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अतीत
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अतीतारम्मण
- कप्प पु., कर्म. स., [अतीतकल्प], बीता हुआ कल्प, विषय में पूछताछ, अथवा प्रश्न - अपरापि तिस्सो पुच्छा : व्यतीत हो चुके अनेक कल्प - अतीतकप्पे चरितं, चरिया. अतीतपुच्छा ..., महानि. 251; अतीतपुच्छाति अतीते धम्मे 1.1.2; - कालिक त्रि., [अतीतकालिक], बीत चुके काल आरब्भ पुच्छा, महानि. अट्ठ. 302; - भव पु., कर्म. स. से सम्बद्ध - पुराणं अतीतकालिकं कम्म, खु. पा. अट्ठ. 154; । [अतीतभव], बीता हुआ जन्म, पूर्व-जन्म - मया अतीतभवे, अतीतकालिकानम्पि हि छन्दसि वत्तमानवचनं ... इच्छन्ति, जा. अट्ठ. 5.380; - योब्बन त्रि., ब. स. [अतीतयौवन], सु. नि. अट्ठ. 1.15; परोक्खाहिय्यत्तनअज्जतनीविभत्तियो वह, जिसकी युवावस्था समाप्त है, वृद्ध - अतीतयोब्बनोति अतीतकालिका, सद्द. 1.49; - कालिकता स्त्री., योब्बनमतिच्च आसीतिको वा नावुतिको वा हुत्वा, सु. नि. अतीतकालिक का भाव., बीते हुए काल में विद्यमान होने अट्ठ. 1.137; अतीतयोब्बनो पोसो, आनेति तिम्बरुत्थनिं सु. की स्थिति - ये भूय्येन अतीतप्पवत्ति सन्धाय नि. 110; - वचन नपुं., कर्म. स. [अतीतवचन], भूतकाल कालातिपत्तिविभत्तिया अतीतकालिकता वुत्ता ति, सद्द. 1.52; का कथन, जो व्यतीत हो चुका है, उसके विषय में कथन - कोट्ठास पु., [अतीतकोष्ठांश]. काल का बीता हुआ भाग - संयमिस्सन्ति अनागतवचनञ्च अतीतवचनञ्च, सद्द. अथवा खण्ड - अतीतकोट्ठासेन गणनं गता, ध. स. अट्ठ. 2.590; - वत्थु नपुं.. कर्म. स. [अतीतवस्तु], भूतकाल 388; - गत-सत्थु त्रि., ब. स., वह, जिसका शास्ता या अथवा पूर्वजन्मों से सम्बद्ध कथानक - अतीतवत्थु दसकनिपाते मार्गदर्शक गुरु बहुत पहले ही दिवङ्गत हो चुका है - आवि भविस्सति, जा. अट्ठ. 3.80; - टि. अपने वर्तमान रूप अब्मतीतसहायस्स, अतीतगतसत्थुनो, थेरगा. 1038; - में जातक-कथानक में पांच अङ्ग सन्निविष्ट हैं :- 1. खन्धा ति-कथा स्त्री., कथा. के सातवें अध्याय का शीर्षक, पच्चुप्पन्नवत्थु 2. अतीतवत्थु 3. गाथा 4. वेय्याकरण 5. कथा. 127; - जाति स्त्री., कर्म, स., [अतीतजाति], समोधान, इनमें अतीत-वत्थु नामक दूसरे अङ्ग में गौतम बुद्ध पिछला जन्म - त्वं पुब्बे अतीतजातियं, पे. व. अट्ठ.9; - के पूर्वजन्मों में से किसी एक जन्म का कथानक रहता है;
आति पु., कर्म. स. [अतीतज्ञातृ], दिवङ्गत हो चुके या मृत - वेल त्रि. ब. स., वह, जिसका समय समाप्त है, बेमौसमी हो चुके सम्बन्धी अथवा कुटुम्बीजन - पुब्बपेतकथाति - अतिवेल पन वाचं कालवेलञ्च सीलवेलञ्च अतिक्कन्तं अतीतजातिकथा, दी. नि. अट्ठ. 1.81; - त्त नपुं. भाव. ...सु. नि. अट्ट. 2.266. [अतीतत्व], पार कर जाने अथवा पूरी तरह मुक्त हो जाने अतीताधिवचन नपुं, तत्पु. स. [अतीताधिवचन], अतीत की स्थिति - किलेससीमानं अतीतत्ता सीमातिगो, स. नि. अथवा भूतकाल के अर्थ वाला शब्द, अतीत अर्थ का वाचक अट्ठ. 2.221; अन्तं अतीतत्ता, अ. नि. अट्ठ. 3.342; - त्तिक शब्द; - कुसल त्रि., अतीतार्थक शब्द के प्रयोग में कुशल, पु., नपुं., ध. स. की त्रिकमातृकाओं में से एक, जिसमें भूतार्थक शब्द के व्यावहारिक प्रयोग में कुशल - अतीत, अनागत एवं प्रत्युत्पन्न के त्रिक निर्दिष्ट हैं, ध. स. अतीताधिवचनकुसलोति अतीतपत्तिकसलो, नेत्ति. अट्ठ. (पृ.) 4; - त्थ त्रि., ब. स. [अतीतार्थ], वह, जो लाभ को 227.
खो चुका है अथवा प्रयोजन की हानि को प्राप्त हो चुका है, अतीतानागत त्रि., अतीत + अनागत [अतीतानागत], भूत प्रयोजन को हानि पहुंचा चुका - वाणिजोव, अतीतत्थो, अ. एवं भविष्य काल से सम्बन्धित - रूपं, भिक्खवे, अनिच्चं नि. 3(1).62; अतीतत्थोति हापित्थो, अ. नि. अट्ठ. 3.223; - अतीतानागतं, स. नि. 2(1).18; - ते सप्त. वि., ए. व., क्रि. द्ध पु., कर्म. स., [अतीताध्वन्]. बीता हुआ अथवा पारवि . - मग्गजाणधम्मेन वा सक्का अतीतानागते नेतुं स. नि. किया हुआ मार्ग, अर्थात् पूर्वजन्म - अतीतद्धादिभेदं अट्ठ. 2.59; - पच्चुप्पन्न त्रि., द्व. स., भूत, भविष्य एवं पुबन्तमनिस्सितो, सु. नि. अट्ठ. 2.240; - टि. भगवान वर्तमान से संबन्धित - अतीतानागतपच्चुप्पन्ने अत्थे चिन्तेतुं बुद्ध ने प्रतीत्यसमुत्पाद के नय द्वारा अस्तित्व को गोलाकार दी. नि. 1.122. चक्र के रूप में प्रकाशित करते हुए प्राणी के जन्म-मरण- अतीतारम्मण त्रि., ब. स., [अतीतालम्बन], अतीत अथवा क्रम को एक सतत प्रवर्तनशील यात्रा के रूप में समझाया. भूत को आलम्बन बनाने वाला - इमे धम्मा अतीतारम्मणा, इस यात्रा में प्राणी के पिछले जन्म को वर्तमान जन्म की ध. स. 1047; 1432; तस्मा अतीतारम्मणं होति, विसुद्धि. 2. अपेक्षा से ही अतीतद्ध अथवा पार किया हुआ मार्ग कहा 57; अतीतारम्मणाय चुतिया अनन्तरा अतीतारम्मणा गया; - पुच्छा स्त्री., तत्पु. स.. [अतीतपृच्छा], भूतकाल के पटिसन्धि, विभ. अट्ठ. 149; - कथा स्त्री., कथा. के नवम
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