SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 542
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पच्छापडिसेविय पच्छाआलोयं ४। अपलिउंचिए अपलिउंचियं १, अपलिउंचिए पलिउंचियं २, पलिउंचिए अपलिउंचियं ३, पलिउंचिए पलिउंचियं ४ । पलिउंचिए पलिउंचियं आलोएमाणस्स सव्वमेय सकय साहणिय जे एयाए पढवणाए पढविए णिव्विसमाणे पडि सेवइ सेवि कसिणे तत्थेव आरुहियव्वे सिया ॥१९॥ जे भिक्खू बहुसोवि मासिय वा बहुसोवि साइरेगमासिय वा बहुसोवि दोमासिय वा बहुसोवि साइरेगदोमासिय वा बहुसोवि तेमासियं वा बहुसोवि साइरेगतेमासियं वा बहसोवि चाउम्मासियं वा बहुसोवि साइरेगचाउम्मासिय वा बहुसोवि पंचमासियं वा बहुसोवि साइरेगपंचमासियं वा, एएसि परिहारट्ठाणाणं अण्णयरं परिहारट्ठाणं पडि सेवित्ता आलोएज्जा पलिउंचिय आलोएमाणस्स ठवणिज्ज ठावइत्ता करणिज्ज वेयावडियं ठाविएवि पडि से वित्ता सेवि कसिणे तत्थेव आरुहियव्वे सिया पुचि पडिसेवियं पुचि आलोइयं १, पुब्धि पडि सेवियं पच्छा आलाइयं २, पच्छा पडिसेवियं पुटिव आलोइयं ३, पच्छापडिसेवियं पच्छा आलोइयं ४ । अपलिउंचिए अपलिउंचियं १, अपलिउंचिए पलिउंचियं २, पलिउंचिए अपलिउंनियं ३, पलिउंचिए पलिउंचियं ४ । पलिउंचिए पलिउंचियं आलोएमाणस्स सव्वमेयं सकयं साहणिय जे एयाए पट्टवणाए पट्टबिए निविसमाणे पडिसेवेइ सेवि कसिणे तत्थेव आरुहियव्वे सिया ॥२०॥ छम्मासियं परिहारट्ठाणं पट्टविए अणगारे अंतरा दोमासियं परिहारद्वाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा अहावरा वीसइराइया आरोवणा आइमज्झावसाणे सअटुं सहेउं सका. रणं अहीणमइरित्तं तेण परं सवीसइराइया दो मासा ॥२१॥ पंचमासियं परिहारद्वाणं पट्टविए अणगारे अंतरा दोमामासियं परिहारद्वाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा अहावरा वीसइराइया आरोवणा आइमज्झावसाणे सअठं सहेउं सकारणं अहीणमइरित्तं तेण परं सवीसराइया दो मासा ॥२२॥ चाउम्मासिय परिहारट्ठाणं पट्ठविए अणगारे अंतरा दोमासियं परिहारहाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा अहावरा वीसइराइया आरोवणा आइमज्ज्ञावसाणे सअटुं सहेउं सकारंणं अहीणमइरित्तं तेण परं सवीसइराइया दो मासा ॥२३॥ तेमासियं परिहारट्ठाणं पट्टविए अणगारे अंतरा दोमासियं परिहारहाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा अहावरा वीसइराइया आरोवणा आइमज्झावसाणे सअटुं सहेउं सकारणं अहीणमइरित्तं तेण परं सवीसइराइया दो मासा ॥२४॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020508
Book TitleNishith Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilalji Maharaj, Kanhaiyalalji Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages546
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy