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2.
वैचारित
भद्रबाहु काल (दूसरी शताब्दी से सोलहवीं शताब्दी तक) (क) आगम वाचना और संघभेद काल (श्रुतिकेवलि भद्रबाहु से देवर्द्धिक्षमाश्रमण तक) (ख) संक्रांतिकाल और हरिभद्रकाल (हरिभद्रसूरि से लगभग 1000 ई तक) (ग) सम्प्रदायभेद काल (1000 ई से लोंकाशाह तक) वैचारिक क्रांति अथवा लोकाशाह काल (लोकाशाह से आज तक) स्थानकवासी परम्परा मूर्तिपूजक परम्परा तेरापंथी परम्परा जैनमत : प्रवर्तन से प्रसारकाल तक ओसवंश : बीजारोपण से उत्कर्ष तक
जैनाचार्यों द्वारा प्रतिबोधित ओसवंश के गोत्र तृतीय अध्याय- ओसवंश : उद्भव
185-259 उपकेश वंश : व्युत्पत्ति प्रथम मत : परम्परागत धार्मिक मत द्वितीय मत : भाटों और भोजकों का मत तृतीय मत : तथाकथित ऐतिहासिक मत
ओसिया की प्राचीनता उपलदेव कौन? उपकेशगच्छ की प्रामाणिकता और ऐतिहासिकता
ओसवंश का उद्भव: निष्कर्ष चतुर्थ अध्याय : ओसवंश के उद्भूत गोत्र : पूर्व जातियां 260-395
ओसवंश के 18 गोत्र गोत्र संख्या नाम- पद्यात्मक ओसवंश के गोत्रों का वर्गीकरण
1. प्रतिबोधकर्ता के आधार पर 2. गच्छ के आधार पर
प्रतिबोध के स्थान के आधार पर 4. गोत्रों के उद्भूत- समय के आधार पर
नामकरण के आधार पर पूर्व जाति के आधार पर
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