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440 भण्डारी गोरजी, भण्डारीधनोजी, भण्डारी लूणाजी, भण्डारी मानाजी, भण्डारी हमीरजी, भण्डारी रायचंदजी, कोचर भूया बेलानी, भण्डारी ईसरदासजी, भण्डारी भानाजी, भण्डारी पृथ्वीराजजी, भण्डारी लूणाजी, सिंघवी शाहमलजी, मुहणौत जयमलजी, सिंघवी सुखमलजी, भण्डारी रायमलजी, सिंघवी रायमलजी, भण्डारी ताराचन्द नारायणोत, मुहणौत नैणसी, भण्डारी विठ्ठलदासजी, भण्डारी खींवसी जी, भण्डारी रघुनाथजी रायचन्दोत, भण्डारी भमाईदासजी, समदड़िया मूथा गोकुलदासजी, भण्डारी रघुनाथसिंहजी, भण्डारी अमरसिंह जी, भण्डारी अमरचंदजी, भण्डारी गिरधरदासजी, भण्डारी मनरूपजी, भण्डारी सूरतरामजी, भण्डारी दौलतसिंहजी, भण्डारी सवाईरामजी, सिंघवी फतेहचंदजी, भण्डारी नरसिंहदासजी, मुहणौत सूरतरामजी, सिंघवी ज्ञानमलजी, भण्डारी भवानीदासजी, भण्डारी शिवचंदजी, सिंघवी नवलराजजी, मुहणोत सरदारमलजी, भण्डारी गंगारामजी, मुहणौत ज्ञानमलजी, कोचर मेहता सूरजमलजी, सिंघी इन्दरराजजी, सिंघवी फतहराजजी, मेहता अखेचंदजी, मेहता लक्ष्मीचंदजी, सिंघवी इन्द्रमलजी, सिंघवी गम्भीरमलजी, मेहता जसरूपजी, भण्डारी लखमीचंदजी, सिंघवी इन्द्रमल जी, कोचर बुधमलजी, सिंघवी सुखरामजी, भण्डारी शिवचंद जी, मेहता मुकुन्दचंदजी, राव राजमल लोढ़ा, मेहता विजयसिंहजी, मेहता विजयसिंहजी, मेहता गोपाल लाल जी, लोढ़ा सरदारमलजी और मेहता सरदारसिंहजी जोधपुर राज्य के दीवान रहे।
___ जोधपुर राज्य के फोजबख्शी में सर्वश्री मुहणौत सूरतरामजी, भण्डारी दौलतरामजी, सिंघवी भंवराजी, सिंघवी हिन्दूमलजी, सिंघवी अखेराजजी, भण्डारी शिवचंदजी, भण्डारी भवानीरामजी, सिंघवी मेघराजजी, भण्डारी चतुर्भुजजी, भण्डारी अगरचंदजी, सिंघवी फौजराज जी, सिंघवी देवराजजी, सिंघवी समरथराजजी, सिंघवी करणरामजी, सिंघवी किशनराजजी और सिंघवी बच्छराजजी रहे।
बीकानेर राज्य की स्थापना में मेहता बच्छराज का महत्वपूर्ण योग रहा। बच्छराज की चौथी पीढ़ी में मेहता कर्मचंद बच्छावत कुशल प्रशासक ही नहीं, अपूर्व योद्धा भी था। बीकानेर राज्य के संस्थापकों में वेद मेहता लखणणी का सातवां वंशधर वेद मेहता मूलचंद का पुत्र हिन्दूमल महाराजा सूरतसिंह (वि.सं. 1844-85) और रत्नसिंह (वि.सं. 1885-1905) काएक प्रतिभा सम्पन्न और दूरदर्शी प्रशासक था।
बीकानेर के दीवानों से सर्वश्री बच्छराज, मेहता लावणसी, मेहता करमसी बच्छावत, मेहता वरसिंह बच्छावत, मेहता नगराज बच्छावत, मेहता संग्राम सिंह बच्छावत, मेहता कर्मचंद बच्छावत, वेद मेहता. ठाकुरसी, मेहता भागचंद और लक्ष्मीचंद, अमरचंद सुराणा, वेद मेहता महाराज हिन्दूमल, मेहता किशनसिंह जी, राखेचा मानमलजी और कोचर मेहता शाहमलजी का महत्वपूर्ण स्थान है।
किशनगढ़ राज्य में मुहणौत रायचन्दजी, मुहणोत मेहता कृष्णसिंह, मेहता आसकरण मुहणौत, मेहता, रामचन्द्र मुहणौत, मेहता हठीसिंह मुहणौत, मुहणौत हिन्दूसिंह, मेहता जोगीदास मुहणौत, मेहताचैनसिंह मुहणौत, मेहता शिवदास मुहणौत, मेहता करणसिंह मुहणौत और मेहता मोखमसिंह की सेवाएं दीवान के रूप में उल्लेखनीय रही।
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