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* मोक्षतव *
(५)
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यह मोदतत्त्व है। इस तरह नव तत्त्व संक्षेपसे कहे गये ।।५।। ___ दो तरह के नपुन्सक होते हैं; जन्मसिद्ध और कृत्रिम। जन्मसिद्ध नपुन्सकोंको मोक्ष नहीं होता, कृत्रिम नपुन्सक एक समयमें उत्कृष्ट दस तक मोक्ष जाते हैं, खियाँ एक समयमें उत्कृष्ट बोस तक मोक्ष जातो हैं और पुरुष एक समयमें उत्कृष्ट एकसौ आठ तक मोक्ष जाते हैं।
जीवाइ नव पयत्थे,
जो जाणइ तस्स होइ सम्मत्तं । गावेण सद्दहतो,
अयाणमाणेवि सम्मत्तं ॥ ५१ ॥ "इस गाथामें नवतत्त्व जाननेका फल कहते हैं।"
जो जीव, जीवादिनव तत्त्वको जानता है उसे सम्यवत्व प्राप्त होता है। जीवादि पदार्थोंके नहीं जाननेवाले भी यदि अन्तःकरणसे ऐसी श्रद्धा रक्खें कि, "सर्वज्ञ वीतराग, जिनेश्वर भगवान्के कहे हुये नव तत्त्व सच है, अशङ्कनीय हैं," तो समझना चाहिये कि उन्हें भी सम्यक्त्व है ।। ५१ ॥
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