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चराण।
पा में ग्रह तिष्ठे सो आठ कुमारी विन और सबही भाई रामके पुत्रों पर क्रोध भये । जो हम नागयण के
पुत्र कान्तिधारी कलाधारी नवयौवन लक्ष्मीवान बलबान सेनावान हम कौन गुणा कर हीन जो इन कन्याओंने हमकोनबरा और सीताके पुत्र बरे ऐसा विचार करकोपित भये तब बड़े भाई आठोंने इन को शांतिचित्त किये जैसे मंत्रकर सर्पको वश करिये तिनके समझानसे सबही भाई लवअंकशसे शांत चित्त भये ओर मन में विचारते भये जो इन कन्यावोंने हमारे बावा के बेटे बड़े भाई वरे तब ये हमारी भावज सो माता समान है और स्त्री पर्याय महा निन्धहै स्त्रियोंकी अभिलाषा अविवेकी करें स्त्रिय स्वभाव ही से कुटिल है इनके अर्थ विवेकी विकार को न भनें जिन को आत्मकल्याण करना होय सो स्त्रियोंसे अपना मन फेरें इस भांति विचार सबही भाई शान्त चित्त भये पहिले सबही युद्धके उद्यमी भये थे रणके बादित्रोंका कोलाहल शंख झंझा भरि झंझार इत्यादि अनेक जातिके वादिन बाजने लगे थे
और जैसे इन्द्रकी विभूति देख छोटे देव अभिलाषी होय तैसे ये स्वयंबरमें कन्यावोंके अभिलाषी भये थे सौ बडे भाइयोंके उपदेशसे विवेकी भये श्रादों बड़े भाइयों को वैगग्य उपजा सो विचारे हैं । यह स्थावर जंगमरूप जगतके जीव कौके विचित्रताके योगकर नानारूप हैं विनश्वर हैं जैसा जीवों के होन हारहै तैसाही होयहै जिसके जो प्राप्त होनी है सो अवश्य होयहै और भांति नहीं और लक्षमणकी रूपवती राणीका पुत्र हंसकर कहता भया । भो भ्रातः हो स्त्री क्या पदार्थ हैं। स्त्रियों से प्रेम करना महा
मूढताहै विवेकियों को हांसी श्राव है जो वह कामो क्या जान अनुराग करे हैं। इन दोनों भाइयों ने । ये दोनों राणी पाई । सो कहा बडी वस्तु पाई जे जिनेश्वरी दीचा धेरै वे धन्य हैं केलि के स्तंभसमान असार
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