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जे भिक्खू पाडिहारियं पिप्पलग जाइत्ता वत्थं छिदिस्सामि-त्ति पायं छिदइ, छिदंतं वा साइज्जइ ॥३३॥
जे भिक्खू पाडिहारियं नहच्छेयणगं जाइत्ता नई छिदिस्सामि-त्ति सल्लुद्धरणं करेइ, करेंतं वा साइज्जई ॥३४॥
जे भिक्खू पाडिहारियं कण्णसोहणगं जाइत्ता कण्णमलं णीहरिस्सामि-त्ति दंतमलं वा नहमलं वा गीहरेइ गीहरंतं वा साइज्जइ ॥३५॥
जे भिक्खू अविहीए सई पच्चप्पिणई पच्चप्पिणतं वा साइज्जइ ॥३६॥
जे भिक्खू लाउपायं वा दारुपायं वा मट्टियापायं वा अण्णउत्थिएण वा गारथिएण वा परिघट्टावेइ वा संठवेइ वा जमावेइ वा अलमप्पणो करणयाए सुहुममवि नो कप्पइ जाणमाणे सरमाणे अण्णमण्णस्स वियरइ वियरंतं वा साइज्जइ ॥४०॥
जे भिक्खू दंडयं वा लट्ठियंवा अवलेहणियं वा वेणुसूइयं वा अन्नउत्थिएण वा गारथिएण वा परिघट्टावेइ वा संठवेइ वा जमावेइ वा अलमप्पणो करणयाए मुहुम मवि नो कप्पइ जाणमाणे सरमाणे अण्णमण्णस्स वियरइ पियरंतं वा साइज्जइ ॥४१॥
जे भिक्खू पायस्स एगं तुडियं तुडेइ तुडंत वा साइज्जइ ॥४२॥ जे भिक्खू पायस्स परं तिण्डं तुडियाणं तुडेइ तुडंत वा साइज्जइ ॥४३॥ जे भिक्खू पायं अविहीए तुडेइ तुडतं वा साइज्जइ ॥४४॥ जे भिक्खू पायं अविहीए बंधइ बंधतं वा साइज्जइ ॥४५॥ जे भिक्खू पायं एगेण बंधेण बंधइ, बंधतं वा साइज्जइ ॥४६॥ जे भिक्खू पायं परं तिण्डं बंधाणं बंधइ, बंधतं वा साइज्जइ ॥४७॥ जे भिक्खू अइरेगबंधणं पायं दिवइढाओ मासाओ परेण धरह धरंतं वा साइज्जइ ॥ जे भिक्खू वत्थस्स एगं पडियाणियं देइ, देयंतं वा साइज्जइ ॥ सू० ४९ ॥ जे भिक्खू वत्थस्स परं तिण्इं पडियाणियाणं देइ देयंतं वा साइज्जइ ॥५०॥ जे भिक्खू अविहीए वत्थं सिव्वइ सिव्वंतं वा साइज्जइ ॥५१॥ जे भिक्खू वत्थस्स एग फलियं गंठियं करेइ करेंतं वा साइज्जइ ॥५२॥
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