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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शोध का कार्य तो एक निरन्तर प्रक्रिया है । अतएव इस सम्बन्ध में पद्मावती पर यह अन्तिम पुस्तक नहीं है । अभी इस विषय में अन्य तथ्य उभरेंगे, नवीन साक्ष्य आयेंगे और पद्मावती के वास्तविक और विशाल स्वरूप की झाँकी मिलेगी। इस दृष्टि से अनुमान लगाया जा सकता है कि कभी यह कार्य एक रूपरेखा मात्र रह जायेगा, जब पद्मावती के सम्बन्ध में प्राचीन वैभव के भव्य भवन दिखायी देंगे । प्रारम्भिक अन्वेषण के रूप में फिर भी इसकी उपादेयता बनी रहेगी । आभार प्रदर्शन पद्मावती पर कुछ भी लिखने का कार्य समय-साध्य जरूर था । लेकिन डॉ० प्रभुदयालु अग्निहोत्री जी ने इस विषय में मुझे पूरी-पूरी सुविधा प्रदान की और साथ ही वे मेरे मनोबल को बढ़ाते रहे, इसके लिए मैं उनके प्रयत्नों की सराहना करते हुए अपना आभार व्यक्त करता हूँ। सागर विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग के अध्यक्ष, प्रो० कृष्णदत्त वाजपेयी जी के प्रति मैं अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ, जिन्होंने अनेक सुझावों से मुझे लाभान्वित किया । हमीदिया कॉलेज, भोपाल के इतिहास विभाग के अध्यक्ष, प्रो० वीरेन्द्रकुमार सिंह ने इस पुस्तक को तैयार करने में जो सहयोग मुझे प्रदान किया है, वह वर्णनातीत है । आभार प्रदर्शित करके मैं उनके ऋण से उऋण नहीं हो सकता । पुस्तक को तैयार करने में मैंने जिन विद्वान लेखकों के ग्रन्थों से सहायता ली है, उनके प्रति भी मैं आभार व्यक्त करता हूँ । इन ग्रन्थों की सूची पुस्तक में दी हुई है । वैसे जहाँ तक बन पड़ा है मैंने यथास्थान सन्दर्भों का संकेत भी कर दिया है । कई स्थानों पर अन्य लेखकों के विचारों को मैंने अपने विश्वास और विश्लेषण के आधार पर अपना बना लिया है । शिवपुरी के स्थानीय कलाकारों ने पुस्तक के लिए चित्रादि तैयार करने में जो कार्य किया है उसके लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं । अन्त में मैं वीरतत्त्व प्रकाशक मण्डल के पुस्तकालय के संरक्षक श्री काशीनाथ सराक जी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ, जिन्होंने अपने सुसमृद्ध पुस्तकालय से पूरा-पूरा लाभ उठाने का मुझे अवसर प्रदान किया । पद्मावती के सम्बन्ध में कुछ जानकारी प्राप्त करने में शिवपुरी के सूचना एवं प्रकाशन विभाग के अधिकारी श्री आनन्दसिंह जी से विशेष सहायता मिली। साथ ही श्री हरिहरनिवास द्विवेदी जी ने भी इस सम्बन्ध में मेरी सहायता की। मैं उन दोनों के प्रति आभार प्रदर्शित करता हूँ । मानचित्र तैयार करने के लिए श्री विट्ठल कुमार व्यास जी धन्यवाद के पात्र हैं । For Private and Personal Use Only — लेखक
SR No.020523
Book TitlePadmavati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Sharma
PublisherMadhyapradesh Hingi Granth Academy
Publication Year1971
Total Pages147
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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