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कुहरतीया करणावट, वले मोदक सहोदर । कुरहद बिरहद सीखर श्रीमाल सुजाण है । डीडू लघु कंडेलवाल वेद पारक बखाण है । आदह कन्हा भूर जद्रक कुंभट चींकच कनोजीया।
श्री वीरधमान सुरपाट अविचल सही ओसवाल थीर थापिया॥8॥
उक्त दोनों कवित्तों में श्रीमाल नगर के राजा देशल के राजकुँवर ऊपल एवं रोहण और ऊहड दो भ्रात श्रेष्ठियों का उल्लेख हैं। ऊहड़ और ऊपल द्वारा मंडोर के पास ओसिया बसाने, रत्नप्रभसूरि के ओसिया पधरने, ऊपल सहित ४ लाख ८४ हजार क्षत्रियों को बीये बाईसे' में
ओसवाल बनाने एवं भोजकों की उत्पत्ति का भी उल्लेख है। किन्तु दोनों कवित्तों में कुछ भिन्नताएँ भी हैं और वे बडी सार्थक हैं । सेवग सुखाराम के छन्द में जिन प्रथम १८ गोत्रों का उल्लेख है, वे
ओसवालों के आदि गोत्र हैं, परन्तु साधु बालाराम के छन्द में बाद के १८ राजपूत गोत्रों का नामोल्लोख है।
नाहर जी के संग्रह में उपलब्ध गुटकों से उक्त छन्दों का मिलान करने पर एक और महत्त्वपूर्ण तथ्य दृष्टिगोचर होता है। एशियाटिक सोसायटीमें उपलब्ध कवित्तों में ओसवंश प्रतिष्ठापक रत्नप्रभ सूरि का स्पष्टत: भगवान् महावीर के निवार्ण के ४२ वर्ष बाद आचार्य पद पर आसीन होना एवं उसके १८ वर्ष अनन्तर ओसिया पधारने का उल्लेख है। इस दृष्टि से ये पद ओसवालों की उत्पत्ति के काल-निर्णय में बहुत सहायक सिद्ध होते हैं।
इन दोनों गुटकों में श्रेष्ठि भ्राता- रोहड़ और ऊहड़ हैं। श्रीमाल नगर का राजा देशलदे है। प्रथम जैन राजा को परमार ही माना है। ऊपल और उहड़ मण्डोवर आए। ऊपल ने ओसियां नगरी बसाई । वहाँ रत्नप्रभसूरि पधारे । वहाँ उन्होंने चार लाख चौरासी हजार राजकुमारों को प्रतिबोध दिया। 'वीये वाइसे' के श्रावण के शुक्ल पक्ष में ओसवंश की प्रस्थापना की। प्रथम कवित्त का सेवक जोधपुर का बालादभेण है, जिसने विक्रम संवत 1971 की फाल्गुन सुदि 12 शुक्रवार, ईस्वी सन् 1915 फरवरी की 26 तारीख को ओलवी परगना बिलाड़ा के ठाकुर भाटी दौलत सिंह जी की पुस्तक मिली।
द्वितीय कवित्त में स्पष्ट लिखा है ‘लीखतु सेवग सुखराम लोड़ावत। इसमें भी कहा है कि 'श्रीमाल नगर में दो श्रेष्ठि पुत्र थे- उहड़ और रूहड़। ऊहड़ को भाभी ने उपालम्भ दिया, वह राजकुमार ऊपल के पास आया और नया नगर बसाने की योजना बनाई। देशल के भी दो ही पुत्र
1. इतिहास की अमरबेल-ओसवाल, प्रथम खण्ड, पृ86 राजस्थान राज्य के राजकीय प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान में निम्नांकित गुटके उपलब्ध हैं
1. ओसवाल री जाति विगत (क्रमांक 655) 2. ओसवाल जात्युपात्ति कवित्त (क्रमांक 3334) 3. कवि भाईदास रचित कूकड़ चोपड़ा री उत्पत्ति (क्रमांक 3340) 4. ओसवाल जाति उत्पत्ति वर्णन (क्रमांक 3978) 5. इतिहास ओसवंश (क्रमांक 27033) 6. उसवाल वंश उत्पत्ति रा कवित्त (क्रमांक 655)
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