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रामायण के पात्रों के प्रमुख वंश/वंशनाम
लक्ष्मण
भरत
शत्रुघ्न
परिहार/प्रतिहार वंश
गौतमवंश
गौडवंश
लव
कुश
गहलोत वंश राठौड़ वंश
हनुमान का वंश
( केसरी वंश) चंद्रवंश
चंद्रवंश दूसरे पुत्र अत्रि की संतान है। अत्रि की धर्मपत्नी अनुसूया का ज्येष्ठ पुत्र सोम था। सोम का वंश होने से यह चन्द्रवंश कहलाया। अत्रि का पुत्र सोम, सोम का पुत्र बुध, बुध का पुत्र पुरुरुवा, पुरुरुवा का पुत्र आयु, आयु का पुत्र नहुष, नहुष का पुत्र ययाति, ययाति का पुत्र पुरु,
और पुरु का पुत्र जनमेजय हुआ। दुष्यंत, भरत, शान्तनु इसी कुल में हुए। शान्तनु की पत्नी गंगा से भीष्म और रानी सत्यवती से चित्रांगद और विचित्रवीर्य उत्पन्न हुए।
चन्द्रवंश से यदुवंश, हैहयवंश, जाड़ेचा वंश, चंदेल वंश, तंवर वंश, सेंगर वंश, गहरवार वंश, बुन्देलावंश, झालावंश, सोलंकी वंश, बघेल वंश और बनाफर वंश निकले।
सोमवंश प्राचीन वंश है। हस्तिनापुर का राज्य छूटने के पश्चात् इन क्षत्रियों ने झूसी (प्रयाग के पास) राज्य स्थापित किया। यह तेरहवीं शताब्दी तक चला। इस वंश के क्षत्रिय अब उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़, गोंडा, रायबरेली, हरदोई, सीतापुर, फर्रुखाबाद, कानपुर, बरेली, फैजाबाद, शाहजहांपुर, जौनपुर, इलाहाबाद, बिहार और पंजाब के कतिपय स्थानों में मिलते हैं।
इस वंश की शाखाएं पुरुवंश, हरिद्वार क्षत्रिय, दुर्वसुवंश, द्रहयूवंश, पांचालवंश, शल्यवंश, काश्यवंश, कण्व वंश, कौशिक वंश, जनवार वंश, पलवा वंश, भारद्वाज और भृगुवंश है।
महाराजा ययाति के दो रानियां थी। पहली रानी देवयानी (शुक्राचार्य की पुत्री) दो
पुत्रों में
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