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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जे भिक्खू उग्घाइयं सोच्चा णच्चा संभुंजइ संभुंजतं वा साइज्जइ ॥ २० ॥ जे भिक्खू उग्घाइयहेउं सोच्चा गच्चा संभुजइ सं तं वा साइज्जइ ॥२१॥ जे भिक्खू उग्याइसंकप्पं सोच्चा णच्चा संभुंजइ संभुंजत वा साइज्जइ ॥२२।। जे भिक्खू उग्घाइयं उग्धाइयहेउं वा उग्याइयसंकल्पं वा सोच्चा णच्चा संभुजइ संभुजेत वा साइज्जइ ॥२३॥ 'अणुग्याइयं सोच्चा' ० ॥२४॥ 'अणुग्घाइयहेउं सोच्चा' ० ॥२५॥ 'अणुग्घाइयसंकप्पं सोच्चा'० ॥२६॥ 'अणुग्धाइयं-अणुग्याइयहेउं अणुग्याइसंकप्पं सोचा'० ॥२७।। 'जे भिक्खू उग्धाइयं वा अणुग्धाइयं वा सोच्चा० ॥२८॥ 'उग्याइयहउँ वा अणुग्धाइयर्ड वा सोच्चा० ॥२९॥ उग्घाइयसंकप्पं वा अणुग्याइयसंकप्पं वा सोच्चा० ॥३१॥ 'उग्याहयं वा अणुग्घाइयं वा उग्घाइयहेउं वा अणुग्याइयहेउं वा उग्घाइयसंकप्पं वा अणुग्याइयसंकप्पं वा सोच्चा० ॥३१॥ जे भिक्खू उग्गयवित्तिए अणत्यमियमणसंकप्पे संथडिए णिव्वितिगिच्छासमावण्णेणं अप्पाणेणं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिग्गाहेत्ता संभुंजइ संभुंजतं वा साइज्जइ, अह पुण एवं जाणेज्जा अणुग्गए सरिए अत्थमिए वा से जं च मुहंसि वा जं च पाणिसि वा जं च पडिग्गहंसि वा तं विगिंचिय विसोहिय तं परिहावेमाणे णाइक्कमइ, जो तं भुजइ भुंजतं वा साइज्जइ ॥ ३२ ॥ जे भिक्खू उग्गयवित्तिए अणथमियमणसंकप्पे संथडिए वितिगिच्छासमावणेणं अप्पाणेणं असणं वा ४ जाव जो तं भुंजइ भुंजतं वा साईज्जई ॥ ३३ ॥ जे भिक्खू उग्गयवित्तिए अणत्यमियमणसंकप्पे असंथडिए निवितिगिच्छासमावन्नेणं अप्पाणेणं असणं वा ४ जाव जो तं जइ भुंजतं वा साइज्जइ ॥ ३४॥ जे भिक्खू उग्गयवित्तिए अणथमियमणसंकप्पे असंथडिए वितिगिच्छासमा. वण्णेणं अप्पाणेणं असणं वा ४ जाव जो तं भुजइ भुजंतं वा साईज्जइ ॥ ३५ ॥ जे भिक्खू राओ वा बियाले वा सपाणं सभोयणं उग्गालं आगच्छेज्जा तं विगिंचमाणे वा विसोहेमाणे वा णाइक्कमइ तं उग्गिलित्ता पच्चोगिलमाणे राइभोयणपडिसेवणपत्ते, जो तं पच्चोगिलइ पच्चोगिलंत वा साइज्जइ ॥ ३६ ॥ जे भिक्खू गिलाणं सोच्चा णच्चा ण गवेसइ ण गवसंतं वा साइज्जइ ॥३७॥ जे भिक्खू गिलाणं सोच्चा णच्चा उम्मग्गं वा पडिपहं वा गच्छइ गच्छंतं वा साइज्जइ ॥३८॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020508
Book TitleNishith Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilalji Maharaj, Kanhaiyalalji Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages546
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size15 MB
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