________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
वर्णकादिविस्तारः
९९ मुहगुञ्जद्धरागबन्धुजीवगपारावयचलणनयणपरहुयसुरत्तलोयणजासुयणकुसुमजलियजलणतवणिज्जकलसहिङ्गलयनिगररूवाइरंगरेहन्तसस्सिरीए दिवायरे अहक्कमेण उदिए तस्स दिणकरकरपरपरावयारपारदमि अन्धयारे बालातवकुंकुमेण खइयव्व जीवलोए लोयणविसआणुआसविगसन्तविसददसि. 5 यंमि लोए कमलागरसण्डबोहए उठ्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिमि दिणयरे तेयसा जलन्ते ॥
54.25.सीय [जाव] विविहा. The full passage runs as follows:
सीयं उण्हं...वाइया पित्तिया सिम्भिया संनिवाइया 10 विविहा रोयातङ्का ॥
56. 10. उच्चनीय [व] अडमाणे. The full passage runs as follows: . उच्चनीयमज्झिमाइं कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खा. यरियाए अडमाणे ॥
58. 2. अभिगय [जाव] अप्पाणं भावेमाणी. The fuil passage is as foilows:- अभिगयजीवाजीवा उवलद्धपुण्णपावा आसवसंवरनिज्जरकिरियाहिगरणबंधमोक्खकुसला असहिज्जा देवासु. रनागसुवण्णरक्खसकिंनर किंपुरिसगरुलगन्धव्यमहोरगाईहिं 20 देवगणेहि निग्गन्थाओ पावयणोओ अणइकमणिज्जा निग्गंथे पावयगे निस्तंकिआ निकंखिआ निवितिगिच्छा लठ्ठा गहियट्ठा पुच्छियट्ठा अहिगयट्ठा विणिच्छियहा अठिमिञ्जपेम्माणुरागरत्ता अयमाउसो निग्गंथे पावयणे अछे अयं परमटे सेसे अणढे, ऊसियफलिहा अवंगुयदुवारा चियत्त- 52
15
For Private and Personal Use Only