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पद्म
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अनेक आडम्बर डारै हैं भयानक हैं मुख जिसका रावण भी स्थपर आरूढ़ होकर यम के सनमुख भए अपने बाघों के समूह यमपर चलाए इन दोनोंके बाणों से आकाश अवादित भया, कैसे हैं बाण भयोनक है शब्द जिनका जैसे मेघों के समूह से आकाश व्याप्त होय तैसे बाणों से भावादित होगया रावणने यमके सारथीको प्रहार किया सो सारथी भूमि में पड़ा और एक बाण यमको लगाया सोय भी रथ से गिरपड़ा तब यम रावणको महा बलवान देख दचि दिशा का दिग्पालपणा छोड़ भागा सारे कुटम्बको लेकर परिजन पुरजन सहित स्थुनूपुर में गया इन्द्र से नमस्कार कर बीनती करताभया हे देव आप कृपाकरो अथवा कोप करो आजीवका राखो तथा हरो तुम्हारी जो बांधा होय सो करो यह यम पणा मुझसे न होय मालीके भाई सुमालीका पोता दशानन महा योघा जिसने पहिले तो वैश्रवण जीता वह तो मुनि होगया और मुझे भी उसने जीता सो मैं भागकर तुम्हारे निकट आया हूं उसका शरीर वीर रस से बना है यह महात्मा है वह ज्येष्ठ के मध्यान्ह का सूर्य कभी भी न देखा जाय है यह वार्ता सुन कर रथनूपुर का राजा इन्द्र संग्राम को उद्यमी भया तब मन्त्रियों के समूह ने मने कीया मन्त्री वस्तुका यथार्थ रूप जाननेहारे हैं तब इन्द्र समझ कर बैठरहा इन्द्र यमको जमाई है उसने यमको दिलासा दिया कि तुम बड़े योधाहो तुम्हारे योधापनेमें कमीं नहीं परन्तु रावण प्रचण्ड पराक्रमी है इसलिये तुम चिंता न करो यहांही सुख से तिष्ठो ऐसा कहकर इनका बहुत सन्मानकर राजा इन्द्र राजलोक में गए और काम भोग के समुद्र में मग्न भए कैसे हैं इन्द्र बड़ा है विभूति का मद जिसको रावण के चरित्र के जो जो वृतान्त यमने कहे थे वैश्रवण का वैराग्य लेना और अपना भागना वह इन्द्रको ऐश्वर्य के मदमें भल
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