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खरतरगच्छ आचार्यों की आचार्य परम्परा 1. आचार्य वर्धमान सूरि
वि.स. 1050 2. जिनेश्वर सूरि
वि.स. 1066-1078 3. जिनचन्द्रसूरि 4. अभयदेव सूरि- नावांग टीकाकार स्वर्गवास 339 5. जिनवल्लभसूरि आचार्य पद
367 - 6. युगप्रधान दादा जिनदत्त सूरि आचार्य 369..... 7. मणिधारी जिनचन्द्रसूरि
1205 8. युगप्रवरागम जिनपति सूरि
वि.स. आचार्य पद 143 9. जिनेश्वरसूरि
आचार्य पद सं 1278 10. जिनप्रबोध सूरि
आचार्य पद सं 1331 11. कलिकाल केवली जिनचन्द्रसूरि आचार्य पद सं 1341 12. दादा श्री जिनकुशल सूरि
आचार्य पद सं 1377 13. जिनपद्मसूरि
आचार्य सं 1390 14. जिनलब्धि सूरि
स्वर्गवास 1406 15. जिनचन्द्रसूरि
1406 16. जिनोदयसूरि
1451 17. जिनराजसूरि
1433 18. जिनभद्रसूरि
1475 19. जिनचंद्रसूरि
1515 20. जिनसमुद्र सूरि .
1533 21. जिनहंससूरि
1555 22. जिनमाणिक्य सूरि
1582 23. अकबर प्रतिबोधक युगप्रधपन जिनचन्द्रसूरि 1612 24. जिनसिंह सूरि
1649 25. जिनराजसूरि
1674 26. जिनरत्न सूरि
1700 27. जिनचन्द्रसूरि 28. जिनसुख सूरि
1763 29. जिनभक्ति सूरि
1780 30. जिनलाभ सूरि
1804 इसके पश्चात् यति परम्परा चली।
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1. साध्वी श्री शशिप्रभा श्रमणी- अग्रिनन्दन ग्रंथ, सज्जन श्री जी महाराज पृ. 5 (खतरगच्छ का संक्षिप्त परिचय, म. विनयसागर)
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