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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अध्याय दो साहित्य और इतिहास Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कोई साहित्यिक रचना ऐतिहासिक दृष्टि से क्या निर्णायक साक्ष्य प्रस्तुत कर सकती है, यह भी एक गम्भीर प्रश्न है । यदि अन्य कोई ऐतिहासिक साक्ष्य प्राप्त नहीं होता, तो किसी भी साक्ष्य को निर्णायक मान कर चलना तो उचित नहीं ठहराया जा सकता है । किन्तु पद्मावती के स्थान निर्धारण करने में यह समस्या उत्पन्न नहीं होती । पवाया के निकटवर्ती क्षेत्र से प्राप्त पुरातत्वीय अवशेष इस बात को सिद्ध कर सकते हैं कि यह कोई प्राचीन ऐतिहासिक नगर होना चाहिये । मालती माधव में तो इस नगर को अत्यन्त समृद्ध और उन्नत बताया गया है । यह ऐश्वर्य सम्पन्नता मध्य काल तक बनी रही होगी । इस नगर की प्राचीनता तो वे सिक्के सिद्ध कर देते हैं, जो वर्षों से मिलते रहे हैं । प्राचीन ईंटों के बने स्मारक तथा पाषाण और मिट्टी की बहुसंख्यक कलाकृतियाँ भी इस नगर की भव्यता को सिद्ध कर देती हैं । नागवंश के इतनी अधिक मात्रा में प्राप्त सिक्के इस बात का भी साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं कि यह नगर कभी नागों के संरक्षण में फला-फूला था । पद्मावती गुप्त काल से पूर्व एक ऐश्वर्यशाली नगर था । समुद्रगुप्त के प्रयाग स्तम्भ लेख में उन राजाओं की सूची दी गई है जिनको उसने पराजित किया था। इन राजाओं में गणपति नाग का नाम भी आता है । वैसे तो पद्मावती के खण्डहरों में उस नागवंशीय राजधानी के ध्वंसावशेषों को पहचाना जा सकता है और इस बात का परिचय भी मिल ही Get a raशेष आगे चल कर गुप्तों से भी प्रभावित हुये । किन्तु नरवर में ऐसा कोई अभिलेख प्राप्त नहीं हुआ जिससे यह सिद्ध किया जा सके कि यह नागवंश की राजधानी रहा होगा । इस प्रकार प्राचीन स्मारकों को साक्ष्य की कसौटी पर कसने पर भी यही सिद्ध होता है कि वर्तमान पवाया ही ऐतिहासिक पद्मावती होगा । इस दृष्टि से श्री कनिंघम की नरवर के सन्निकटवर्ती प्रदेश वाली स्थापना असिद्ध हो जाती है । २.१ पुराण पद्मावती के सम्बन्ध में सर्वप्रथम साक्ष्य प्रस्तुत करने वाली कृतियाँ हैं पुराण । प्रारम्भ में तो 'नव नागास्तु भौक्ष्यंति पुरीम् पद्मावतीम् नृपाः' के आधार पर पद्मावती के नागों की For Private and Personal Use Only
SR No.020523
Book TitlePadmavati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Sharma
PublisherMadhyapradesh Hingi Granth Academy
Publication Year1971
Total Pages147
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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