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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४ अणुपाएज्ज वा अणुग्यासंतं वा अणुपाएंतं वा साइज्जइ ॥७९॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णतरं तेइच्छं आउदटइ आउटुंतं वा साइज्जइ ॥८०॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अमणुन्नाई पोग्गलाई नीहरेइ नीहरेतं वा साइज्जइ ॥८॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडि याए मणुन्नाई पोग्गलाई उवकिरइ उवकिरंतं वा साइज्जइ ॥८२॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नयरं पसुजायं वा पक्खिजायं वा पायंसि वा पक्खंसि वा पुच्छंसि वा सीसंसि वा गहाय संचालेइ संचालतं वा साइ. ज्जइ ॥८३॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नयरं पसुजायं वा पक्खिजायं वा सोयंसि कर्ट वा किलिंचं वा अंगुलियं वा सलागं वा अणुप्पवेसित्ता संचालेइ संचालेंतं वा साइज्जइ ॥८४॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नयरं पसुजायं वा पक्खिजायं वा 'अयमित्थि'-त्ति कटु आलिंगेज्ज वा परिस्सएज्ज वा परिचुंबेज्ज वा आलिंगतं वा परिस्सयंत वा परिचुंबतं वा साइज्जइ ॥८५॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा देइ देते वा साइज्जइ ॥८६॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिच्छइ पडिच्छतं वा साइज्जइ ॥८७॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए वत्थं वा पडिग्गहं वा कंबलं चा पायपुंछणं वा वा देइ देंतं वा साइज्जइ ॥८८॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए वत्थं वा पडिग्गरं वा कंबलं वा पायपुंछणं वा पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइज्जइ ॥८९॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए सज्झायं वाएइ वाएंत वा साइज्जइ ॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए सज्झायं पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइज्जइ ॥९॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णयरेणं इंदिएणं आकारं करेइ करें। वा साइज्जइ ॥९२।। तं सेवमाणे आवजइ चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं अणुग्घाइयं ॥९३॥ ॥ निसी हज्झयणे सत्तमो उद्देसो समत्तो ॥७॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020508
Book TitleNishith Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilalji Maharaj, Kanhaiyalalji Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages546
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size15 MB
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