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173 मकवाणा, फीतुरिया, सबिया, सुखिया, संकलेचा, डागलिया, पांडुगोता, पोसालेचा, सहाचेती. नागण, खीमाणदिया, बडेरा, जोगणेचा, सोनाड़ा, जाड़ेचा, चिंचड़ा, कपुरिया, निवांडा और बाकुलिया।
श्री कोठारी ने माना है कि कोरंट गच्छाचार्य रत्नप्रभसूरि ने 1175 वि.सं में चौहान लखमजी को संखवाल स्थान पर प्रतिबोधित कर संकलेचा गोत्र की स्थापना की। वृहत तपागच्छ/नागपुरिया तपागच्छ के आचार्यों द्वारा प्रतिबोधित गोत्र
जैन जाति महोदय' के अनुसार निम्नांकित ओसवंश के गोत्र वृहद तपागच्छ/नागपुरिया तपागच्छ द्वारा प्रतिबोधित हुए
1. मोटलोणि, नौलखा, भूतेड़िया। 2. पीपाड़ा, हीरण, गोगड़, शीशोदिया। 3. रूणबाल, बेगाणी।
4. हींगड़, लिंगा। 5. रायसोनी
6. झामड़, झाबक 7. छलाणी, छजलाणी, गोडावत 8. हीराड, केलाणि 9. गोखरू, चौधरी
10. राजबोहरा 11. छोरिया, सामड़ा
12. श्री श्रीमाल 13. दूगड़
14. लोढा 15. सुरियामण
16. जोगड़, नक्षत्र 17. नाहर
18. जड़िया। इन 18 गोत्रों की वंशावली खराड़ी, बलुंदो और नागौर के तपागच्छीय साधु लिखते हैं। इसके अतिरिक्त वरडिया बरदिया
वरहुडिया वांठीया चामड़,
कवाड़ शाहा लखावत
लालाणि गांधी राजगंधी
वेदगांधी सराफ लुंकड
बुरडा सांई मुनोत
गोलिया आस्तेवाल कछोला
मरडोचा सीलरेचा
मादरेचा लोलेचा भाला
विनायकिया कोटारी मीनी
खटोल
चौधरी सोलंकी
आंचलिया
गोठी छत्रीया डफरिया
गुजराणी आदि जातियां तपागच्छ से जुड़ी है।
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1.जैन जाति महोदय, पृ83-84
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