________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
निरयावलियासु
रजं च रहें च बलं च वाहणं च कोसं च कोडागारं च अन्तेउरं च जणवयं च ॥
19. 15. एवमाइक्खइ [जाव परूवेइ. The full passage runs as follows:----
एवमाक्खइ एवं भासइ एवं पन्नवेइ एवं परूवेइ ॥
20. 4. करयल [जाव] एवं वयासी. The full passage runs as follows:
करयलपरिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अञ्जलि कट्ट जएणं विजएणं वद्धावेन्ति, वद्धावित्ता एवं वयासी ।। 10 20. 25. तं [जाव] न उद्दालेइ. . The full passage runs as follows:--
तं जाव कूणिए राया सेयणगं गन्धहत्थि अट्ठारसर्वक च हारं न अक्खिवइ न गिण्हइ न उद्दालेइ ।।
21. 5. अन्तराणि [जाव] पडिजागरमाणे. The full pas15 sage runs as follows:--
अन्तराणि य छिद्दाणि य मम्माणि य रहस्साणि य विवराणि य।
22. 18. पायरासेहिं [जाव] वद्धावेत्ता. The fnll passage would run as follows:-- 20 पायरासेहिं नाइविकिट्ठहिं अन्तरावासेहिं वसमाणे २
जेणेव चम्पा नयरीतेणेव उवागच्छइ। उवागच्छित्ता चम्पाए नयरीए मज्झमज्झेणं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता जेणेव चेडगस्स रन्नो गिहे जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव
उवागच्छइ । उवागच्छित्ता तुरए निगिण्हइ । निगिण्हत्ता 25 रहं ठवेइ । ठवित्ता रहाओ पञ्चोरुहइ । तं महत्थं जाव
पाहुडं गिण्हइ । गिण्हित्ता जेणेव अब्भन्तरिया उवट्ठाण
For Private and Personal Use Only