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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 345 भोज के दरबार में आश्रय लिए हुए थे। खिलजियों के आतंक से मालवा का वैभव समाप्त हुआ और बाद में इन्हीं के वंशज अजमेर के आसपास छोटे सामन्त के रूप में रहते थे। इनके वंशजों में और कर्मचंद पंवार सांगा का समकालीन था जो अजमेर के पास पास छोटे सामन्त के रूप में रहता था। बागड़ का परमार वंश बागड़ के परमार वंश के नरेश निम्नानुसार हैं1. डम्बरासिंह (मालवा के वेरिसिंह का पुत्र) 2. धनिक 3. चच्च 4.कंवरदेव 5. चंडप 6. सत्यराज 7. लिंवराज 8. मंड 9. चामुण्डराज 10. विजयराज मालवा के परमार राजा कृष्णराज के दूसरे पुत्र डम्बरसिंह से बागड़ का परमार राज्य प्रारम्भ होता है। यह राज्य डूंगरपुर बांसवाड़ा का भाग था, जिसे वागड़ कहते हैं। यहाँ के राजा धनिक ने धनेश्वर का मंदिर बनवाया। विजयराज अंतिम शासक था। उसके समय के 1178 ई और 1109 ई के दो शिलालेख मिलते हैं। इसके पश्चात् उस भाग में परमारों के कोई शिलालेख नहीं मिलते हैं। गुडिल सामंतसिंह के कारण वागड़ परमारों के हाथ से निकल गया। इसके खण्डहरों से पता चलता है कि अंथूणा उस समय बड़ा वैभवशाली नगर था, जहाँ अनेक शैव, वैष्णव, शक्ति और जैन देवालय थे। परमारों की अनेक शाखाएं हैं। कर्नल टाड के अनुसार ___ मोरी, उमरा, बुल्हट, सोडा, सुमर, कावा, सांखला, बेहिल या बिहिल, अभट, खैर, मैपावत, रेहवर, दण्ठा, खेचड, सम्पल, कोहिला, देवा, धूता, सोरगरिया, सुगड़ा, भीखा, पूया, बरतर, रिकुम्बा, हटैर, बरकोटा, कालपुसार, कहोरिया, जीप्रा, टीका, चौदा, पूना, कालामोह, धुंध, योसरा। डा. दशरथशर्मा ने विभिन्न राज्यों के परमार राजाओं की वंशाशवली निम्नानुसार दी मालवा के परमार 1. उपेन्द्र 2. वेरिसिंह। दमवड़ा सिंह (वागड़ शाखा का वंशज) 1. राजपूताना म्युजियम रिपोर्ट, अजमेर, 193-12, लेख 2, पृ2 2. ओझा, राजपूताने का इतिहास, पृ.48-233 For Private and Personal Use Only
SR No.020517
Book TitleOsvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirmal Lodha
PublisherLodha Bandhu Prakashan
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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