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अनुप्पदातु
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अनुप्पन्न पुनः जन्म न होने की अवस्था या स्थिति - अनुप्पत्तिधम्मतं अपि नु तेसं अनुप्पदेसि खादनीयं वा भोजनीयं वा सायनीयं आपज्जन्ति, उदा. अट्ठ. 172; अनुप्पत्तिधम्मतापादनेन वा'ति, स. नि. 1(1).189; - मि वर्त., उ. पु., ए. व. विक्खम्भेसिन्ति अत्थो, थेरीगा. अट्ठ. 37.
[अनुप्रददामि], मैं अनुप्रदान करता हूँ - अप्पेकदा नेसाह, अनुप्पदातु पु., अनु + प + Vदा का कर्तृ. कृ. [अनुप्रदात]. भो गोतम, अनुप्पदेमि खादनीयं वा भोजनीयं वा सायनीयं
शा. अ. उन्मुक्त होकर अतिरिक्त दान देने वाला, ला. अ. वाति, स. नि. 1(1).189; - देन्त त्रि., वर्त. कृ. [अनुप्रददन], प्रोत्साहित करने वाला, प्रेरित करने वाला, उकसाने वाला अनुप्रदान करता हुआ, बदले में दे रहा - अलङ्कारं अनुप्पदेन्तो - सहितानं वा अनुप्पदाता समग्गारामो समग्गरतो..., दी. दारेसु धम्मं चरति नाम, जा. अट्ट, 5.120; - देतु अनु., प्र. नि. 1.4; अनुप्पदाताति सन्धानानुप्पदाता, दी. नि. अट्ठ पु., ए. व. [अनुप्रददातु], अनुप्रदान करे - तेसं भवं राजा 1.69; भिन्नान वा अनुप्पदाता, म. नि. 1.360; भिन्नानं ... बीजभत्तं अनुप्पदेतु, दी. नि. 1.120; - देहि अनु. म. पु.. असंसन्दनाय अनुप्पदाता ..., म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).227. ए. व. [अनुप्रदेहि], तूं अनुप्रदान कर - अम्हाकञ्च कालेन अनुप्पदान/अनुप्पादान नपुं.. अनुप्पदेति से व्यु., कर्तृ. कालं अनुप्पदेहि, अ. नि. 1(1).139; - दज्जु विधि., प्र. पु.. कृ. [अनुप्रदान], क. देना, उपलब्ध कराना, दिलाना, लागू ब. व. [अनुप्रदधुः], अनुप्रदान करें - तमेनं सामिका करना - ... अनुप्पदानं ओसधीनं पटिमोक्खो इति वा इति, रजकस्स अनुपदज्जु, स. नि. 2(1).119; - य्यासि विधि., दी. नि. 1.10; मूलभेसज्जानं अनुप्पादनन्ति इमिना म. पु., ए. व. [अनुप्रदद्याः], तू अनुप्रदान करे - तेसञ्च कायतिकिच्छानं दस्सेति, दी. नि. अट्ठ. 1.86; धनमनुप्पदेय्यासि, दी. नि. 3.44; - दज्जेय्याम विधि., उ. चीवरपिण्डपात से नासनगिलानपच्च यो सज्ज- पु.. ब. व. [अनुप्रदद्याम], हमें अनुप्रदान करना चाहिए - परिक्खारानुप्पदानत्थं पधानं अ. नि. 1(1).65; ... अनुप्पदानत्थं अप्पेव नाम मयम्पि आय स्मन्तान किञ्चिमत्त पधानन्ति एतेसं ... अनुप्पदानत्थाय पधानं नाम दुरभिसम्भवन्ति अनुपदज्जेय्यामा ति, पारा. 