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अत्थंगमित
अत्थट/अत्थत गन्त्वा, जा. अट्ठ. 1.109; ... सोपि याव सूरियत्थङ्गमना अत्थच्छायाकारे नाति परमत्थधम्मस्स छायाकारेन जालमेव मोचेन्तो .... जा. अट्ठ. 1.206; ख. ला. अ. पटिभागाकारेन, अभि. ध. वि. 221. निरोध, उपशम, विनाश - ... दुक्खदोमनस्सानं अत्थङ्गमाय, अत्थच्छेक त्रि., तत्पु. स. [अर्थछेक], अर्थकुशल, लाभकारक अ. नि. 2(2).32; यो आपधातुया ... निरोधो वूपसमो अथवा हितकारक, शुभ के निर्णय में चतुर, बुद्धिमान - अत्थङ्गमो, स. नि. 1(2).159.
अत्थकुसलेन अत्थछेकेनाति, खु. पा. अट्ठ. 191. अत्थंगमित त्रि., अत्थ + गमित [अस्तङ्गमित], अस्त कर । अत्थजात' त्रि., अत्थ + जात ब. स., वह, जिसे कुछ काम दिया गया, क्षीण कर दिया गया, डूब चुका - सूरियो अथवा आवश्यकता आ गई हो, जरूरतमन्द, अर्थी, दीन - अत्थङ्गतो, जा. अट्ठ. 5.368; सुरियो अत्थङ्गतो, चन्दो उग्गतो, किं मित्तं अत्थजातस्स, स. नि. 1(1).42; अत्थजातस्साति जा. अट्ठ. 5.471.
उप्पन्नकिच्चस्स. स. नि. अट्ठ. 1.84; सब्बे सत्ता अत्थजाता, अत्थचर त्रि., अत्थ + चर [अर्थचर], परिचारक, उपयोगी, स. नि. 1(1).261; अत्थजाताति किच्चजाता, स. नि. अट्ठ. पूर्णतया अनुरक्त, हितकर, सेवारत - महाजनस्सत्थचरोध 1.301. पण्डितो, महाव. 484; नरुत्तमं अत्थचरं नरानं, स. नि. अत्थजात नपुं. [अर्थजात], विशेष प्रकार का धन, उपकरण 1(1).27; - क त्रि., उपरिवत् - एवरूपेन किर, भो, पुरिसो अथवा वस्तुएं, अर्थ से परिपूर्ण - केन वा अत्थजातेन, अत्तानं अत्थचरकेन .... दी. नि. 1.93; कोसलरओ अत्थचरकं परिमोचयि, जा. अट्ठ. 6.294. अमच्चं आरब्भ कथेसि, जा. अट्ठ. 4.175.
अत्थजापिक त्रि., अत्थः + जापिक, वस्तुओं अथवा कार्यों अत्थचरिया स्त्री., अत्थः + चरिया [अर्थचर्या], हितकारी पर आधिपत्य रखने वाला, संपत्ति जीतने वाला, धन-संपत्ति व्यवहार, मित्रतापूर्ण व्यवहार, सहायतापूर्ण दृष्टिकोण, मित्रता उत्पन्न करने वाला, फल विपाक आदि अर्थों को सक्रिय भरी मनोवृत्ति, हितसाधक काम - दानेन ... अत्थचरियाय करने वाला - कतमा अत्थजापिका पञआ, विभ. 369; समानत्तताय, दी. नि. 3.114; प्रत्तो पित चरति अत्थचरियं, अत्तनो अत्तनो भूमिपरियापन्नं विपाकसङ्घातं अत्थं जापति जा. अठ्ठ. 4.262.
जनेति पवत्तेतीति अत्थजापिका, विभ. अट्ठ. 386. अत्थचारिका अत्थचरक का स्त्री.. [अर्थचारिका], सहायिका, अत्थजाल पु., ब्रह्मजालसुत्त (दी.नि.1) के अनेक अन्य नामों सेविका, कल्याणकारिणी स्त्री - ... अत्तनो अत्थचारिक में से एक - अत्थजालन्तिपि... धम्मजालन्तिपि ... ब्रह्मजालं धातिं आह, जा. अट्ठ. 4.34; अत्थचारिकाय दासिया अदासि. .... दिविजालन्तिपि .... दी. नि. 1.41; यस्मा इमस्मि जा. अट्ठ. 6.214
धम्मपरियाये इधत्थोपि परत्थोपि विभत्तो, तस्मातिह त्वं इमं अत्थचिन्तक त्रि., [अर्थचिन्तक], उचित और अनुचित पर धम्मपरियायं अत्थजाल न्तिपि नं धारेहि, दी. नि. अट्ठ. विचार करने वाला, हित-चिन्तक, पण्डित, निपुण, बुद्धिमान
1.109. - ... निपुणा चत्थचिन्तका, जा. अट्ठ.5.369; धीरा निपका अत्थजोतक त्रि., [अर्थद्योतक], अर्थ को प्रकाशित करने निपुणा अत्थचिन्तका, विभ. 499.
वाला, वस्तु को उचित स्थान पर विन्यस्त करने वाला - अत्थचिन्तावसानुग त्रि., हितचिन्तन में लगा हुआ - अत्थजोतको धम्मो, जा. अट्ठ. 5.225; विलो. भासितत्थो. अत्थचिन्तावसानुगा, थेरगा. 926; अत्थचिन्ता - अत्थज्झोगाहन नपुं, अत्थ + अज्झोगाहन, ष. तत्पु. स. वसानगाति हितचिन्तावसानुगा हितचिन्तावसिका, थेरगा. [अर्थाध्यवगाहन], अर्थ सम्बन्धी गम्भीर अनुचिन्तन - इमस्स अट्ठ. 2.298.
सुत्तस्स अत्थज्झोगाहणं दस्सेतुं .... खु. पा. अट्ठ. 127. अत्थच्चय पु., तत्पु. स. [अर्थात्यय], धन का विनाश, संपत्ति अत्थ त्रि., अत्थ + ञा से व्यु. [अर्थज्ञ], अर्थ का ज्ञाता, की हानि - अत्थच्चये मा अहु सम्पमूळहो, जा. अट्ठ. 3.137; ठीक-ठीक अर्थ को जानने वाला - अत्थच अत्तसूच, अत्थच्चयेति ... इस्सरिये विगते, तदे..
दी. नि. 3.199; तस्स तस्सेव भासितस्स अत्थं जानातीति अत्थच्छाया स्त्री., तत्पु. स. [अर्थछाया], परमार्थधर्म की अत्थञ्जू दी. नि. अट्ठ. 3.202; अत्थञ्चू च होति, धम्मश्रू छाया, किसी वास्तविक वस्तु की छाया, अवास्तविक वस्तु च, मत्तसूच, कालघू च, परिसञ्जू च, अ. नि. 2(१).140. - ... परमत्थतो अविज्जमानापि अत्थच्छायाकारेन अत्थट/ अत्थत त्रि., [आस्तृत, आङ् + स्तृि + क्त], चित्तुप्पादानमारम्मणभूता .... अभि. ध. स. टी. 60; अच्छी तरह फैलाया हुआ, - अत्थतं होति कथिनं,
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