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(xix)
डॉ. धर्मचन्द जैन एम.ए., पी-एच.डी. (एसोशिएट प्रोफेसर, संस्कृत विभाग, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर) प्रधान सम्पादक : जिनवाणी 547394
मिश्रीलालजी ठेकेदार का मकान,
आकाशवाणी के पीछे,
॥ पावटा “सी रोड़, जोधपुर - 342010 (राज.)
दिनाङ्क : 17.9.99 एक स्तुत्य प्रयास 'ओस (वाल) वंश : उद्भव और विकास' पुस्तक के प्रथम खण्ड का स्थाली पुलाक न्याय से अवलोकन किया। यह खण्ड जैन इतिहास को प्रस्तुत करने के साथ ओसवंश के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालता है। ग्रन्थ में वर्ण-व्यवस्था, महावीर पूर्व, महावीर युग, महावीरोत्तर युग एवं जैनधर्म के विभिन्न सम्प्रदायों एवं परम्पराओं की संक्षिप्त चर्चा करने के साथ ओसवंश के गोत्रों का विभिन्न आधारों पर वर्गीकरण किया गया है। ओसवाल जाति में क्षत्रिय राजपूतों के अतिरिक्त ब्राह्मण, कायस्थ आदि जाति के लोग भी समाविष्ट हुए हैं, ऐसा इस ग्रंथ में निर्देश है। जैनों के सांस्कृतिक सन्दर्भको प्रस्तुत करते हुए ग्रन्थ भण्डारों, मूर्तिकला, जैनतीर्थों, शिक्षण-संस्थाओं, जैन पत्रकारिता आदि का भी ग्रन्थ में परिचय दिया गया है। लेखक के समक्ष श्री सुखसम्पतराज भण्डारी, श्री सोहनराज भंसाली, श्रीमती मनमोहिनी, श्री माँगीलाल भूतोड़िया आदि के द्वारा रचित ओसवाल वंश का प्रतिपादन करने वाली पुस्तकें विद्यमान रही हैं। अतः इनके प्रकाश में एवं अनेक मूलग्रन्थों एवं द्वितीयक सन्दर्भग्रन्थों के प्रकाश में यह पुस्तक लिखी गई हैं। लेखक श्री महावीरमल लोढ़ा एवं प्रेरक श्री चंचलमल लोढ़ा का यह प्रयास स्तुत्य है।
(धर्मचन्द जैन)
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