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श्री रत्नप्रभाकर शाम पुष्पमाला पु० नं० ८७
श्री रत्नप्रभसूरिपादपद्मभ्यो नमः
ओसवाल ज्ञाति समय निर्णय.
ओसवाल ज्ञाति की उत्पत्तिके विषय आज जनतामें भिन्न भिन्न मत फैले हुए दीख पडते है कितनेक लोग कहते है कि प्रोसबालोकि उत्पत्ति विक्रम सं. २२२ में हुई कितनेकोंका मत इस झातिकी उत्पत्ति विक्रम पूर्व ४०० वर्ष की है जब कितनेक लोगोंका अनुमान है कि विक्रमकी दशवि शताब्दीमें इस ज्ञातिकी स्थापना हुई। इत्यादि । समयकी भिन्नता होनेपरभी ओसवाल ज्ञातिके प्रतिबोधक आचार्य रत्नप्रभसूरि और स्थान श्रोशियों नगरीके विषयमें सबका एकही मत है
अत्यन्त खेदके साथ लिखना पडता है कि अव्वल तों इस झातिका श्रृंखलाबद्ध इतिहासही नहीं मिलता है अगर जो कुच्छ थोडा बहुत मिलताभी है परन्तु यह ज्ञाति विशेष व्यापारी लेनमें
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