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चन्द्रगच्छ - चन्द्रकुल से उत्पन्न इस गच्छ की उत्पत्ति सिरोही में हुई। इसकाअभिलेख 1435 ई का मिला है।
हस्तिकुण्डी गच्छ - मारवाड़ के हस्तिकुण्डी में उत्पन्न इसका अभिलेख उदयपुर से प्राप्त 1396 ई के लेख में मिला है।'
भरतरिपुर गच्छ - 13वीं शताब्दी के एक अभिलेख में इसका अस्तित्व मिलता
रतनपुरिया गच्छ - मदाहड गच्छ की इस शाखा का लेख उदयपुर में 1453 ई का उपलब्ध हुआ है।
भीमपल्लीय गच्छ - पूर्णिमा गच्छ की इस शाखा का अभिलेख जोधपुर में 1541 ई का मिला है।
जापदानागच्छ - नागौर के 1477 ई के अभिलेख में इसका संदर्भ है।'
तावदार गच्छ - जोधपुर के मुनि सुव्रतनाथ के मंदिर में 1442 ई के अभिलेख में इसका नाम है।
वातपीय गच्छ - जैसलमेर से प्राप्त 1281 ई. के लेख में इसका नाम है।' सरवाला गच्छ - 13वीं शताब्दी में जैसलमेर में इसका अस्तित्व था। चंचला गच्छ - जयपुर से प्राप्त 1472 के अभिलेख में इसका नाम है।' प्राया गच्छ - 1317 ई के उदयपुर से प्राप्त अभिलेख में इसका नाम है। निथ्यति गच्छ - मेवाड़ क्षेत्र के 1439 ई के लेख में इसका प्रमाण है।"
कासहृद गच्छ - कासिंद्रा से उत्पन्न इस गच्छ का उल्लेख 1242 ई के लेख में मिलता है।12
1. प्राचीन लेखसंग्रह, क्रमांक 43 2. Annual Report Rajputana Museum, 1923, क्रमांक 9 3. प्राचीन लेखसंग्रह, क्रमांक 49, 124,256 4. जैन लेखसंग्रह (नाहर) क्रमांक 604 5. वही, 1288 6. वही, क्र. 616 7. Jainism in Rajasthan, Page 68 8. जैन लेखसंग्रह नाहर 3, क्रमांक 2220, 2221, 2222
वही, क्रमांक 359 10. Jainism in Rajasthan, Page 68 11. जैनलेखसंग्रह (नाहर), क्रमांक 1078 12. Jain Inscriptions of Rajasthan, Page 194
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