385; - दासि अद्य.. प्र. पु., ए. दस्सेति, अ. नि. अट्ठ. 2.4; ख. दान, व्यय - अनुप्पदानेनाति व. [अनुप्रादासीत्], उसने अनुप्रदान किया - महन्तञ्चस्स लजदानेन, जा. अट्ठ. 3.178; सो मातुगामस्स यसं अनुप्पदासि, जा. अट्ठ. 3.302; - दंसु अद्य., प्र. पु.. सयनवत्थालङ्कारादिअनुप्पदानेन बहुपकारो, अ. नि. अट्ठ. 3. ब. व., उन्होंने अनुप्रदान किया- ते पनस्स सालीनं भाग 167; स. उ. प. के रूप में अलङ्कारानुप्पदान, आभिसानु०, अनुप्पदंसु, दी. नि. 3.68; - दस्सति भवि०, प्र. पु., ए. व. इस्सरियानु, उपायनानु., दानानु., पक्खभिक्खानु, पत्तानु.. [अनुप्रदास्यति], अनुप्रदान करेगा - सचे मे याचमानस्स, बलानु आदि के अन्त. द्रष्ट; - रत त्रि., [अनुप्रदानरत], भवं नानुपदस्सति, सु. नि. 989; - दस्साम भवि., उ. पु., दान देने में आनन्द लेने वाला, दान देने के काम में पूरी ब. व. [अनुप्रदास्यामः], हम लोग अनुप्रदान करेंगे - मयं तरह से लगा हुआ - एको पुरिसो सद्धो दानपति पन ते सालीनं भागं अनुप्पदस्सामाति, दी. नि. 3.68; - अनुप्पदानरतो, अ. नि. 2(2).219; अनुप्पदानरतोति पुनप्पुनं दातुं निमि. कृ. [अनुप्रदातुं], अनुप्रदान करने के लिए - दानं ददमानोव रमति, अ. नि. अट्ठ. 3.174.
अम्हाकञ्च कालेन कालं अनुप्पदातुन्ति, अ. नि. 1(1).139; अनुप्पदिन्न त्रि., अनु + प + दा का भू. क. कृ. [अनुप्रदत्त]. - दत्त्वा पू. का. कृ. [अनुप्रदाय], अनुप्रदान करके - दिया हुआ, प्रदान किया हुआ - बलञ्च भिक्खूनमनुप्पदिन्नं. दिगुणं धनमनुप्पदत्वापि सुरं पिवति, सु. नि. अट्ठ. 1.30; - ...., खु. पा. 9; पे. व. 25; बलञ्च भिक्खूनमनुप्पदिन्नन्ति । दातब्ब त्रि., सं. कृ. [अनुप्रदातव्य], अनुप्रदान किये जाने इमिना समुत्तेजेति, खु. पा. अट्ठ. 172; अनुप्पदिन्ना बुद्धेन । योग्य - मूलञ्च अनुप्पदातब्बन्ति, म. नि. 2.395. सब्बेसं बीजसम्पदा, अप. 1.153.
अनुप्पन्न त्रि., उप्पन्न का निषे॰ [अनुत्पन्न], वह, जो उत्पन्न अनुप्पदेति/अनुपदेति अनु + प + दा का वर्तः, प्र. पु., नहीं हुआ है या प्रकट नहीं हुआ है, वह, जिसका उदय नहीं ए. व. [अनुप्रददाति], बदले में या अतिरिक्त रूप में देता हआ है - अनुप्पन्न यसं उप्पादेन्तो अतिजातो, जा. अट्ठ. 6. है, प्रत्यर्पित करता है, वितरण करता है, आपूर्ति करता है 210; भगवा अनुप्पन्नस्स मग्गस्स उप्पादेता, म. नि. 3.56%; - उप्पन्नेसु किच्चकरणीयेसु तद्दिगुणं भोग अनुप्पदेति, दी. म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).275; अनुप्पन्नस्स हि लाभस्स नि. 3.142; यथिच्छितमनुप्पदेति, मि. प. 200; - सि वर्त., उप्पादनं नाम न भारो, जा. अट्ठ. 5.112; - पञत्ति स्त्री., म. पु., ए. व. [अनुप्रददासि], तुम अनुप्रदान करते हो - कर्म. स. [अनुत्पन्नप्रज्ञप्ति], अभी तक उत्पन्न नहीं हुए
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