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यम
पुराण
॥१२०॥
प्रकार सुगंध से देवलोक समान है, सुन्दर नारियां झरोखों में बैठी इन्द्रकी शोभा देखें हैं इन्द्रराज महल में आए अतिविनय से माता पिता के पायन पड़े, माता पिता ने माथे हाथ धरा और इसके गात सपरशे प्राशीस दीनी इन्द्र बैरियों को जीत अति आनन्दको प्राप्त भया प्रजा के पालनेमें तत्पर इंद्र के समान भोग भोगे विजियार्घ पर्वत तो स्वर्ग समान और राजा इंद्र लोक में इंद्र समान प्रसिद्ध भयो।। - गौतम स्वायी राजा श्रेणिक से कहे हैं कि हे श्रेणिक अब लोकपालों की उत्पतित्त सुनो ये लोक स्वर्ग से चयकर विद्याधर भए हैं राजा मकरध्वज राणी अदिति उसका पुत्र सौम नामा लोकपाल महा कांतिधारी सो इन्द्र ने ज्योति पुर नगर में थापा और पूर्व दिशा का लोकपाल किया और राजा मेघरथ राणी वरुणा उनका पुत्र वरुण उसको इंद्रने मेघपुर नगर में थापा और पश्चिम दिशाकालोकपाल किया जिसके पास पाश नामा आयुध जिसका नाम सुनकर शत्रु अति डरें और राजा सूर्य राणो कनकांवली उसका पुत्र कुवेर महा विभूतिवान उसको इन्द्र ने कांचनपुर में थापा और उत्तर दिशा का लोकपाल किया
और राजा बालाग्नि विद्याधर गणी श्री प्रभा उसका पुल यम नामा महा तेजस्वी उसको किहकंधपुर में थापा और दक्षिण दिशाका लोकपाल किया और असुर नामा नगर ताके निमाली विद्याधर वे असुर ठहराए और यक्षकीर्ति नामा नगर के विद्याधर यक्ष ठहराए और किन्नर नगरके किन्नर गंधर्व नगर के गंधर्व इत्यादिक विद्याधरोंकी देव संज्ञाधरी इन्द्रकी प्रजादेव जैसी क्रीडा करे यह राजा इ-द्र मनुष्य योनि में लक्ष्मी का विस्तार पाय लोगों से प्रशंसा पाय आपको इंद्रही मानता भया और कोई स्वर्गलोक है इंद्र है देव हैं यह सर्वधातभूल गया और पापहीको इन्द्र जाना विजियार्थगिरिको स्वर्ग जाना अपने थापे
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