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श्रीमान् बाबू नोनकरनओ मनसारामजी जौहरो बनारस बालों के कुटुम्ब का परिचय ।
जिन बाबू मनसारामजी का फोटो इस पुस्तक में आप देख रहे हैं उनके पूर्वज जयपुर राज्य के निवासी थे । प्रायः दो सौ वर्ष हुये कि खा० तुलारामजी ओसवाल चन्डालिया अपने पुत्र विधारीलालजी को लेकर जयपुर से बनारस आये थे, प्राप वहां पर बजाजो का काम करते थे ।
जिस समय गिरधारीलालजी जयपुर में रहते थे। उनके १८ सन्ताने हुई, जिनमें से केवल एक बालक जिसका नाम नोनकरन था और एक लड़की यहीं दो सन्तानें जीवित रहीं। शेष छोटी अवस्था में ही काल कर गई थीं ।
जब बालकों में केवल नोनकरनजी ही जीवित बचे उत समय किसी महात्मा ने गिरधारीलालजी से कहा कि इस बालक को यदि तुम पूर्व देश की ओर ले जाओगे तो यह दीर्घायु होगा और जीवित रहेगा। यही कारण आपके पूर्वओं का जयपुर से बनारस आने का था ।
तीस वर्ष तक लाला गिरधारीलालजी बनारस में रहे । बाद को उन्होंने जयपुर जाने का विचार किया । उसी समय बनारस के लाला गोकुलचन्दजी ने अपनी पुत्री के साथ नोकरनी का विवाद कर दिया । उसके बाद लाला गिरधारी लालजी ने जयपुर जाना स्थगित कर दिया और निश्चित रूप से बनारस में ही रहने लगे ।
लाला नोनकरनजी बहुत ही बुद्धिमान प्रतिभाशाली नैष्ठिक धर्मानुरागी थे। आपकी रुचि जवाहरात के व्यापार की ओर थी। इस कारण आपने जवाहरात का काम मीखा और थोड़े
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