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अनिस्सरता
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अनीति
बाहर आने अथवा उनसे छुटकारा दिलाने वाली प्रज्ञा नहीं है - इमे खो ... पञ्च कामगुणे तेविज्जा ब्राह्मणा गधिता .... अनिस्सरणपा परिभुञ्जन्ति, दी. नि. 1.222; अनिस्सरणपञआति इदमेत्थ निस्सरणन्ति, एवं परिजाननपञआविरहिता, दी. नि. अट्ठ. 1.304. अनिस्सरता स्त्री॰, इस्सरता का निषे, भाव. [अनीश्वरता]. अपना स्वामी स्वयं न होने की अवस्था, अस्वाधीनता, पराधीनता - ... वचनकरो अनिस्सरताय, मि. प. 175. अनिस्सर-विकप्पी त्रि., [अनीश्वर-विकल्पी]. स्वयं स्वामी न रहने पर भी स्वामी के समान दान आदि देने का प्रबन्ध करने वाला - न असन्थवविस्सासी च होति, न अनिस्सरविकप्पी च, अ. नि. 2(1).128; अनिस्सरविकप्पीति अनिस्सरोव समानो इमं देथ, इमं गण्हथाति इस्सरो विय विकप्पेति, अ. नि. अट्ठ. 3.45. अनिस्सरिय त्रि., निस्सरिय का निषे०, ब. स., अक्षम, असमर्थ, प्रभावहीन - अत्तनो इस्सरिये अवसवत्तनतो अनिस्सरियो, महानि. 2.279,(रो.). अनिस्सा स्त्री., इस्सा का निषे०, तत्पु. स. [अना ], ईर्ष्या का अभाव - अनिस्सा च अमच्छरियञ्च, अ. नि. 1(1).116; - मनिक त्रि०, ब. स., ईर्ष्या-रहित मन वाला - अनिस्सामनिका खो पन होति, परलाभसक्कार... न इस्सं बन्धति, अ. नि. 1(2).233; अनिस्सामनिका अहोसिन्ति इस्साविरहितचित्ता अहोसिं अ. नि. अट्ठ. 2.370. अनिस्सायनरस त्रि., ब. स., ईर्ष्यामुक्त स्वभाव वाला - .... मुदिता, अनिस्सायनरसा, ध. स. अट्ट. 237; विसुद्धि. 1.308. अनिस्सित त्रि.. निस्सित का निषे०, तत्पु. स. [अनिःश्रित अथवा अनिसित], किसी भौतिक साधन पर आश्रित न रहने वाला, आत्मनिर्भर, आचार्य अथवा उपाध्याय के आश्रय से मुक्त, तृष्णा एवं दृष्टि-ग्राह से मुक्त - अनिस्सितो छेत्व सिनेहदोसं सु. नि. 66; एवं समथविपस्सनासम्पन्नो पठममग्गेन दिद्विनिस्सयस्स पहीनत्ता अनिस्सितो, सु. नि. अट्ट, 1.94, द्रष्ट, निस्सय, आगे; - चित्त त्रि., ब. स. [अनिःश्रितचित्त], तृष्णा एवं दृष्टि आदि से मुक्त चित्त वाला, आसक्ति-रहित चित्त वाला - अनिस्सितचित्ता न आयन्ति झायमाना, नेत्ति. 34; - वग्ग पु., परि. के उपालिपञ्चक के प्रथम वर्ग का नाम, परि. 337-340. अनिस्सुकी त्रि., इस्सुकी का निषे०, तत्पु. स., ईर्ष्या से रहित, ईर्ष्यामुक्त चित्त वाला- पुन चपरं निग्रोध, तपस्सी अमक्खी होति... अनिस्सुकी होति अमच्छरी, दी. नि. 3.34.
अनिहित त्रि., निहित का निषे., तत्पु. स. [अनिहित, नहीं त्यागा गया, नहीं स्वच्छ किया गया, अपरिमार्जित, नीचे न रखा गया - अनिद्धन्तं, अनिहितं, अनिन्नीतकसावं, अ. नि. 1.253. अनीक नपुं. [अनीक, सेना, सेना की टुकड़ी - सत्तहत्थिकञ्च
अनीकं, महाव. 257; सयमेव पत्तचीवर आदाय अनीका निस्सटो हत्थी विय, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).136; यस्स पुब्बे अनीकानि, कणिकाराव पुफिता, जा. अट्ठ. 7.252; -- कग्ग नपुं.. [अनीकाग्र], सेना का अग्रभाग, सेना की अगली पंक्ति - सोभयन्तो अनीकग्गं, नागसङ्घपुरक्खतो. सु. नि. 423; अनीकग्गन्ति बलकायं सेनामुखं, सु. नि. अट्ठ. 2.102; - कट्ठ पु., [अनीकस्थ], सेना में स्थित योद्धा या राजा का अङ्गरक्षक, महावत, द्वारपाल - अनीकट्ठो तु राजूनमगरक्खगणो मतो, अभि. प. 342; अमच्चा पारिसज्जा गणकमहामत्ता अनीकट्ठा दोवारिका .... दी. नि. 3.47; अनीकट्ठाति हत्थिआचरियादयो, दी. नि. अट्ठ. 3.32; दोवारिके अनीकट्टे, अतिवेलं पजग्घति, जा. अट्ठ. 6.303; -- दस्सन नपुं.. तत्पु. स. [अनीकदर्शन], सेना की पंक्तिरचना का प्रदर्शन, सेना-प्रदर्शन, कवायद, जुलूस - उय्योधिकं बलग्गं ... अनीकदस्सनं, दी. नि. 1.6; पाचि. 146; तयो हत्थी पच्छिम हत्थानीकन्तिआदिना नयेन क्तस्स अनीकस्स दस्सनं दी. नि. अट्ठ. 1.77; - टि. सेना की ऐसी विशिष्ट रचना अनीकदस्सन कही गयी है जिसमें क्रमशः पहले तीन हाथी, तीन घोड़े, तीन रथों तथा अन्त में चार धनुर्धर पैदल सैनिकों को खड़ा किया गया हो, द्रष्ट. पाचि. 146. अनीचवुत्ति त्रि., ब. स. [अनीचवृत्ति], अविनम्र, धृष्ट, निर्लज्ज, उद्दण्ड, गुस्ताख, असंगत - अप्पतिस्सोति
अप्पतिस्सयो अनीचवुत्ति, म. नि. अट्ठ. (उप.प.) 3.26. अनीति स्त्री., ईति का निषे. [अनीति], क. आकस्मिक संकट या ऋतुजन्य रोगों का अभाव, निरुपद्रवता, अतिवृष्टि, अनावृष्टि आदि छह आकस्मिक विपदाओं का अभाव - अनीतितो निरुपद्दवतो अभयतो खेमतो ... सीतलतो दट्ठब, मि. प. 295; ख. त्रि., निषे., ब. स., आकस्मिक विपदाओं से मुक्त निरुपद्रव, उपद्रव-रहित - सम्पत्तियो दुवे भुत्वा, अनीति अनुपद्दवो, अप. 1.125; इद्धा फीता च खेमा च अनीति अनुपद्दवा, अना. वं. 40; - क त्रि., निषे., ब. स. [अनीतिक]. क. उपरिवत्, ख. नपुं. चित्तक्लेश आदि रूपी संकटों से विनिर्मुक्त स्थिति, निर्वाण का विशेषण - धम्म ... तण्हक्खयमनीतिक, स. नि. 1143; अनीतिकन्ति
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