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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 208 जेठे चेले जाय लोग कर पुणी लायो । कर माया कारणी विष पिलो बनायो । सेठ सुत कवर सुतां सुख सेज में मज देवारों मालीये । पी गयो सास पिलो पनंग धरती ताते जालीये ।।9।। दोवड़ी रती दिराय आण जिराण उतारी । बड़ा जेठ जेठव पति उपर जदों अधिकारी ।। गुरु पठायो शिष्य शिष्य किरत कई सारी । क्युं जलावो जीव ने जिवावे जड़ी हमारी ।। आनीयाकवर गुरु आगले कवरा ने जीवत किया । एक एक सारे नगर देशल सुत गुरु ने दिया ।।10।। प्रथम साख पवार साख गेलोत श्रृंगार । रिन थम्बर राठोड़ बसु चौवान बड़ाला ।। भाटि दैयाबुल कावा पडियाला । वोडौव हाडा जादव गोड़ मोयल गोयल मकराणा ।। तुअर भूप खरबर तनो लेता पटा लाखरा । एक दिन इतरा ओसवाल हु इतनी साखरा ।।3।। सावण पख सुतात संवत् विये न बाई से । अर्क वार अठम ओसवाल हुआ उपदेशे । इष्ट चावंड अराधे जड़ी मात कवर जिवायो । देवी जिनरो दिवस नाम जद साचल पायो ।। चार सहस राजस कुली श्रावग ज्ञानी समापिया । रतन सूर प्रभु ओसियां नगर ओसवाल थिर थापिया ।12।। विप्रां कियो विचार एरा शिव धर्म उथापे । सिताब जांदीया किन करे जुअर के तांई ।। ऊपर करवा आप चढ़ साचल आई । सिची आई बिचै मुनिवर सबे प्रगट सच प्रीतपाल का। जे कदे विरचे ओसवंस तो करसी गट को कालका ।।13।। विप्रा कीनी विनती श्रवण चावंड सुनीजै । कोप कियो जी कृपा दयावर दानज दीजै ।। साचो मुज शराप बचन किम चवे, हमारो बदसी । माल बेलों बदे होसी विप्र थोरा कयो । ओसियां तज जासी अलग देवी करता वर दियो ।।14।। गांवेटा गुनीया सुपे जिन करि सेवा । देवें विवा दान लाखा तीरी जस लेवा ।। बडम सुतारथ व्याव वला आशीश बनावे । अवसर दूत अपार विधे घर कुँवर बधावे ।। For Private and Personal Use Only
SR No.020517
Book TitleOsvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirmal Lodha
PublisherLodha Bandhu Prakashan
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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