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धर्मसिंह जी महाराज के विविध सम्प्रदायों के अनेक आचार्यों और साधुओं के उपलब्ध
परिचय दिये जा रहे हैं ।
बोटाद सम्प्रदाय
जसराज जी महाराज - आप धर्मदासजी महाराज के पंचम पट्टधर आचार्य हुए। आपने विक्रम संवत् 1867 ई में दशरथमलजी महाराज सा. के पास दीक्षा ली। आप बोटाद में स्थिरवास के लिये आए, तब से इस सम्प्रदाय का नाम बोटाद सम्प्रदाय पड़ा। आपका स्वर्गवास 1929 में हुआ ।
अमरशीजी महाराज - आपका जन्म क्षत्रिय वंश में वि.सं 1886 में हुआ। आप सं 1909 में पूज्य जसराज जी महाराज के पास दीक्षित हुए।
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हीराचंद जी महाराज आपका जन्म विक्रम संवत् 1928 में खेड़ा (मारवाड़) में हुआ। आप 1928 में रणछोड़दास जी महाराज के पास दीक्षित हुए।
मूलचंद जी स्वामी - वि.सं 1920 में नागभेद गांव में आपका जन्म हुआ और वि.सं 1948 में आप हीराचंद जी महाराज के पास दीक्षित हुए ।
माणकचंद जी महाराज आप बोटाद के पास तुरखा गांव में वि.स. 1938 में और वि.स. 1903 में अमरशीजी महाराज के पास दीक्षित हुए।
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शिवलाल जी महाराज आप भावसार जाति कुल में उत्पन्न हुए और वि.सं 1974 में माणकचंद जी महाराज के पास दीक्षित हुए। आपकी प्रवचन शैली सरस और सुबोध थी ।
धर्मदास जी महाराज का सम्प्रदाय
आचार्य भीखण जी- मरुभूमि में कंटालिया ग्राम में वि.सं 1787 में आपका जन्म हुआ। आप रघुनाथजी महाराज के शिष्य थे । आचार्य भीखण जी पूज्य रघुनाथ जी महाराज से सहमत नहीं थे, इसलिये आपने तेरापंथ नाम से अलग संघ बगड़ी में स्थापित किया ।
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चौथमल जी महाराज का सम्प्रदाय
रघुनाथ जी महाराज की शिष्य परम्परा से पूज्य धर्मदासजी महाराज के आठवें पट्ट पर आप विराजे । आप पूज्य भैरूमल जी महाराज के शिष्य थे । आपके सम्प्रदाय में शार्दूलसिंह जी महाराज वि.सं. 1937 में जन्मे ।
पूज्य रत्नचंद जी महाराज का सम्प्रदाय
पूज्य धन्ना जी के शिष्य पूज्य भूधरजी के शिष्य आचार्य कुशल जी हुए। कुशलजी के शिष्य गुमानचंद जी प्रभावशाली हुए। इनके शिष्यों में रत्नचंद जी महाराज से इस सम्प्रदाय का प्रारम्भ हुआ ।
रत्नचंद जी महाराज का जन्म राजस्थान में कुड़गांव में हुआ। नागौर के श्रीमंत सेठ ने
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