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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 16 इस प्रकार जाति की कोई निश्चित परिभाषा नहीं दी जा सकती। आज परस्पर बंधन टूट रहे हैं। जाति केवल समूह सूचक नाम रह गया है। अन्तर्जातीय विवाह हो रहे हैं, खानपान और जीवनपद्धति के बंधन टूट रहे हैं। जाति ने वर्ग का रूप ले लिया है। निश्चित रूप से जाति एक आनुवांशिक, अन्तर्विवाही समूह है, जो सामाजिक संस्तरण में व्यक्ति की स्थिति, व्यवसाय आदि निश्चित करता है। इस प्रकार जाति जन्मजात होती है, इसमें खानपान सम्बन्धी नियम होते हैं, अधिकांश जातियों के व्यवसाय निश्चित होते हैं, सामान्यत: जाति में अन्तर्विवाह होते हैं और उसमें ऊँच नीच के कारण उसका स्तरीकरण होता है। डॉ. घुरिये के अनुसार भारत में जाति इण्डोआर्यन संस्कृति का एक ब्राह्मण बालक है । परम्परागत सिद्धांत के अनुसार ब्राह्मण ब्रह्मा के मुख से, क्षत्रिय भुजाओं से, वैश्य जांघों से और शूद्र चरणों से उत्पन्न हुए। नेसफिल्ड के अनुसार व्यवसाय ही भारत में जाति प्रथा के उद्गम के लिये उत्तरदायी है।शरतचन्द्र राय के अनुसार जाति प्रथा की उत्पत्ति इण्डोआर्यन लोगों की वर्ण व्यवस्था, पूर्व द्रविड़ लोगों की जनजाति व्यवस्था और द्रविड़ लोग की व्यावसायात्मक पद्धति के परस्पर प्रभाव और संघर्ष से हुई और इण्डोआर्यन लोगों के कर्मसिद्धान्त ने इसे दृढ़ रूप प्रदान किया। प्रजातिक सिद्धानत के अनुसार जाति का स्तर रक्त की शुद्धता के पृथक्करण पर निर्भर है। मजूमदार के अनुसार “जाति की स्थिति पृथक्करण की सीमा पर निर्भर करती है।" माना के अनुसार जातिप्रथा की उत्पत्ति अनार्य जातियों के धार्मिक विश्वासों और नियमों से हुए। इबेटसन ने जातिप्रथा की उत्पत्ति का कारण जनजातियां, व्यावसायिक श्रेणियां और धर्म माना । होकार्ट के अनुसार समाज का विभाजन धार्मिक प्रथाओं के कारण हुआ। सेनार्ट ने जातिप्रथा की उत्पत्ति को भोजन सम्बन्धी निषेधों के आधार पर समझाया है। हट्टन की बात अधिक उपयुक्त लगती है । इनके अनुसार “यह बात जोर देकर कही जा सकती है कि जाति व्यवस्था कई भौगोलिक, सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और आर्थिक कारणों की अन्त:क्रिया का स्वाभाविक परिणाम है।" इस प्रकार जाति व्यवस्था एक जटिल व्यवस्था है और उसकी उत्पत्ति जटिल परिस्थितियों से हुई है। ____जाति व्यवस्था ने भारतीय समाज को संगठित करने का कार्य किया। हट्टन के अनुसार तब यह समझा जा सकेगा कि जाति का एक महत्वपूर्ण कार्य, सम्भवत: उसके सब कार्यों में सबसे 1. Green, Sociology Birth dominates one"s occupation, place of residence, style of life, personal associates, and the group from amongst whom one must find a mate. A caste system always includes the notion than physical or some form of social system is also protected by law and sanctified by religion. 2. डा. रामनाथ शर्मा, और डा. राजेन्द्र शर्मा, भारतीय समाज, संस्थायें और संस्कृति, पृ. 67 3. भारतीय समाज, संस्थायें और संस्कृति, प.71-72 4. Majumdar, D.N. Races & Castes of India, Page 292 We should think that the Caste depends upon the degree of purity of blood and extent of isolation maintained by the social groups. 5. Hutton, J.H. Casta in India, Page 188 It is urged emphaticelly that the Indian Caste system is the natural result of number of geographical, social, religions, and economic factors. For Private and Personal Use Only
SR No.020517
Book TitleOsvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirmal Lodha
PublisherLodha Bandhu Prakashan
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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