारो ति? परिसुद्धओसधितारका विय, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.94. अनुमज्जनलक्खणो, महाराज, विचारोति, मि. प. 64. अनुमग्गे अ., क्रि. वि., मार्ग पर, रास्ते के बगल में, मार्ग से अनुमज्जीयन्ते अनु + मज्ज के कर्म. वा. का वर्त. कृ., होकर - अजे बहू इसयो साधुरूपा, राजीसयो अनुमग्गे द्वि. वि., ब. व., गम्भीर अनुचिन्तन किये जा रहे कोवसन्ति, जा. अट्ठ. 5.191; अञ पन ... ब्राह्मणिसयो च ... अनुमज्जीयन्ते दिस्वा अज्झपेक्खि, मि. प. 256. अनुमग्गे मम अस्सममग्गपस्से वसन्ति, जा. अट्ठ. 5.191; अनुमज्झ त्रि., [बौ. सं. अनुमध्य], अत्यधिक एवं अत्यल्प के यदि केचि मनुजा एन्ति, अनुमग्गे पटिपथे, जा. अट्ठ. बीच वाला, न बहुत अधिक, न बहुत कम - अप्पम्हा अप्पक 7.271. दज्जा, अनुमज्झतो मज्झकं, जा. अट्ठ.5.383; अनुमज्झतो अनुमग्गेन अ., क्रि. वि., क्रमशः, क्रमसङ्गत पद्धति से - मज्झकन्ति अप्पमत्तकम्पि मज्झे.... जा. अट्ठ. 5.384. अनुमग्गेन सम्बुद्धो, यं धम्म अभिनीहरि अप. 2.256. अनुमज्झं अ., क्रि. वि., सन्तुलित रूप में, बहुत अधिक एवं अनुमज्जति अनु + मज्ज का वर्त, प्र. पु., ए. व. बहुत कम का परिवर्जन कर, मध्यम रूप में - एतञ्च उभयं [अनुमाति, अनुमार्जयति], शा. अ. मलता है, पोंछ अत्वा, अनुमज्झं समाचरे, जा. अट्ठ. 4.171; अनुमज्झन्ति डालता है, धो देता है, रगड़ता है, हटा देता है, ला. अ. अनुभूतं मुदुतिखिणभावानं मज्झं समाचारे, जा. अट्ठ. 4.171. गहराई के साथ चिन्तन या सोच विचार करता है - सोहि अनुमति अनु +/मन का वर्त., प्र. पु., ए. व. [अनुमन्यते], आरम्मणं अनुमज्जतीति वुत्तं, .... ध. स. अट्ठ. 160; - स्वीकृति या अनुमोदन देता है, अनुमति देता है, स्वीकार न्तो वर्त. कृ., पु., प्र. वि., ए. व., मलता हुआ, रगड़ता करता है, हामी भरता है, मंजूरी देता है; - ञ अनु., म. हुआ - ... पाणिना गत्तानि अनुमज्जन्तो तायं वेलायं इमं पु., ए. व. [अनुमन्यस्व], अपनी अनुमति दो या स्वीकृति उदानं उदानेसि, स. नि. 1(1).100; नवङ्ग अनुमज्जन्तो, दो - अनुमञ मं पब्बजितोम्हि दानी ति, थेरगा. 72; - न्तु रत्तिभागे रहोगतो, मि. प. 101; - ज्जथ अद्य., प्र. पु., ए. अनु., प्र. पु., ब. व. [अनुमन्यन्ताम्], अनुमति दें - भवञ्च व., आत्मने., उपरिवत् - लताय हत्थे बन्धित्वा, लताय राजा मनोजो, अनुमञ्जन्तु मे वचो, जा. अट्ठ. 5.317; अनुमज्जथ, जा. अट्ठ. 7.318; - ज्जि अद्य., प्र. पु., ए. व., अनुमअन्तूति अनुबुज्झन्तु, जा. अट्ठ. 5.318; - जासि उसने मला या रगड़ा - अनुमसीति कथिनसूचिं विय कत्वा विधि., म. पु., ए. व. - अपि नो अनुमआसि, अपि नो अनुमज्जि, दी. नि. अट्ठ. 1.223; - ज्जित्वा पू. का. कृ., जीवितं ददे ति, जा. अट्ठ. 5.337; अपि नो अनुमासीति पोंछ कर, स्वच्छ कर - उट्ठायासना उदकेन अक्खीनि चित्तकूटं गन्त्वा जातके पस्सितं त्वं अपि नो अनुजानेय्यासि, अनुमज्जित्वा दिसा अनुविलोकेय्यासि, अ. नि. 2(2).225; - जा. अट्ठ. 5.337. ज्जेय्यासि विधि., म. पु., ए. व., तुझे रगड़ना या मलना अनुमत त्रि., अनु + /मन का भू. क. कृ. [अनुमत], क. चाहिए - पाणिना गत्तानि अनुमज्जेय्यासि. अ. नि. कर्म. वा. में - अनुमोदित, स्वीकृत, आज्ञप्त, प्राधिकृत - 2(2).225. सझेन अनुमतेन पुग्गलेन अनविज्जकेन ... उपज्झायो अनुमज्जन नपुं.. [अनुमार्जन], गम्भीर अनुचिन्तन, पुनः पुच्छितब्बो, परि. 311; ... सुभासिता नो दुब्भासिता, अत्थसंहिता पुनः चिन्तन, लगातार चिन्तन - विचारितन्ति नो अनत्थसंहिता, अनुमता मया, दी. नि. 1.85; अनुमता अनुमज्जनवसेन पवत्तो विचारो, दी. नि. अट्ठ. 1.104; मयाति मम सब्ब ताणेन सद्धिं संसन्दित्वा देसिता मया सुखुमढेन अनुमज्जनसभावढेन च घण्टानुरवो विय अनुज्ञाता, दी. नि. अट्ठ. 1.216; तथागतानं अनुमतं एतं. अनुप्पबन्धो विचारो, ध. स. अट्ठ. 160; ... अनुमज्जमानो मि. प. 179; ख. कर्तृ. वा. में - मन के अनुकूल, विचारो, ध. स. अट्ठ. 160; स. उ. प. के रूप में द्रष्ट. सहमत - भरिया, महाराज, अनुमता .... मि. प. 256; स. For Private and Personal Use Only
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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