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(xii)
हर पीढ़ी के लिये प्रकाश स्तम्भ
इतिहास की गौरव गाथाओं में ओसवंश का अविस्मरणीय सहयोग सदैव से रहा है। चाहे वह धार्मिक हो, आर्थिक हो, राजनैतिक हो और चाहे पारमार्थिक क्षेत्र ही क्यों न हो, ओस वंश में जन्में पले बड़े हुए भामाशाह, आशाशाह, पेपड़शाह, जगडुशाह, सारंगशाह आदि-आदि के दान समर्पण और करुणा की दिव्य गौरव गाथाएँ आज भी जन-जन के मुखप्रस्फुटित होती है। इन्हीं कर्णधारों के कारण ओसवंश का इतिहास आज भी चमक रहा है।
जैन इतिहास के प्रांगण में महान् क्रांतिकारी आचार्य श्री धर्मदास जी महाराज, क्षमाश्रमण श्री भूधरजी म.सा. युगप्रधानाचार्य चक्रवर्ती आचार्य श्री जयमल जी म.सा., आगम मर्मज्ञ स्व. आचार्य श्री जीतमल जी म.सा., आगम मर्मज्ञ स्व. आचार्य श्री जीतमल जी म.सा. साहित्य सूरी आचार्य प्रवर श्री लालचन्द्र जी म.सा. आदि महापुरुषों का अभूतपूर्व अमिट योगदान रहा है।
इतिहास मर्मज्ञ सुश्रावक श्रीमान् चंचलमल सा लोढ़ा के सद्प्रयासों से और लेखक डॉ. महावीर मल जी लोढ़ा का ओसवाल वंश का इतिहास ग्रंथित रूप में ओसवाल समाज के लिए एक वरदान सिद्ध होगा। आपका यह प्रयास श्रम साध्य है। इससे पूर्व भी ओसवाल वंश की स्थापना व विस्तार आदि की चर्चा छोटी-बड़ी पुस्तकों के रूप में दृष्टिगोचर होती हैं, मगर इतना विशाल ग्रंथाकार के रूप में प्रयास तो सम्भवतः प्रथम बार ही दृष्टिगोचर हो रहा है।
श्रीयुत लोढ़ा जी का यह सत्प्रयास आने वाली हर पीढ़ी के लिए प्रकाश-स्तंभ का कार्य करें, इसी शुभाशंसा के साथ।
महासती श्री सुगन कुंवर
व्रज-मुधकर भवन
13-10-99
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