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काछोली गच्छ - सिरोही के काछोली ग्राम से इसकी उत्पत्ति मानी जाती है। इसी गांव की 1246 ई की एक प्रतिमा में इसका उल्लेख है । '
चैत्रगच्छ - चैत्रगच्छ का उल्लेख 1252 ई से 1525 ई तक की 4 मूर्तियों के अभिलेखों में मिलता है ।
जीरापल्ली गच्छ इसे जीराउला गच्छ भी कहते हैं। इसके दो अभिलेख 1492 और 1500 ई के मिलते हैं ।
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वृहतपा/वृद्धतपागच्छ - यह तपागच्छ से भी प्राचीन प्रतीत होता है। राजस्थान में 1424 ई से 1580 ई तक की 63 मूर्तियों में इसके उल्लेख मिलते हैं ।'
प्राप्त हुए हैं।
है । "
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धिरापद्रीय गच्छ - सिरोही के क्षेत्र के विभिन्न स्थलों से 1413 से 1475 ई के बीच मूर्तियों के लेखों से इसके अभिलेख मिले हैं। S
धर्मघोष गच्छ - आचार्य धर्मघोष के नाम से राजस्थान के विभिन्न जैन मंदिरों में 1252 ई से 1520 ई तक के 53 प्रतिमाओं मे इस गच्छ के नामों का उल्लेख मिलता है।' नागेन्द्र गच्छ - नागेन्द्र कुल से उत्पन्न इस गच्छ के उल्लेख 1238 ई से 1560 ई के मध्य 4 प्रतिमा लेखों में मिले हैं। 7
निगम प्रभावक गच्छ - सिरोही राज्य की दो प्रतिमाओं पर 1524 ई के दो अभिलेख
मिले हैं।
निवृत्ति कुल / गच्छ - इसका उल्लेख 1472 ई और 1510 के मूर्तिलेखों में मिलता
पिप्पल गच्छ - सिरोही क्षेत्र के विभिन्न स्थानों से 1234 ई. से 1504 ई. के मध्य 51 लेख मिले हैं। 10
वृहद गच्छ - आबू में उत्पन्न 1259 ई से 1502 ई तक 39 मूर्तियों के अभिलेख
1. श्री जैन प्रतिमा लेखसंग्रह, क्रमांक 332
2. प्रतिष्ठा लेखसंग्रह, परि. 8, पृ 224, श्री जैन प्रतिमा लेख संग्रह, क्रमांक 106, 67, 155, 37, 213, 267
3. वही, क्रमांक 855 और 892
4. श्री जैन प्रतिमा लेख संग्रह, पृ43-45
5. वही, क्रमांक 206, 268, 65, 142, 229, 61, 165, 172 एवं प्रतिष्ठा लेखसंग्रह परि. 2, पृ 227
6. वही, पृ 199, 290, 98,269, 123 और प्रतिष्ठा लेखसंग्रह, परि. 2, पृ 225
7. वही, पृ 57, 6, 183, 369, 216, 96, 197, 365, 39, 215, 122, 27, प्रतिष्ठा लेखसंग्रह 22,
58, 151, 167, 366, 696, 883, 931, 946, 951
8. वही, क्रमांक 80, 241
9. प्रतिष्ठा लेख संग्रह, क्रमांक 712, 937
10. श्री जैन प्रतिमा लेख संग्रह, पृ 40-50
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