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पुराब
पद्म जिनेन्द्र की प्रतिमा जिसके विराजेगी उस के घर में से मरी युं भाजेगी जैसे गरुड के भय से नागिनी
भागे ये वचन मुनियों के सुन शत्रुघन ने कही हे प्रभोजोआप आज्ञा करी त्योहीलोक धर्म में प्रवतेंगे। ___अथानन्तर मुनि आकाश मार्ग विहार कर अनेक निर्वाण भुमि बन्द कर सीता के घर अहार को आये, कैसे हैं मुनि तप ही है धन जिन के सीता महा हर्ष को प्रास होय श्रद्धा आदि गुणो कर मण्डित परप अन्न कर विधि पूर्वक पारणा करावती भई, मुनि थाहार लेयाक श क मार्ग विहार कर गये शत्रुधन ने नगरी के बाहिर और भीतर अनेक जिनमन्दिर कराए घर घर जिनप्रतिमा पघगई नगरी सर्व उपद्रव रहित भई, बन उपवन फल पुष्पादिक कर शोभित भए. वापिका सरोवर्ग वमलों कर मंडित सोहतीभई पक्षीशब्द करते भये कैलाशके तटसमान उज्वल मंदिर नेत्रोंको आनन्दकारी विमान तुल्य सोहते भये और सर्व किसाण लोक संपदा कर भरे सुख निवास करतभय गिग्केि शिखर समान ऊंचे अनाजोंके ढेर गावोंमें सोहते भये स्वर्ण रत्नादिककी शार्था में विस्तीर्णता होती भईसकललोक सुखी रामके राज्यमें देवों समान अतुल विभूति के धारक धर्म अर्थ कामविषे तत्परहोते भये शत्रुघ्न . मथुरामें राज्य करे रामके प्रतापसे अनेक राजाओं पर आज्ञा करता सोहे जैसे देवों विष बरुण सोहे इसभांति मथुग पुरीका ऋद्धिका धारी मुनियों के प्रतापकर उपद्रवदूरहोता भया जो यहअध्यायबांचे सुनेसो पुरुषशुभ नाम शुभगोत्र शुभसाता बेदनीका बंध करे जो साधुवोकी भक्ति विषे अनुरागी होय और साधुवों का समागम चाहे वह मनवांछित फल को प्राप्त होय इस साधुवोंके संग को पायकर धर्मको । आराधकर प्राणी मूर्य से भी अधिक दीप्ति को प्राप्त होवें हैं॥ इति बानवे पर्व सम्पूर्णम् ॥
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