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अध्याय दो
साहित्य और इतिहास
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कोई साहित्यिक रचना ऐतिहासिक दृष्टि से क्या निर्णायक साक्ष्य प्रस्तुत कर सकती है, यह भी एक गम्भीर प्रश्न है । यदि अन्य कोई ऐतिहासिक साक्ष्य प्राप्त नहीं होता, तो किसी भी साक्ष्य को निर्णायक मान कर चलना तो उचित नहीं ठहराया जा सकता है । किन्तु पद्मावती के स्थान निर्धारण करने में यह समस्या उत्पन्न नहीं होती । पवाया के निकटवर्ती क्षेत्र से प्राप्त पुरातत्वीय अवशेष इस बात को सिद्ध कर सकते हैं कि यह कोई प्राचीन ऐतिहासिक नगर होना चाहिये । मालती माधव में तो इस नगर को अत्यन्त समृद्ध और उन्नत बताया गया है । यह ऐश्वर्य सम्पन्नता मध्य काल तक बनी रही होगी । इस नगर की प्राचीनता तो वे सिक्के सिद्ध कर देते हैं, जो वर्षों से मिलते रहे हैं । प्राचीन ईंटों के बने स्मारक तथा पाषाण और मिट्टी की बहुसंख्यक कलाकृतियाँ भी इस नगर की भव्यता को सिद्ध कर देती हैं । नागवंश के इतनी अधिक मात्रा में प्राप्त सिक्के इस बात का भी साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं कि यह नगर कभी नागों के संरक्षण में फला-फूला था ।
पद्मावती गुप्त काल से पूर्व एक ऐश्वर्यशाली नगर था । समुद्रगुप्त के प्रयाग स्तम्भ लेख में उन राजाओं की सूची दी गई है जिनको उसने पराजित किया था। इन राजाओं में गणपति नाग का नाम भी आता है । वैसे तो पद्मावती के खण्डहरों में उस नागवंशीय राजधानी के ध्वंसावशेषों को पहचाना जा सकता है और इस बात का परिचय भी मिल ही Get a raशेष आगे चल कर गुप्तों से भी प्रभावित हुये । किन्तु नरवर में ऐसा कोई अभिलेख प्राप्त नहीं हुआ जिससे यह सिद्ध किया जा सके कि यह नागवंश की राजधानी रहा होगा । इस प्रकार प्राचीन स्मारकों को साक्ष्य की कसौटी पर कसने पर भी यही सिद्ध होता है कि वर्तमान पवाया ही ऐतिहासिक पद्मावती होगा । इस दृष्टि से श्री कनिंघम की नरवर के सन्निकटवर्ती प्रदेश वाली स्थापना असिद्ध हो जाती है ।
२.१ पुराण
पद्मावती के सम्बन्ध में सर्वप्रथम साक्ष्य प्रस्तुत करने वाली कृतियाँ हैं पुराण । प्रारम्भ में तो 'नव नागास्तु भौक्ष्यंति पुरीम् पद्मावतीम् नृपाः' के आधार पर पद्मावती के नागों की
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