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अधिवाहन
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दिस्वा अधिवासेतब्ब, मि. प. 105 ख सहमति प्रदान करना, स्वीकृति प्रदान करना, किसी के निमन्त्रण को स्वीकार करना सि अय., प्र. पु. ए. व. अधिवासेसि भगवा तुम्हीभावेन, दी. नि. 2.66; मम सङ्कप्पमञ्ञय, अधिवासेसि नायको, अप. 1.36 - सेतु अनु. प्र. पु. ए. व. अधिवासेतु नो भन्ते, भगवा आवसथागार, तदेव भो गोतम, अधिवासेहि अज्जतनाय भत्तं सद्धिं भिक्खुसङ्गेनाति, ध. प. अट्ठ. 1.22; सेन्तु अनु. प्र. पु. ब. व. अधिवासेन्तु मे, भन्ते थेरा, स्वातनाय गोकुले भत्तन्ति, स. नि. 2 ( 2 ) 281; न्ति वर्त. कृ. प्र. पु. ब. क. अधिवासेति एताय अत्तनो उपरि आरोपेत्वा वासेन्ति न पटिबाहन्ति, न पच्चनीकताय तिद्वन्तीति अधिवासन्ता, ध. स. अड. 417 सितं भू. क. कृ.. नपुं. प्र. वि. ए. व. सक्को देवराजा सत्धारा सुभद्दाय निमन्तनं अधिवासितन्ति ञत्वा, ध. प. अट्ठ. 2.268, तुल. अधिवत्थ, अधिवुत्थ; ग. प्रतीक्षा करना; सेहि अनु, म. पु. ए. व. सत्या अधिवासेहि ताव, सारिपुत्तोति गन्तुं न अदासि, ध. प. अड. 1.354; अधिवासेहि ताव सामि जा. अड. 3.243 - सेथ अनु. म. पु. ब. व. यदि वो धनेनत्थो, अधिवासेथ, जा. अट्ठ. 1.247; 'थोकं अधिवासेथा ति वत्वा पण्णसालं पविसित्वा, जा. अट्ठ. 7.373; - सापेसि प्रेर, अद्य., प्र. पु. ए. व.,
अम्भो दुब्राह्मण, अज्ञेस इदानेव धनं वस्सापेत्वा अम्हे अयं संवच्छर अधिवासापेसि, जा. अड. 1.247 - सापेतुं निमि. कृ. प्रेर. तं सुत्वा तापसो याव पितु आगमना अधिवासापेतुं गाधमाह, जा, अड. 5.191. अधिवाहन नपुं. ढोने वाला ले जाना वाला, वाहन, सवारी
वीरियं... योगक्खेमाधिवाहन सु. नि. 79; योगक्खेमन्ति निब्बानं दुष्यति तं अधिकत्वा वाहीयति अभिमुखं वा वाहीयतीति अधिवाहन सु. नि. अड. 1.118. अधिविमुत्ति अ. अव्ययी. स. क्रि. वि. [ अधिविमुक्ति ]. विमुक्ति के विषय में विमुक्ति के सम्बन्ध में विमुक्ति को लेकर अथ खो अहमेव तत्थ भिय्यो, यदिदं अधिविमुत्ति दी. नि. 1.157; सिक्खितब्ब ता स्त्री. भाव केवल स. उ. प. के रूप में कामाधिविमुत्तिता के अन्त दृष्ट.. अधिवृत्तिपद नपुं. रूपक गर्भित वचन, अधिवृत्ति अथवा
सत्य को अभिभूत करके कहे गये मिथ्यादृष्टि को प्रकाशित करने वाले वचन अनेकविहितानि अधिवृत्तिपदानि अभिवदन्ति दी. नि. 1.11 म नि. 3.17; तेस तेसं अधिवृत्तिपदानं सच्छिकिरियाय, अ. नि. 3(2).32; अथ वा
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अघिसेति
भूतं अत्थं अभिभवित्वा पक्तनतो अधिमुत्तियोति दिद्वियो दुष्यन्ति अधिमुत्तीन पदानि अधिमुतिपदानि दिठ्ठिदीपकानि वचनानीति अत्थो दी. नि. अ. 1.90 पाठा. अधिमुत्ति अधिसयन त्रि. [ अधिशयन] मञ्च पलंग अथवा वह स्थान, जिस पर सोया अथवा लेटा जाये अथ वा नीलाति सुसानभूमि तंयेव मञ्च विय अधिसयनाति अत्यो, पे,
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व. अट्ठ. 68.
अधिसयित त्रि., अधि + √सी का भू० क० कृ०, कर्तृ. वा. एवं
कर्म. वा. क. कर्तृ. वा. में किसी पर लेटा हुआ, किसी पर सो रहा अधिसयितो खटोपिकं भवं मो. व्या. 5.59: मगरस पन अबद्धस्स पासरासिं अधिसवितकालो विय. म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1 (2).95; ख. कर्म. वा. में - व्यक्ति द्वारा अधिगृहीत, मुर्गी द्वारा सेवित अधिसयिता खटोपिका भोता, मो. व्या. 5.58 ताय जनेतिया कुक्कुटिया पक्खे पसारेत्वा तेसं उपरि सयन्तिया सम्मा अधिसयितानि, पारा. अट्ठ. 1.101; म. नि. 1.149; स. नि. 2 (1).137, अ० नि० 2 (2). 256; नागो ते अधिसयितं धनं दस्सति म. नि. अड. (गू.प.) 1(2).33. अधिसरति अधि + √ सर से व्यु, क्रि० रू., अभिभूत कर लेता है. दबोच लेता है, काबू में कर लेता है रे विधि, प्र. पु.. ए. व. मा ते अधिसरे मुञ्च, सुबाळ्हमधिकोपित जा. अट्ट 5.112; - रित्वा पू० का. कृ. तव हृदयं कुसले अधिसरित्वा अतिक्कमित्वा परेसं अकुसलकम्मे कुच्झापितं हुत्वा मा पतिद्वायतू ति जा. अड. 5.114. अधिसीलं अ., अव्ययी. स. विषय में शील को लेकर यदिदं अधिसील दी. नि. होति. महाव. 82. अधिसील' नपुं [अधिशील]. उच्च स्तर का शील, उत्तमशील अधिसीलसिक्खाति अधिकं उत्तमं सीलन्ति अधिसीलं पारा अड. 1.192 सिक्खा स्त्री. [अधिशील शिक्षा ]. शील से सम्बन्धित बुद्ध के वचन अथवा शिक्षापद एवं तिब्बछन्दो नो भविस्सति अधिसीलसिक्खासमादाने, अ. नि. 1 ( 1 ) 261 कतमा च भिक्खवे, अधिसीलसिक्खा ?, अ० नि० 1 (1).268. अधिसेति अधि + √सी [अधि + शी] का वर्त. प्र. पु. ए. व., आश्रय लेता है, सहारा लेता है, शरण में जाता है - यं यं दिसके अधिसेति, सु. नि. 676; अधिसेतीति गच्छति अभिसेती तिपि पाठो तत्थ यं यं दिसं अत्लीयति अपस्सयतीति
शील से सम्बन्धित, शील के अथ खो अहमेव तत्थ भिय्यो, 1.157; न अधिसीले सीलविपन्नो
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