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145 नंदलाल जी महाराज - नंदलाल जी महाराज का पूरा घर दीक्षित था । कविवर हीरालाल जीआपके भ्राताथे। आप तपस्वी, निर्मल और तीव्र बुद्धिशालीथे। आपका समाधिमरण रतलाम में 1993 में हुआ।
जैनाचार्य श्री जवाहरलाल जी महाराज - बालब्रह्मचारी जवाहरलाल जी महाराज का जन्म संवत् 1932 में हुआ। पूज्य लाल जी महाराज के पश्चात् आप ही इस सम्प्रदाय के आचार्य बने । 'सूत्रकृतांग' आपने विस्तृत टीका लिखी। 'लोकमान्य तिलक, महात्मा गांधी, वल्लभभाई पटेल, पं. मदनमोहन मालवीय और कविवर नानालाल जी ने आपके प्रवचनों का लाभ प्राप्त किया। 23 वर्ष तक आचार्य पद का निर्वहन कर आप संवत् 2000 में स्वर्ग सिधारे।
पू. श्री खूबचंद जी महाराज - आपका जन्म निम्बाहेड़ा (राजस्थान) में संवत् 1930 की कार्तिक शुक्ला 8 को हुआ। पूज्य मुन्ना लाल जी के पश्चात् आपको आचार्य पद पर अभिषिक्त किया गया। आपकी दीक्षा मुनि नंदलाल जी के करकमलों से 4 वर्ष की अवस्था में नीमच में हुई। ब्यावर में संवत् 2002 के चैत्र शुक्ला 3 को आपका समाधिमरण हुआ।
वक्ता मुनि श्री चौथमल जी महाराज - जगत वल्लभ जैन दिवाकर चौथमल जी महाराज हीरालाल जी महाराज के पास दीक्षित हुए। आपकी व्याख्यान शैली से प्रभावित होकर बड़े बड़े राजाओं-महाराजाओं ने मद्यमांस और जीवहिंसा का त्याग किया। आप जैन और जैनेतर सभी सम्प्रदायों में परमप्रिय थे। आपका स्वर्गवास कोटा में हुआ। .
दौलतराम जी महाराज - संस्कृत और प्राकृत के प्रकाण्ड पण्डित दौलतराम जी महाराज हरती ऋषि के बड़े पाट पर विराजे । आपकी ही सेवा में रहकर अजरामर जी महाराज ने शास्त्रों का गम्भीर अध्ययन किया था। स्थानकवासी अधिवेशन .
स्थानकवासी परम्परा के श्रमणवर्ग ने विभिन्न सम्प्रदायों में एकता के लिये कई अधिवंश किये जिसमें निम्नांकित मुख्य हैं
प्रथम अधिवेशन - मोरवी द्वितीय अधिवेशन - रतलाम तृतीय अधिवेशन - अजमेर चतुर्थ अधिवेशन - जालंधर पंचम अधिवेशन - सिकन्दराबाद षष्ट अधिवेशन - मलकापुर सप्तम अधिवेशन - बम्बई अष्टम अधिवेशन - बीकानेर नवम् अधिवेशन - अजमेर दशम् अधिवेशन - घाटकोपर, बम्बई
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