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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अत्ताळहिधातुसेन अलब्धनेप्यखेमताय च अताणतो, महानि, अड. 132, पाठा. अतायनता. अत्ताळहिधातुसेन (विहार) पु.. श्रीलङ्का में एक विहार का नाम अट्टाळहिधातुसेनो च कस्सिपिडिकपुब्बको, चू. वं. www.kobatirth.org 38.49. अत्तिच्छा स्त्री० तत्पु० स० [आत्मेच्छा], अपने लिये इच्छा अथवा अपनी इच्छा - नामम्हात्तिच्छत्थो, क. व्या. 439. अत्तुक्कंसक क्र. [आत्मोत्कर्षक] अपनी प्रशंसा करने वाला, अपने को बढ़-चढ़कर बताने वाला ये खो केचि समणा वा ब्राह्मणा वा अत्तुक्कसका परवम्भी, म. नि. 1.24; अत्तप्पसंसकोति अत्तानं पसंसनसीलो अत्तुक्कंसको पोसो, जा. अड. 2.126. अत्तुक्कंसना स्त्री, तत्पु० स० [आत्मोत्कर्षणा ], अपनी प्रशंसा, अपने को बढ़-चढ़कर बताना अयञ्च मिच्छादिट्टि अरियानं पच्चनीकता अत्तुक्कंसना, परवम्भना, म. नि. 2.72. एवं अनुक्कंसनपरबम्भनादीहि उपक्किलितुं वा हीनं विसुद्धि. 1.14 नकम्यता स्त्री आत्मप्रशंसा करने की इच्छा या कामना, अपने को सबसे ऊपर समझने का घमण्ड सद्धम्मबहुमानेन नातुक्कंसनकम्यता, खु. पा. अ. 2. नमान पु.. आत्मप्रशंसा में विद्यमान, अहङ्कार - दुविधेन मानो अतुक्कंसनमानो परवम्मनमानो महानि. 56; अतुक्कंसनमानोति अत्तानं उपरि उपनमानो महानि, अड. - ... - 134 162. अत्तुज्ञा स्त्री, अत्त + उञ्ञा [आत्मावज्ञा], अपना तिरस्कार, अपना अवमूल्यन, अपने को हीन या तुच्छ मानना यो एवरूपो ओमानो ओमञ्ञना अनुज्ञा... अयं युच्चति हीनोहमस्मीति मानो, विभ. 406; अतुञ्ञति अत्तानं हीनं कत्वा जानना, विभ० अट्ठ. 458. *** अत्तुस त्रि. ब. स. केवल अपने उद्देश्य को ध्यान में रखने वाला, केवल अपने ही लिये, (क्रि. वि.), अपने काम में आने वाला अनुसन्ति अत्तनो अत्थाय पारा. 229; गव्हं एसाति एवं अत्ता उद्देसो अस्साति अतुहेसा, तं अनुदेस पारा. अड. 2. 139 - सिक त्रि. [आत्मोद्देश्यक], अपने को उद्देश्य में रखकर किया गया कार्य तेन समयेन... भिक्खू ... कुटियो कारापेन्ति अस्सामिकायो, अनुदेसिकायो पारा. 224 अनुदेसिकायोति अत्तानं उहिस्स अत्तनो अत्थाय आरद्धायोति पारा. अट्ठ. 2.134. अत्तुपक्कम नपुं,, कर्म, स., स्वयं अपने द्वारा अथवा अपने कारण उत्पन्न किया गया (दुःख) - अत्तूपक्कमं दुक्खं, Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अत्थ महानि. 13; यं पन अत्तनाव अत्तानं वर्धन्तस्स अचेलकयतादिवसेन ... कोधवसेन अभुञ्जन्तस्स उब्बन्धन्तरस च दुक्खं होति, इदं अत्तूपक्कमूलकं दुक्खं, महानि. अ. 56. अत्तुपलद्धि स्त्री. [आत्मोपलब्धि] परमार्थ-धर्म के रूप में आत्मा-विषयक विचार यथार्थ-धर्म के रूप में आत्मा की उपलब्धि - अत्तुपलद्धिं न पजहन्ति, म. नि. अट्ठ. ( मू०प.) 1(1),324. अत्तूपघात पु०, अत्त + उपघात का तत्पु० [आत्मोपधात], स्वयं अपनी हानि, अपना अहित, अपना विनाश मज्जपानसंयमेन अत्तूपघातञ्च विवज्जेत्या... खु. पा. अट्ठ. 126. For Private and Personal Use Only गाथा अत्तूपनायिक त्रि. अपने चित्त में कुशल धर्मो को लाने वाला, कुशल धर्मों तक स्वयं को ले जाने वाला, आत्मा से सम्बन्धित, स्वयं से सम्बन्धित, आत्म-विषयक अत्तूपनायिका, थेरगा. निदानगाथा 1 इमा अनुपनायिका चतस्सो गाथा अभासि, सु० नि० अट्ठ 1.214; उत्तरिमनुस्सधम्मं अनुपनायिकं पारा 110: अनुपनायिकन्ति ते वा कुसले धम्मे अत्तनि उपनेति अत्तानं वा तेसु कुसलेसु धम्मेसु उपनेति पारा 112: टि. अपने में कुशल धर्मों का संग्रह करने वाला अथवा कुशल धर्मों को अपने में ले आने वाला ही यहां अत्तूपनायिक है। अपने में भावना करने योग्य अहिंसा, शील आदि कुशल धर्म भी अत्तूपनायिक हैं. U अत्तूपम त्रि. [आत्मोपम] अपने समान अपने को उदाहरण बनाने वाला, आत्महित को ही सोचने वाला अत्तूपमा हि ते सत्ता अत्ता हि परमो थियो, अ. नि. 2 (2). 235. अत्तेय्य पु. [आत्रेय] अत्रि के एक वंशज का वंशोपाधिगत नाम, क. व्या. 348, तुल. पाणिनि 4.1.122. अत्थ ( याचने) क [अर्थ] याचना करना, मांगना अत्थ पत्थ याचनायं, सद्द॰ 2.541; तुल० मो. धा. 497; धा० मं० 815. - अत्थ' अ स्थानसूचक निपा. [ अत्र] सन्निकटवर्ती स्थल एवं सन्दर्भ का सङ्केतक, यहां, इस विषय में, इस सन्दर्भ में, इस स्थान में, इस सिलसिले में इहेपात्र तु एत्थात्थ अभि प. 1161, व्यु。 के लिये द्रष्ट, क. व्या. 231, 274, यत्र-तत्र एत्थ तथा तत्थ के अप. के रूप में भी प्रयुक्त एतदेव ख्वेत्थ, अ. नि. 3(1). 223, द्रष्ट. अत्र के अन्त.. अत्थ पु. / नपुं. [अर्थ] अट्ठ में विविध व्युत्पत्तियां, क. अर से व्यु अत्यो... संखेपतो हेतुफलं तंहि हेतुवसेन - - -
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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